/financial-express-hindi/media/post_banners/VqN374J7F7raUfSgAY2N.jpg)
/financial-express-hindi/media/post_attachments/yTIjxDvqarJJP8oM8Je9.jpg)
Vodafone Idea Future: भारी भरकम कर्ज और लगातार नुकसान झेल रही वोडाफोन आइडिया (Vodafone Idea) का क्या भविष्य होगा, यह अब सरकार के हाथ में है. ब्रिटेन की दूरसंचार कंपनी वोडाफोन ने कहा है कि उसने वोडाफोन आइडिया से मांगे गये वैधानिक बकाये में जुर्माना और ब्याज से छूट देने का आग्रह किया है. साथ ही मूल राशि का भुगतान करने के लिये 2 साल की रोक के साथ 10 साल का समय देने की मांग की है. वोडाफोन आइडिया पर करीब 53 हजार करोड़ रुपये एजीआर की देनदारी है. उच्चतम न्यायालय ने अक्टूबर में सरकार द्वारा दूरंसचार कंपनियों से उन्हें प्राप्त होने वाले राजस्व पर मांगे गये शुल्क को जायज ठहराया था.
53,038 करोड़ रुपये का वैधानिक बकाया
वोडाफोन आइडिया लि. (वीआईएल) पर 53,038 करोड़ रुपये का वैधानिक बकाया है. इसमें 24,729 करोड़ रुपये का स्पेक्ट्रम बकाया और 28,309 करोड़ रुपये लाइसेंस शुल्क शामिल हैं. कंपनी ने कहा है कि उसे अगर राहत नहीं मिली तो अपना कारोबार बंद कर देगी. वोडाफोन आइडिया लि. में वोडाफोन की 45.39 फीसदी हिस्सेदारी है. वोडाफोन आइडिया के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला पहले ही कह चुके हैं कि अगर सरकार या न्यायालय ने राहत नहीं दी तो कंपनी बंद हो जाएगी.
वोडाफोन के मुख्य कार्यपालक अधिकारी निक रीड ने कहा कि हमने विशेष रूप से स्पेक्ट्रम भुगतान पर 2 साल की रोक लगाने, लाइसेंस शुल्क और कम करने, समायोजित सकल आय (एजीआर) पर ब्याज और जुर्माने से छूट तथा मूल राशि के भुगतान पर दो साल की रोक के साथ 10 साल में लौटाने की अनुमति मांगी है.
भविष्य पर उठ रहे हैं सवाल
कंपनी के भविष्य को लेकर तमाम अटकलें लगाई जा रही हैं. कुछ एक्सपर्ट का मानना है कि वोडाफोन आइडिया इतनी बुरी तरह से फाइनेंशियल क्राइसिस में फंसी है कि उबरना मुश्किल है. वहीं, कुछ का मानना है कि पिछले दिनों जिस तरह से सरकार की ओर से संकेत मिल रहे हैं, वह वोडाफोन आइडिया को राहत देने वाले लग रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार ऐसा नहीं चाहेगी कि इतने बड़े सेक्टर में सिर्फ 2 कंपनियों यानी जियो और एयरटेल की मोनोपॉली चले. ऐसे में कंपनी को एजीआर बकाए के लिए समय की राहत मिल सकती है.
3 कंपनियों का रहना सेक्टर के लिए बेहतर
फॉर्च्यून फिस्कल के डायरेक्टर जगदीश ठक्कर का कहना है कि इतने बड़े सेक्टर में सिर्फ 2 कंपनियों की मोनापॉली ठीक नहीं है, सरकार भी ऐसा नहीं चाहेगी. उन्होंने इसके पीछे सरकार की ओर से मिल रहे संकेतों का हवाला दिया. जब वोडाफोन आइडिया 24 जनवरी तक एजीआर बकाया नहीं चुका पाई तो सरकार ने यह कहा कि बिना उसके आदेश के कंपनी पर कोई एक्शन न लिया जाए. ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि डीओटी को एजीआर की पूरी रकम तो चाहिए, लेकिन इसे भुगतान करने के लिए कंपनी को वक्त मिल सकता है. उनका कहना है कि सरकार इंटरेस्ट पर भी कुछ छूट दे सकती है. वहीं, डीओटी की ओर से जिस तरह के संकेत मिल रहे हैं, पेमेंट के लिए समय सीमा बढ़ाए जाने की बात पर सहमति बन सकती है. अगर ऐसा होता है तो वोडाफोन आइडिया कोर 10 से 15 साल में बकाया चुकाना होगा, जो कंपनी के लिए संभव हो सकता है.
निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर भी
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 24 अक्टूबर को टेलिकॉम कंपनियों से एजीआर बकाया चुकाने को लेकर आदेश दिया था. इसके लिए कोर्ट ने 24 जनवरी तक का समय दिया था, जो अब निकल चुका है. लेकिन वोडाफोन आइडिया के अलावा एयरटेल ने भी यह समय सीमा बढ़ाने के लिए कोर्ट में याचिका दे रखी है. अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकीं हैं. हालांकि तय समय पर बकाया न चुकाए जाने के बाद सरकार ने कंपनी को राहत देते हुए कहा है कि बिना उसके आदेश के कोई भी सर्किल कंपनी के खिलाफ कदम नहीं उठाएगी.