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दुनियाभर के अमीर और दिग्गज निवेशक यह मान रहे हैं कि शेयर बाजारों के लिए साल 2020 अशांत रहने वाला है.
दुनियाभर के अमीर और दिग्गज निवेशक यह मान रहे हैं कि शेयर बाजारों के लिए साल 2020 अशांत रहने वाला है.दुनियाभर के अमीर और दिग्गज निवेशक यह मान रहे हैं कि शेयर बाजारों के लिए साल 2020 अशांत रहने वाला है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में यूबीएस ग्लोबल वेल्थ मैनेजमेंट के हवाले से कहा गया है कि ज्यादातर अगले साल के अंत तक यानी 2020 के अंत में शेयर बाजार में एक बड़ी गिरावट दिख रही है. करीब 80 फीसदी अमीर निवेशक यह मान रहे हैं कि आने वाले दिनों में बाजार में अस्थिरता बढ़ने वाली है. इन अमीरों ने सर्वे में इसके पीछे कारण भी बताए हैं. यह सर्वे अगस्त से अक्टूबर के दौरान किया गया था.
3400 अमीर निवेशकों ने लिया हिस्सा
यूबीएस वेल्थ मैनेजमेंट के इस सर्वे में कुल 3400 ऐसे अमीर निवेशकों ने हिस्सा लिया, जिनके पास निवेश करने लायक संपत्ति की वैल्यू 10 लाख डॉलर या इससे ज्यादा थी. सर्वे में शामिल ज्यादातर लोगों का अनुमान है कि अगले साल के अंत से पहले शेयर बाजार में बड़ी गिरावट आ सकती है. ज्यादातर अमीर लोगों ने अपनी संपत्ति का 25 फीसदी हिस्सा कैश में रखा हुआ है. जबकि मई में हुए सर्वे में इन अमीरों के पास 32 फीसदी हिस्सा कैश में था. इन लोगों के अनुसार, अमेरिका और चीन के बीच जारी ट्रेड वॉर दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा है. इसके अलावा अमेरिका में अगले साल होने वाले चुनाव भी बाजार पर असर डालेंगे.
2020 के अंत तक शेयर बाजारों में बड़ी गिरावट!
सर्वे में हिस्सा लेने वाले करीब 55 फीसदी निवेशकों का मानना है कि 2020 के अंत तक शेयर बाजारों में बड़ी गिरावट आ सकती है. वहीं, करीब 80 फीसदी ने यह माना कि आने वाले दिनों में शेयर बाजारों में उतार चढ़ाव बढ़ने वाला है. 60 फीसदी लागों ने माना कि वे अपने नकदी के स्तर को बढ़ाने के बारे में विचार कर रहे हैं, जबकि 62 फीसदी लोगों ने कहा कि वे अपने पोर्टफोलियो डाइवर्सिफाई करने पर जोर दे रहे हैं.
क्यों सता रहा है करेक्शन का डर
यूबीएस ग्लोबल वेल्थ मैनेजमेंट (GWM) की क्लाइंट स्ट्रैटेजी ऑफिसर पाउला पोलिटो का कहना है कि दुनियाभर में जियोपॉलिटिकल एन्वायरमेंट यानी भू-राजनीतिक माहौल में जिस तरह से तेजी से बदलाव हो रहा है, वह दुनिया भर के निवेशकों के लिए चिंता की बात है. उनका कहना है कि निवेशकों को ऐसा दिख रहा है कि ग्लोबल इंटरकनेक्टिविटी यानी बाजारों के आपस में जुड़े होने से ट्रेडिशनल बिजनेस फंडामेंटल की तुलना में उनका पोर्टफोलियो ज्यादा प्रभावित होगा.
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