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समाधान पोर्टल पर मौजूद आंकड़ों के मुताबिक एमएसईज ने पिछले पांच साल में 30776 करोड़ रुपये के भुगतान के लिए 1.20 लाख से अधिक आवेदन किए हैं.
Credit and Finance for MSMEs: छोटे कारोबारियों को समय से समय से पेमेंट मिले, इसके लिए करीब पांच साल पहले केंद्र सरकार ने 30 अक्टूबर 2017 को MSME Samadhan योजना शुरू किया था. एमएसएमई समाधान पोर्टल लटके पेमेंट के मुद्दे का समाधान करता है. हालांकि अब सामने आया है कि इस योजना के आने के बाद से माइक्रो व स्माल एंटरप्राइजेज (MSEs) ने 30 हजार करोड़ रुपये से अधिक के पेमेंट के लिए एप्लीकेशन डाले गए. पोर्टल पर मौजूद आंकड़ों के मुताबिक एमएसईज ने पिछले पांच साल में 30776 करोड़ रुपये के भुगतान के लिए 1.20 लाख से अधिक आवेदन किए.
केंद्र व राज्य की पीएसयूज, विभागों और अन्य खरीदारों के बकाए को लेकर जो आवेदन दाखिल हुए हैं, उसमें से 50 फीसदी या 60987 आवेदन 17,821.16 करोड़ रुपये के हैं जो अभी भी पेंडिंग है. वहीं 5,046.2 करोड़ रुपये के सिर्फ 25.4 फीसदी आवेदन ही या तो फसिलिटेशन काउंसिल द्वारा डिस्पोज किए गए या एमएसएमईज व उनके खरीदारों के बीच आपसी सहमति से सेटल कर दिए गए.
कोरोना ने और बिगाड़ी स्थिति
कोरोना महामारी के चलते स्थिति और बिगड़ी और वित्त वर्ष 2022 में कोरोना से पहले के मुकाबले लगभग दोगुना राशि के अटके पेमेंट के लिए आवेदन दाखिल हुए. वित्त वर्ष 2021-22 में 5685 करोड़ रुपये के अटके पेमेंट के समाधान के लिए आवेदन किया गया था जो वित्त वर्ष 2019-20 में 2887 करोड़ रुपये से लगभग 97 फीसदी अधिक है. वहीं वित्त वर्ष 2020-21 की बात करें तो यह आंकड़ा 5747 करोड़ रुपये था. ये आंकड़े इस महीने अगस्त 2022 की शुरुआत में एमएसएमईज स्टेट मिनिस्टर भानु प्रताप सिंह वर्मा ने संसद में जारी किया था.
बकाया चुकाने को सरकार ने क्या कदम उठाए?
वर्मा ने संसद में कहा था कि एमएसएमईज मंत्रालय ने इस मसले को केंद्रीय मंत्रालयों, सीपीएसईज और राज्य सरकारों के सामने उठाया है और उनसे एमएसईज के बकाए को चुकता करने को कहा है. मंत्री के मुताबिक एमएसएमईज के बकाए को केंद्र व राज्य सरकारों की पीएसयूज द्वारा चुकता करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं और अब राज्य सरकारों व यूनियन टेरीटरीज के मामले में भी समय से सारे मामले निपटाने के लिए आगे कोशिशें हो रही हैं.
समाधान पोर्टल पर मौजूद आंकड़ों के मुताबिक प्रोप्राइअटरशिप के खिलाफ 1,225.24 करोड़ रुपये 14,581 आवेदन फाइल किए गए. इसके बाद एमएसएमई यूनिट्स के 892.32 करोड़ रुपये के 5185 आवेदन, राज्य सरकारों के 3,144.88 करोड़ रुपये के 4,264 आवेदन और इंडिविजुअल के 208.41 करोड़ रुपये के 2,090 आवेदन फाइल हुए हैं.
(Article: Sandeep Soni)