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देश में कोरोना के दौर में लोग प्राइवेट मोबिलिटी पर जोर दे रहे हैं. पब्लिक ट्रांसपोर्ट से सफर करने के बजाय लोग निजी वाहनों से आना-जाना पसंद कर रहे हैं. लिहाजा नई कारों के साथ सेकेंड हैंड कारों की डिमांड भी बढ़ती दिख रही है. बैंकों की ओर सेकेंड हैंड कारों के लिए लोन भी आसानी से मिल रहा है. इस वजह से भी इन कारों का बाजार रफ्तार पकड़ने लगा है. अलग-अलग बैंकों की ओर से सेकेंड हैंड कार के लिए लोन देने की शर्तें भी अलग-अलग होती हैं. BankBazaar के मुताबिक सेकेंड हैंड कार के लिए लोन अप्लाई करते समय अपनी जरूरत और बैंकों की शर्तों पर गौर करना जरूरी है.
हर बैंक की शर्तें और नियम अलग
मसलन कुछ बैंक सिर्फ तीन साल से ज्यादा पुरानी कारों के लिए लोन नहीं देते हैं तो कुछ पांच साल से पुरानी कारों के लिए लोन नहीं देते. सेकेंड हैंड कार के लिए लोन लेते समय मेंटनेंस लागत का हिसाब लगा लेना चाहिए. सेकेंड हैंड कार के लिए लोन कार की कीमत के 75 से 80 फीसदी तक ही अप्रूव होता है. बाकी रकम डाउनपेमेंट के तौर पर देनी होती है.
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11 से 16 फीसदी तक होती है ब्याज दर
सेकेंड हैंड कार पर लोन के लिए 11 से 16 फीसदी का इंटरेस्ट रेट देना पड़ सकता है. लोन की अधिकतम अवधि सात साल तक हो सकती है. इसके अलावा कुछ रकम प्रोसेसिंग फीस के तौर पर भी देनी पड़ती है. यह ध्यान रखना जरूरी है कि सेकेंड हैंड कार के लिए लोन की ब्याज दर नई कार के लोन की ब्याज दरों से ज्यादा होती है.इसलिए लोन की अवधि कम से कम रखने की कोशिश करनी चाहिए. लोन लेने से पहले यह पता कर लें कि आपके प्रोफाइल पर कितना लोन मिल सकता है. साथ ही हरेक बैंक के इंटरेस्ट रेट, प्रोसेसिंग फीस और नियम-शर्तों के बारे में जान लें.
BankBazaar ने देश के 20 बैंकों की ओर से सेकेंड हैंड कार पर दिए जा रहे लोन की ब्याज दरों एक सूची दी है. इसमें तीन साल के लिए पांच लाख रुपये के लोन के हिसाब से ब्याज दरों का जिक्र है. हालांकि इस सूची के आधार पर फैसला लेने से पहले बैंकों से संपर्क करना जरूरी है.
(Article : Sanjeev Sinha)