/financial-express-hindi/media/post_banners/FomjQnUgYBmo9hre3Yly.jpg)
When in doubt, think long-term: पैसा लगाने को लेकर कनफ्यूजन है तो अभी लांग टर्म निवेश के बारे में सोचें.
/financial-express-hindi/media/post_attachments/EJqKHOLebzwE8QYJZjnT.jpg)
When in doubt, think long-term: हम वास्तव में अभी दिलचस्प समय में रह रहे हैं. हाल ही में रेट कट को लेकर अपने पार्टनर्स के साथ एक सर्वेक्षण किया गया. यह पूछने पर कि क्या आरबीआई आगे दरों में कटौती कर सकता है. ब्याज दरों को बढ़ाया जा सकता है या उन्हें अपरिवर्तित रखे जाने की संभावना है. इसमें ज्यादातर पार्टिसिपेंट ऐसे थे, जिन्होंने कहा कि निचले स्तरों पर चल रहीं ब्याज दरें या तो और कम होंगी या उन्हें बिना बदलाव के जारी रहने दिया जाएगा. एक छोटा समूह था जो मानता है कि दर में बढ़ोत्तरी हो सकती है.
आरबीआई की बदलेगी प्राथमिकता
इस साल की शुरुआत में, जब कोविड-19 महामारी पहली बार सामने आई थी, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की पहली प्राथमिकता वित्तीय स्थिरता बनाए रखते हुए बाजारों में विश्वास सुनिश्चित करना था. रिजर्व बैंक ने सफलतापूर्वक यह लक्ष्य प्राप्त भी किया. रिजर्व बैंक अपने पहले लक्ष्य को हासिल करने के बाद अब मुद्रास्फीतिफिस्कल डेफिसिट और मुद्रा में उतार चढ़ाव जैसे अधिक पारंपरिक इकोनॉमिक इंडीकेटर्स पर ध्यान केंद्रित कर सकता है. जिससे लॉकडाउन के खुलने के साथ साथ सामान्य स्थिति बहाल हो सके.
महंगाई धीरे धीरे कम होने का अनुमान
पिछले 4 महीनों से महंगाई दर 6 फीसदी से अधिक है जो आरबीआई का थ्रेशोल्ड है. भविष्य में महंगाई का मूल्यांकन करते समय हमें दो आवश्यक कारकों पर विचार करने की आवश्यकता है. पहला पिछले महीनों में सप्लाई चेन बाधित होने की वजह से महंगाई काफी हद तक थी. हालांकि अब इकोनॉमी अब धीरे-धीरे खुल रही है, ऐसे में लॉजिस्टिक संबंधी दिक्कतें जल्द दूर हो सकती हैं. दूसरा सामान्य मानसून को खाद्य पदार्थों की कीमतें स्टेबल बनाए रखने में मदद करनी चाहिए, जो मुद्रास्फीति की टोकरी में सबसे अधिक वेटेज रखती हैं. इसलिए यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि महंगाई कुछ तिमाहियों में धीरे-धीरे नीचे आ सकती है.
रेट कट की उम्मीद
हालांकि, भले ही अभी महंगाई एक विषय है, ज्यादा चिंता इस बात की है कि आने वाले कुछ महीनों में अभी अर्थव्यवस्था की चाल सुस्त रहने वाली है. इसलिए आने वाले दिनों में आरबीआई ब्याज दरों को पॉज रख सकता है. वहीं ग्रोथ को सपोर्ट करने के लिए दरें भी कम की जा सकती हैं. इसके अलावा आरबीआई नॉन मॉनेटरी टूल्स मसलन OMO या ऑपरेशन ट्विस्ट के जरिए भी ग्रोथ को सपोर्ट करने के उपाय कर सकता है.
छोटे निवेशकों को क्या करना चाहिए?
फिर इन बातों का छोटे निवेशकों के लिए क्या मतलब है? ऐसे परिदृश्य में उन्हें क्या करना चाहिए? चूंकि ब्याज दरों के रेंज बाउंड या या निचले स्तर पर रहने की उम्मीद है, इसलिए निवेशकों को इन्वेस्टमेंट होरिजन और जोखिम वरीयता के आधार पर डेट फंड में निवेश करना जारी रखना चाहिए. लेकिन यह निवेश लांग टर्म गोल को सोचकर होना चाहिए. एक सामान्य अवलोकन है कि जहां निवेशक लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं, उनके रिटर्न बढ़ने के चांस उतने ही मजबूत हो जाते हैं.
कहां करना चाहिए निवेश
निवेशकों को बैंकिंग पीएसयू फंड, डायनेमिक बॉन्ड फंड, या मिड टु लांग टर्म फंडों में अभी पैसा लगाना चाहिए. महत्वपूर्ण बात यह है कि निवेशकों को पैसा लगाने के बाद धैर्य रखना जरूरी है. उन्हें हाई क्रेडिट क्वालिटी वाले बांड चुनने चाहिए और माके्रट बेसक्स का ध्यान रखना चाहिए.
(लेखक: महेंद्र जाजू, CIO, मिराए एसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स इंडिया)