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BPCL Privatisation: बीपीसीएल के लिए मिली कई बोलियां, रिलायंस समेत कोई बड़ी कंपनी दौड़ में नहीं

BPCL Privatisation: भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीएल) के निजीकरण के लिए सरकार को सोमवार को कई बोलियां मिली हैं.

BPCL Privatisation: भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीएल) के निजीकरण के लिए सरकार को सोमवार को कई बोलियां मिली हैं.

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A special purpose vehicle floated by the BSE-listed Vedanta Ltd and its London-based parent Vedanta Resources submitted an expression of interest (EoI) before the close of deadline on November 16.

A special purpose vehicle floated by the BSE-listed Vedanta Ltd and its London-based parent Vedanta Resources submitted an expression of interest (EoI) before the close of deadline on November 16.

RIL may buy stake in BPCL:  भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीएल) के निजीकरण के लिए सरकार को सोमवार को कई बोलियां मिली हैं. हालांकि, देश की इस दूसरी सबसे बड़ी ईंधन कंपनी में हिस्सेदारी खरीदने के लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज, सऊदी अरामको, बीपी और टोटल जैसी बड़ी तेल कंपनियों ने बोलियां नहीं लगाईं हैं. निवेश और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडे ने ट्वीट कर कहा कि बीपीसीएल में सरकार की 52.98 फीसदी हिस्सेदारी की खरीद में कई कंपनियों ने रुचि दिखाई है.

उन्होंने कहा कि अब दूसरे चरण में इन बोलियों का आकलन किया जाएगा. पांडे इस बिक्री का प्रबंधन देख रहे हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी ट्वीट किया कि बीपीसीएल का रणनीतिक निवेश जारी है. कई कंपनियों के रुचि दिखाने के बाद अब यह दूसरे दौर की प्रक्रिया में हैं. दोनों में किसी ने भी ना तो बोलियों की संख्या बताई और ना ही बोली लगाने वालों के नाम बताए हैं.

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इसे लेकर बाजार की निगाहें मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज पर थीं. ऐसी खबरें आ रही है कि आरआईएल बीपीसीएल में बोली लगा सकती है. वहीं ये भी चर्चा थी कि ब्रिटेन की बीपी, फ्रांस की टोटल और सउदी अरामको जैसी बड़ी कंपनियों के बोली लगाने की संभावना नहीं है. बता दें कि सरकार भारत में दूसरी सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी और मार्केटिंग कंपनी बीपीसीएल में अपनी पूरी 52.98 फीसदी हिस्सेदारी बेच रही है. मौजूदा समय सीमा 16 नवंबर है.

आरआईएल पर निगाहें

मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड पर बाजार की निगाहें हैं. वह बीपीसीएल के लिए बोली लगा सकती है. आरआईएल गुजरात के जामनगर में दुनिया के सबसे बड़े तेल शोधन परिसर का संचालन करती है और खुदरा कारोबार में विस्तार कर रही है. रिलायंस ने हाल में बीपीसीएल के पूर्व अध्यक्ष सार्थक बेहुरिया को नियुक्त किया था और कुछ हफ्ते पहले इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) के पूर्व चेयरमैन संजीव सिंह को भी नियुक्त किया था. इन नियुक्तियों को फिलहाल बीपीसीएल में बोली लगाने से जोड़कर देखा जा रहा है.

बोली लगाने का आखिरी दिन

डिपार्टमेंट आफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट यानी डीआईपीएएम सचिव तुहिन कांता पाण्डेय ने पिछले महीने न्यूज एजेंसी को बताया था कि समयसीमा को अब और नहीं बढ़ाया जाएगा. सूत्रों ने कहा कि बीपी, टोटल, रोजनेफ्ट या उसकी सहयोगी और सउदी अरब की तेल कंपनी (सउदी अरामको) कीमत को देखते हुए बोली लगाने की बहुत इच्छुक नहीं हैं. ऐसे समय में जब दुनिया परंपरागत ईंधन से हट रही है, 10 अरब अमेरिकी डॉलर की कीमत ज्यादा लग रही है. कोविड-19 महामारी ने भी पारंपरिक ईंधनों की मांग को घटाया है.

बोली की राशि वसूलने में कितना समय

सूत्रों ने कहा कि बीपीसीएल सालाना लगभग 8,000 करोड़ रुपये का लाभ कमाती है और इस गति से निवेशक को बोली की 70,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि वसूलने में 8-9 साल लगेंगे. यह अधिग्रहण उन कंपनियों के लिए अधिक फायदेमंद लगता है, जो कारोबार के साथ ही परिचालन क्षमता और मौजूदा कारोबार के साथ तालमेल के जरिए लाभ को बढ़ा सकती हैं.

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