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बाजार में उतार चढ़ाव के बावजूद इक्विटी म्यूचुअल फंड में जमकर निवेश हो रहा है. (File)
Mutual Funds Investment: शेयर बाजार में भले ही उठा पठक का दौर चल रहा है, लेकिन म्युचुअल फंड (Mutual Fund) पर निवेशकों का भरोसा बरकरार है. बाजार में उतार चढ़ाव के बावजूद मई महीने में इक्विटी म्यूचुअल फंड स्कीमों में जमकर निवेश देखने को मिला है. एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स (AMFI) ने मई महीने के लिए म्यूचुअल फंड में निवेश के आंकड़े जारी किए हैं. जिसके मुताबिक इक्विटी म्यूचुअल फंड में 18,529.43 करोड़ रुपये का निवेश आया है. सबसे ज्यादा निवेश फ्लेक्सी कैप फंड्स में आया है. फ्लेक्सी कैप फंड्स में मई महीने में कुल 2938.93 करोड़ रुपये का निवेश आया है. फ्लेक्सी कैप फंड्स में पिछले कुछ महीनों से लगातार बेहतर निवेश आ रहा है. वित्त वर्ष 2021-22 में भी फ्लेक्सी कैप कटेगिरी में कुल 35,877 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश हुआ था.
क्या है फ्लेक्सी-कैप फंड
फ्लेक्सी-कैप की बात करें तो यह इक्विटी म्यूचुअल फंड की एक कटेगिरी है. फ्लेक्सी-कैप फंड के पास निवेश करने के लिए फ्लेक्सिबिलिटी होती है. इसमें फंड मैनेजर अपने हिसाब से निवेशक का पैसा स्मॉल, मिड या लार्ज कैप में निवेश कर सकते हें. इसमें यह सुविधा होती है कि जो सेकटर या फंड अचछा कर रहे हैं, वहां निवेशकों का पैसा शिफ्ट कर सकते हैं. मसलन अगर लार्जकैप का प्रदर्शन अच्छा है तो फंड मैनेजर मिडकैप या स्मालकैप से पैसा लार्जकैप की ओर शिफ्ट कर देते हैं. इसी तरह मिडकैप या स्मालकैप के अच्छा करने की स्थिति में भी होता है.
क्यों मल्टीकैप पर बढ़ रहा है भरोसा
बीपीएन फिनकैप के डायरेक्टर एके निगम का बाजार के मौजूदा मूड और माहौल को देखें तो निवेशक पूरी तरह से कनफ्यूज हैं. ऐसे में फ्लेक्सी कैप फंड की ओर उनका रुझान बढ़ा है. यहां एक तो यह सुविधा है कि आपका पैसा लार्जकैप, मिडकैप और स्मालकैप इक्विटी में लगता है. दूसरा यह सुविधा है कि आगे जो कटेगिरी बेहतर करे, उसमें पैसा शिफ्ट हो सकता है. जबकि मलटीकैप फंड में यह सुविधा नहीं है. वहीं लार्जकैप, मिडकैप और स्मालकैप में कम से कम 25 फीसदी अलोकेशन जरूरी होता है.
किसे लगाना चाहिए पैसा
उनका कहना है कि अगर आप इक्विटी फंड्स में इन्वेस्ट करना चाहते हैं लेकिन ज्यादा-रिस्की एक्सपोजर लेना नहीं चाहते, तो आप बेहतर रेटिंग वाले फ्लेक्सी-कैप फंड में इन्वेस्ट कर सकते हैं. मार्केट कैपिटलाइजेशन की दृष्टि से ये फंड्स अच्छी तरह डाइवर्सिफाइड भी होते हैं. हो सकता है कि इस कटेगिरी में स्मॉल और मिड-कैप फंड्स की तुलना में कम रिटर्न मिले, लेकिन वोलेटिलिटी के दौरान ये स्टेबल रिटर्न दे सकते हैं. इनमें रिस्क भी बहुत कम होता है.
टैक्सेशन
12 महीने से कम समय में निवेश भुनाने पर इक्विटी फंड्स से कमाई पर शार्ट टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) टैक्स लगता है. मौजूदा नियमों के हिसाब से इससे होने वाली कमाई पर 15 फीसदी तक टैक्स लगाया जाता है. अगर आपका निवेश 12 महीनों से ज्यादा के लिए है तो इसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) माना जाएगा और इस पर 10 फीसदी ब्याज देना होगा.