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At the end of May this year, Vodafone Idea’s active subscriber base stood at 277 million, while Bharti Airtel and Reliance Jio were at 307 million and 313 million.
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Vodafone Idea: वोडाफोन और आइडिया दोनों का मर्जर ऐसे समय में हुआ था, जब टेलिकॉम इंडस्ट्री भारी कर्ज में थी. वहीं, जियो (Jio) के डाटा वार की वजह से इंडस्ट्री में कंसोलिडेशन चल रहा था. मर्जर के समय दोनों ही कंपनियों की बैलेंसशीट बिगड़ी हुई थी. ऐसा भी समय आया कि जब कंपनी के मालिकों को बयान देना पड़ गया कि अगर सरकार की ओर से राहत नहीं मिलती है, कंपनी को अपना आपरेशन बंद करना पड़ेगा. फिलहाल एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू यानी AGR मामले पर सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद वोडाफोन आइडिया एक्शन में दिख रही है. इस क्रम में अब कंपनी नए ब्रांड अवतार Vi के रूप में सामने आई है. क्या नए ब्रांड नाम से कंपनी को अपनी किस्मत बदलने में सफलता मिलेगी.
ऐसा नहीं है कि इन कंपनियों को पहले कभी नाम नहीं बदला गया. वोडाफोन इंडिया को पहले लोग भारत में हच और वोडाफोन ब्रांड नाम से जान चुके हैं. इसके अलावा मैक्स टच के नाम से भी अपनी ब्रांडिंग कर चुकी है. वहीं, आइडिया का नाम पहले आइडिया सेलुलर था. बिड़ला एटीएंडटी और बिड़ला टाटा एंड एटीएंडटी नाम से भी कंपनी की पहचान रही है. फिर दोनों कंपनियों का मर्जर हुआ और उन्हें वोडाफोन आइडिया लिमिटेड के नाम से जाना गया. अब कंपनी का नया ब्रांड नाम 'Vi' हो गया है.
ARPU से फंड रेजिंग: एक्शन में कंपनी
हाल ही में लंबे समय से पेंडिंग चल रहे एजीआर इश्यू पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना बड़ा फैसला सुनाते हुए कंपनी को बकाया चुकाने के लिए 10 साल का समय दे दिया है. हालांकि कंपनियों की मांग 15 साल में बकाया चुकाने की थी, वह भी डिस्काउंट के साथ. यह फैसला कुछ राहत वाला है. हालांकि वोडाफोन आइडिया की मुसीबत इतनी जल्द दूर होती नहीं दिख रही है. लेकिन इसके बाद कंपनी एक्शन में है. कंपनी के बोर्ड ने हाल ही में 25000 करोड़ रुपये जुटाने को मंजूरी दी है. इसके अलावा कंपनी की ओर से साफ संकेत दिए गए कि आगे वह टैरिफ बढ़ाने जा रही है. इससे उसका एआरपीयू बढ़ेगा और वह जियो व एयरटेल से मुकाबला कर पाएगी.
बता दें कि टेलिकॉम कंपनियों पर कुल एजीआर बकाया 1.69 लाख करोड़ रुपये का है. वोडाफोन आइडिया पर 58,254 करोड़ रुपये का बकाया था, जिसमें से कंपनी ने करीब 8 हजार करोड़ की रकम चुका दी है. वोडाफोन आइडिया को अभी भी 50399 करोड़ की रकम चुकानी है.
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बैलेंसशीट कैसे सुधरेगी
ब्रोकरेज हाउस मोतीलाल ओसवाल का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से वोडाफोन आइडिया की बैलेंसशीट कमजोर होगी. ऐसे में एक बार फिर टैरिफ हाइक करने के चांस बन रहे हैं. वोडाफोन आइडिया की बात करें तो पेमेंट के बाद कंपनी का आपरेशन सही से चल सके, इसके लिए वित्त वर्ष 2022 और 2023 तक 110 रुपये कम्युलेटिव ARPU बढ़ोत्तरी की जरूरत होगी. लेकिन इस चुनौतिभरे माहौल में तुरंत ऐसा कर पाना मुश्किल होगा.
एक्सपर्ट का मानना है कि पैसे जुटाना वोडाफोन आइडिया के लिए आसान नहीं होगा. कंपनी पर ब्याज और एजीआर भुगतान का दबाव पहले से बहुत ज्यादा है. वोडाफोन और आइडिया का मर्जर रिलायंस जियो के लॉन्च के बाद हुआ था. हालांकि मर्जग्र से पहले भी जियो की एंट्री के बाद दोनों कंपनियों पर डाटा वार की वजह से दबाव बना हुआ था. मर्जर के बाद भी स्थिति बेहतर नहीं हो पाई.
मालूम हो, जून 2020 को समाप्त वित्त वर्ष के दौरान कंपनी का शुद्ध घाटा 25,460 करोड़ रुपये रहा. एक साल पहले की समान तिमाही में भी कंपनी को 4,873 करोड़ का घाटा हुआ था. कंपनी का रेवेन्यू 5.5 फीसदी गिरकर 10,659 करोड़ रहा. जबकि एआरपीयू 114 रुपये रहा.