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म्यूचुअल फंड में पैसा लगाने के पहले एक चीज है जो आपको देखनी चाहिए, वह है एक्सपेंस रेश्यो.
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Mutual Fund Expense Ratio: म्यूचुअल फंड में पैसा लगाने के पहले आमतौर पर एक निवेशक की नजर सबसे पहले इस बात पर जाती है कि इस फंड का प्रदर्शन कैसा रहा है. इसके बाद फंड हाउस के बारे में रिसर्च करते हैं. आपको यही लगता होगा कि अगर उस फंड का रिटर्न हाई है और फंड हाउस बड़ा है तो आपको भी निवेश करने पर उतना ही फायदा होगा. लेकिन एक और चीज है जो आपको देखनी चाहिए, वह है एक्सपेंस रेश्यो. फंड के एक्सपेंस रेश्यो (Expense Ratio) से ही ये तय होता है कि कोई फंड आपको कितना सस्ता मिलेगा. एक्सपेंस रेश्यो के कम या ज्यादा होने का सीधा असर आपके रिटर्न पर भी पड़ता है. इसी वजह से एक्सपर्ट हमेशा यह सलाह देते हैं कि किसी भी फंड को चुनने के पहले उसका एक्सपेंस रेश्यो जरूर देख लें. क्या होता है एक्सपेंस रेश्यो, इससे कैसे तय होता है आपका रिटर्न…
क्या होता है एक्सपेंस रेश्यो?
म्यूचुअल फंड के प्रबंधन पर जो खर्च आता है, इसी खर्च का अनुपात एक्सपेंस रेश्यो कहलाता है. फंड को मैनेज करने के लिए फंड हाउसेज के तमाम खर्च होते हैं. फंड हाउस में प्रोफेशनल्स की टीम होती है जो मार्केट पर नजर रखती है. इसमें ट्रांसफर और रजिस्ट्रार से संबंधित खर्च भी शामिल होते हैं. एक्सपेंस रेश्यो एक सालाना फीस होती है. यह प्रति यूनिट आने वाले खर्च को दिखाता है. एक्सपेंस रेश्यो फंड हाउस द्वारा ली जा रही एक सालाना फीस होती है. इसलिए फंड में निवेश के वक्त एक्सपेंस रेश्यो देखें.
कम एक्सपेंस रेश्यो वाले बेहतर फंड
मिराए एसेट्स इमर्जिंग ब्लूचिप फंड
एक्सपेंस रेश्यो: 0.92 फीसदी
5 साल का रिटर्न: 10.34 फीसदी सालाना
7 साल का रिटर्न: 19.98 फीसदी सालाना
SBI स्मालकैप फंड
एक्सपेंस रेश्यो: 0.93 फीसदी
5 साल का रिटर्न: 8.57 फीसदी सालाना
7 साल का रिटर्न: 20.20 फीसदी सालाना
Axis फोकस्ड 25 फंड
एक्सपेंस रेश्यो: 0.65 फीसदी
5 साल का रिटर्न: 8.41 फीसदी सालाना
7 साल का रिटर्न: 11.67 फीसदी सालाना
Axis ब्लूचिप फंड
एक्सपेंस रेश्यो: 0.46 फीसदी
5 साल का रिटर्न: 8.23 फीसदी सालाना
7 साल का रिटर्न: 11.86 फीसदी सालाना
केनरा रोबेको इमर्जिंग इक्विटीज फंड
एक्सपेंस रेश्यो: 0.87 फीसदी
5 साल का रिटर्न: 8.12 फीसदी सालाना
7 साल का रिटर्न: 18.97 फीसदी सालाना
(source: Value Research)
तय होता है कि फंड सस्ता या महंगा
मान लीजिए आपने निवेश के लिए कोई म्यूचुअल फंड चुना है, जिसका एक्सपेंस रेश्यो 1.8 फीसदी है. वहीं, आपने इसमें 20 हजार रुपये का निवेश किया है. इसका मतलब हुआ कि इस फंड के मैनेजमेंट के लिए आपको सालाना 360 रुपये चुकाने होंगे. इसी तरह से अगर इस फंड ने कुल 14 फीसदी रिटर्न दिया तो आपको 12.2 फीसदी रिटर्न असल में मिलेगा.
इसी के विपरीत अगर इसका एक्सपेंस रेश्यो 2.6 फीसदी होता तो आपको इसके मैनेजमेंट के लिए 520 रुपये सालाना फीस देनी होती और रिटर्न भी 11.4 फीसदी ही मिलता. सीधा है कि एक्सपेंस रेश्यो जितना ज्यादा होगा, आपका खर्च उतना ही ज्यादा बढ़ेगा.
नोट: हालांकि यहां यह बात ध्यान देने की होती है कि कम या ज्यादा एक्सपेंस रेश्यो से रिटर्न की गारंटी नहीं तय होती है. कई बार ज्यादा एक्सपेंस रेश्यो वाले फंड कम एक्सपेंस रेश्यो वाले फंड के मुकाबले ज्यादा रिटर्न देते हैं.
एक्सपेंस रेश्यो की तय है लिमिट?
हाल ही में मार्केट रेगुलेटर सेबी ने एक्सपेंस रेश्यो की सीमा तय की है. जिस म्यूचुअल फंड स्कीम का AUM 500 करोड़ रुपये है वे एक्सपेंस रेश्यो के रूप में अधिकतम 2.25 फीसदी चार्ज कर सकती हैं. इसी तरह 500-750 करोड़ रुपये AUM वाली स्कीम के लिए एक्सपेंस रेश्यो 2 फीसदी हो सकता है. 750-2000 करोड़ रुपये वाले फंड के लिए एक्सपेंस रेश्यो 1.75 फीसदी, 2000-5000 करोड़ AUM वाली स्कीम के लिए 1.6 फीसदी और 5000-10,000 करोड़ रुपये AUM वाले फंड के लिए एक्सपेंस रेश्यो 1.5 फीसदी हो सकता है.
सेबी के निर्देश के मुताबिक, 10-50,000 करोड़ AUM वाली स्कीम के लिए एक्सपेंस रेश्यो हर 5000 करोड़ रुपये बढ़ने के बाद 0.05 फीसदी कम होता चला जाएगा. अगर किसी म्यूचुअल फंड स्कीम का AUM 50,000 करोड़ से अधिक है तो उसके लिए AMC एक्सपेंस रेश्यो के रूप में 1.05 फीसदी चार्ज ले सकती हैं.