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मार्केट रेगुलेटर सिक्युरिटी एक्सचेंज बोर्ड आफ इंडिया (SEBI) ने शेयर बाजार (Stock Market) में जारी वोलैटिलिटी पर लगाम लगाने के लिए कुछ बड़े कदम उठाए हैं. इन उपायों में फ्यूचर एंड आप्शंस में शेयर सौदों की खुली उपलब्ध सीमा में बदलाव भी शामिल है. सेबी के इन फैसलों से अब बाजार में शॉर्ट सेलिंग (Short Selling) करना मुश्किल हो जाएगा. वहीं, व्यक्तिगत शेयरों में उतार-चढ़ाव भी कम होगा. सेबी ने ये उपाय ऐसे समय किये हैं जब कोरोना वायरस की वजह से अर्थव्यवस्था को लेकर अनिकश्चतता बन गई है, जिससे शेयर बाजार में भारी उतार चढ़ाव बना हुआ है.
बाजार पर क्या होगा असर
सैमको सिक्युरिटीज के फाउंडर और सीईओ जिमीत मोदी का कहना है कि सेबी का यह कदम निश्चित रूप से शेयर बाजार में उथल पुथल कम करने में मददगार साबित होगा. उनका कहना है कि सेबी द्वारा बाजार आधारित सीमा घटाई गई है, जिसका मतलब है कि अब पहले से अधिक शेयर फ्यूचर एंड आप्शंस यानी एफ एंड ओ कारोबार की रोक अवधि के दायरे में होंगे. उन्होंने कहा कि इसके अलावा शॉर्ट सेलिंग के लिए 500 करोड़ रुपये की सीमा है, जिसे हटा दिया गया है. यानी अब कोई 500 करोड़ रुपये की लिमिट को पार करना चाहता है तो उसका दो गुना मार्जिन 3 महीने के लिये बंध जाएगा. एक तरह से सेबी ने एडिशनल सर्विलांस मीजर लगा दिया है जो बाजार के लिए अच्छा है.
किन शेयरों पर होगा असर
जिमीत मोदी के अनुसार इन उपायों का असर हाई वोलैटिलिटी वाले शेयरों पर होगा. इनमें NCC लिमिटेड, इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड, जिंदल स्टील एंड पावर, जस्ट डायल, अडानी इंटरप्राइजेज लिमिटेड, केनरा बैंक, स्टील अथारिटी आफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, यस बैंक, वोडाफोन आइडिया, PVR लिमिटेड जैसे जैसे शेयर प्रमुख रूप से शामिल हैं.
क्या होती है शॉर्ट सेलिंग
जब शेयर बाजार में निवेशक मुनाफा कमाने के लिये किसी शेयर को पहले ज्यादा कीमत पर बेचकर और फिर गिरे भाव पर उसकी खरीदारी करते हैं, तो इसे शॉर्ट सेलिंग कहा जाता है. बता दें कि एक्सपर्ट भी मौजूदा स्थिति में शॉर्ट सेलिंग पर बैन लगाने की मांग कर रहे थे. दुनिया के कई बाजारों के नियामक ऐसा कर भी चुके हैं. असल में कोराना वायरस के चलते ग्लोबल स्लाडाउन की आशंका है, जिससे दुनियाभर के बाजारों में उतार चढ़ाव है.
क्या कहा सेबी ने
सेबी ने बाजार में वौलैटिलिटी पर कहा कि उसने मौजूदा परिस्थिति में उठाये जाने वाले कदमों को लेकर शेयर बाजारों, क्लियरिंग कॉरपोरेशन तथा डिपॉजिटरीज के साथ चर्चा की है. सेबी ने बताया कि इन उपायों में डेरिवेटिव खंड में खुले शेयरों सौदों की उपलब्ध सीमा को बढ़ाकर 50 फीसदी तक करना भी शामिल है. अभी डेरिवेटिव खंड में यह सीमा कुल बाजार पूंजीकरण के 20 फीसदी मूल्य के बराबर है. इसके अलावा विशिष्ट पात्रता पर खरे उतरने वाले शेयरों के लिये मार्जिन को बढ़ाया जाएगा. सेबी ने कहा कि जरूरत होगी तो आगे अन्य कदम भी उठाए जाएंगे.