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क्या है Nifty Microcap 250 Index? रिटेल इनवेस्टर के लिए कितना उपयोगी है ये

निफ्टी माइक्रोकैप इंडेक्स का मकसद NSE पर लिस्टेड शेयरों के प्रदर्शन की ट्रैकिंग करना है. इस इंडेक्स में निफ्टी 500 इंडेक्स से दायरे के बाहर की 250 कंपनियां शामिल हैं.

निफ्टी माइक्रोकैप इंडेक्स का मकसद NSE पर लिस्टेड शेयरों के प्रदर्शन की ट्रैकिंग करना है. इस इंडेक्स में निफ्टी 500 इंडेक्स से दायरे के बाहर की 250 कंपनियां शामिल हैं.

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क्या है Nifty Microcap 250 Index? रिटेल इनवेस्टर के लिए कितना उपयोगी है ये

एनएसई की इंडेक्स सर्विसेज सब्सिडियरी NSE Indices Limited ने हाल में एक नया इंडेक्स निफ्टी माइक्रोकैप 250 ( Nifty Microcap 250) इंडेक्स लॉन्च किया है. निफ्टी माइक्रोकैप इंडेक्स का मकसद NSE पर लिस्टेड शेयरों के प्रदर्शन की ट्रैकिंग करना है. इस इंडेक्स में निफ्टी 500 इंडेक्स से दायरे के बाहर की 250 कंपनियां शामिल हैं. निफ्टी माइक्रोकैप 250 इंडेक्स, रैंकिंग में 501 से 750 वें नंबर की माइक्रो-कैप कंपनियों से बना है. यह रैंकिंग इनके पूरे मार्केट कैपिटलाइजेशन के आधार पर की गई है.

रिटेल निवेशकों के लिए कितना कारगर है यह इंडेक्स

निफ्टी माइक्रोकैप 250 लार्ज-कैप, मिड-कैप और स्मॉल कैप के बाद आता है. एनएसई की वेबसाइट के मुताबिक बैकटेस्टिंग बताती है कि इस इंडेक्स ने अपनी शुरुआत के बाद अब तक 16 फीसदी का वार्षिक रिटर्न दिया है. जो निवेशक स्मॉल और माइक्रो कैप स्टॉक में सीधे निवेश करना चाहते हैं उनके लिए यह इंडेक्स एक बेहतर पहल है. लेकिन ऐसे रिटेल निवेशक जो बाजार में लगातार निवेश कर रहे हैं उनके लिए यह इंडेक्स कितना उपयोगी होगा? एक्सपर्ट्स का मानना है कि बेहतर होगा ऐसे निवेशक इससे दूरी ही बना कर रखें. इसकी वजह है क्योंकि जानकारी के अभाव में कई निवेशकों का यह मानना है कि स्मॉल-कैप फंड्स दूसरी इक्विटी स्कीमों से ज्यादा रिटर्न देते हैं. लेकिन यह सही नहीं है. ये स्मॉल कैप एक या दो साल तक जबरदस्त रिटर्न दे सकते हैं लेकिन बाद में इनका दम निकल जाता है.

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चढ़ते हुए बाजार ऐसे फंड अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं लेकिन जब गिरावट आती है तो सबसे ज्यादा चोट इन्हीं पर पड़ती है. ऐसे फंड्स के रिटर्न में भारी उतार-चढ़ाव आता है. चूंकि माइक्रोकैप शेयर स्मॉल कैप शेयरों से भी ज्यादा जोखिम भरे होते हैं इसलिए निवेशकों के लिए यह मुफीद नहीं होगा.

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भारी जोखिम भरा है माइक्रो-कैप कंपनियों में निवेश

कोई भी माइक्रो-कैप कंपनी काफी साइक्लिक होती है और अलग-अलग जोखिमों से भी घिरी होती है. इसके अलावा भारत में फाइनेंशियल रिपोर्टिंग की जो स्थिति है उसमें इन कंपनियों की वित्तीय स्थिति का पड़ताल काफी मुश्किल है. बड़ी और मझोली कंपनियों में वापसी की अच्छी क्षमता होती है लेकिन माइक्रो-कैप कंपनियों में यह क्षमता नहीं होती. एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसा नहीं है कि स्मॉल या माइक्रो-कैप स्टॉक कंपनियों में निवेश मुनाफा नहीं देता. आखिर यही वह जगह है जहां तथाकथित मल्टीबैगर उभरते हैं. लेकिन यह भी सच है कि यह भारी जोखिम भरे भी होते हैं . याद रखें माइक्रो कैप में स्मॉल कैप से भी ज्यादा जोखिम है.

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