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कर्ज के संकट से जूझ रहे टेलिकॉम सेक्टर में अब सिर्फ 2 कंपनियों के ही रह जाने की संभावना बढ़ गई है. ये कंपनियां होंगी रिलायंस जियो और भारती एयरटेल. दूसरी ओर वोडाफोन आइडिया और टाटा टेलीसर्विसेज जैसी कंपनियों पर अब शटडाउन यानी बंद होने का डर बढ़ गया है. असल में शुक्रवार को टेलिकॉम कंपनियों को सुप्रीम कोर्ट का बड़ा झटका लगा है, जब एजीआर बकाए मामले में कोर्ट ने कंपनियों को किसी तरह की राहत नहीं दी है. वहीं, एजीआर न वसूले जाने पर डिपार्टमेंट आफ टेलिकम्युनिकेशंस को भी फटकार लगाई. बता दें कि इन कंपनियों पर एजीआर के रूप में करीब 1.47 लाख करोड़ रुपये का बकाया है, जो इन्हें दूर संचार विभाग को चुकाना है.
वोडाफोन आइडिया के बंद होने की आशंका बढ़ी
कोर्ट ने अपने शुक्रवार के निर्देश में टेलिकॉम कंपनियों को 17 मार्च तक बकाए रकम का भुगतान करने को कहा है. जबकि टेलिकॉम कंपनियां इस पर ज्यादा मोहलत मांग रही थीं. इसके पहले भुगतान की समयसीमा 23 जनवरी थी, जिसके बाद वोडाफोन आइडिया, एयरटेल और टाटा टेलिसर्विसेज ने कोर्ट में याचिका दायर कर समय सीमा बढ़ाने की बात कही थी. फिलहाल कोर्ट से मोहलत न मिलने की वजह से अब बड़ी कंपनियों में वोडाफोन आइडिया के बंद होने का डर और बढ़ गया है.
वोडाफोन आइडिया ने फिर से कहा है कि कारोबार जारी रखना इस बात पर निर्भर होगा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में संशोधन की मांग वाली याचिका पर सकारात्मक फैसला आता है या नहीं. इसके पहले कंपनी के चेयरमैन केएम बिड़ला ने भी ये संकेत दिए थे कि अगर सरकार इस मामले में राहत नहीं देती है तो कंपनी को चला पाना मुश्किल होगा. मैनेजमेंट अब नया निवेश का रिस्क नहीं लेगा.
2 कंपनियों के ही रहने का जोखिम
कंसल्टेंसी फर्म कॉम फर्स्ट के निदेशक महेश उप्पल ने कहा कि एजीआर पर कोर्ट के आदेश के बाद यही कहा जा सकता है कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह दूरसंचार उद्योग के लिये बुरी खबर है. इससे वोडाफोन आइडिया की स्थिति विशेष तौर पर कमजोर हुई है. उन्होंने कहा कि दूरसंचार क्षेत्र में दो ही कंपनियों के बचे रह जाने का जोखिम पहले की तुलना में सबसे अधिक हो गया है.
ब्रोकरेज हाउस मोतीलाल ओसवाल ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि एजीआर इश्यू पर शीर्ष कोर्ट के फैसले और समय सीमा तक बकाए के भुगतान के बाद अब टेलिकॉम कंपनियों के पास विकल्प सीमित हो गए हैं. इससे वोडाफोन आइडिया की स्थिति कमजोर हुई है और कंपनी के शटडाउन होने का डर बढ़ गया है. कंपनियों पर कुल एजीआर लायाबिलिटी 1.47 लाख करोड़ रुपये का है, जिसमें एयरटेल को 34 हजार करोड़ और वोडाफोन आइडिया को 44000 करोड़ रुपये चुकाना है. एयरटेल के हालिया फंड रेज प्लान की वजह से यह रकम चुकाना आसान हो गया है, लेकिन वोडाफोन आइडिया की मुसीबत बढ़ गई है.
क्या सरकार बदलेगी पॉलिसी
हालांकि एक्सपर्ट को अभी भी उम्मीद है कि सरकार शायद इस क्षेत्र में 2 कंपनियों की मोनोपॉली न रहने दे और अपनी पॉलिसी में बदलाव कर वेडाफोन आइडिया जैसी टेलिकॉम कंपनियों को राहत दे. बता दें कि अभी दूरसंचार क्षेत्र में सरकारी कंपनियों बीएसएनएल और एमटीएनएल के अलावा तीन निजी कंपनियां भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और रिलायंस जियो हैं. महेश उप्पल का कहना है कि कंपनियों के पास किसी उपाय की कम ही गुंजाइश बची है, लेकिन अगर सरकार इसे दीर्घकालिक समस्या माने तो वह नीति में बदलाव पर विचार कर सकती है.
फॉच्यूर्न फिस्कल के डायरेक्टर जगदीश ठक्कर का कहना है कि दूरसंचार क्षेत्र में 2 कंपनियों की मोनोपॉली ग्राहकों के हित में नहीं है. सरकार भी शायद यह बात समझेगी. अगर वोडाफोन आइडिया को बकाए के भुगतान पर कुछ राहत मिल जाए तो उसके लिए कुछ आसानी होगी.