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Wipro Share Buyback: विप्रो का सबसे बड़ा बायबैक ऑफर, क्या कमजोर आउटलुक के बीच 19% प्रीमियम पर बेच दें शेयर

Share Buyback: Wipro ने जिस 12,000 करोड़ रुपये के शेयर बायबैक की घोषणा की, वह बायबैक साइज के मामले में सबसे बड़ा है.

Share Buyback: Wipro ने जिस 12,000 करोड़ रुपये के शेयर बायबैक की घोषणा की, वह बायबैक साइज के मामले में सबसे बड़ा है.

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Sushil Tripathi
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Buyback: ईटी सर्विसेज कंपनी Wipro ने एक बार फिर शेयर बॉय बैक का एलान किया है. (reuters)

Wipro Share Buyback: देश की दिग्गज इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी सर्विसेज कंपनी Wipro ने एक बार फिर शेयर बॉय बैक का एलान किया है. कंपनी शेयरधारकों से अपने ही शेयर वापस खरीदेगी. कंपनी के बोर्ड ने मार्च तिमाही के नतीजों का एलान करते हुए 12000 करोड़ के शेयर बॉयबैक आफर को मंजूरी दी है, जो अबतक का सबसे बड़ा बायबैक होगा. Wipro शेयर बायबैक प्रोग्राम के तहत 26.96 करोड़ शेयरों को 445 रुपये के भाव पर खरीदेगी. ये शेयर कंपनी के कुल शेयरों के 4.91 फीसदी होंगे. फिलहाल बायबैक के एलान का बाजार ने स्वागत किया है और आज Wipro के शेयरों में 3 फीसदी तेजी आई और यह 388 रुपये पर पहुंच गया. सवालज उठता है कि अगर आपके पास कंपनी के शेयर हैं तो क्या बायबैक्आ में उसे बेचना चाहिए. इसका शेयर और निवेशकों के लिए क्या मायने हैं.

19 फीसदी प्रीमियम पर बायबैक ऑफर

Wipro के बोर्ड ने 445 रुपये के भाव पर कंपनी के शेयर बायबैक को मंजूरी दी है. जब बायबैक का एलान किया गया तो उस समय शेयर का भाव 374 रुपये था. इस लिहाज से करंट प्राइस पर बायबैक में भाग लेने पर हर शेयर पर 19 फीसदी रिटर्न मिलेगा.

8 साल में 45500 करोड़ बायबैक

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Wipro ने जिस 12,000 करोड़ रुपये के शेयर बायबैक की घोषणा की, वह बायबैक साइज के मामले में सबसे बड़ा है. अगर 2016 के बाद से बेंगलुरु स्थित आईटी फर्म द्वारा घोषित पिछले 4 शेयर बायबैक शामिल किए जाएं तो कंपनी द्वारा 8 साल में घोषित कुल बायबैक 45,500 करोड़ रुपये है. विप्रो पिछली बार 2020 में 9500 करोड़ रुपये के शेयर बायबैक ले आई थी. तब कंपनी ने 400 रुपये में 23.75 करोड़ शेयर वापस खरीदे थे.

शेयर धारक हैं तो क्या करें?

एक्सपर्ट का मानना है कि जिन निवेशकों का Wipro में निवेश का लक्ष्य छोटी अवधि का है, उनके लिए शेयर बायबैक आफर रिटर्न कमाने का अच्छा मौका है. वैसे भी तिमाही नतीजों के बाद ज्यादातर एक्सपर्ट या जानकार नियर टर्म में शेयर पर दबाव रहने की बात कर रहे हैं. ब्रोकरेज हाउस का मानना है कि आगे कुछ दिनों तक शेयर में गिरावट देखने को मिल सकती है. ब्रोकरेज हाउस मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट के अनुसार कंपनी ने बायबैक का साइज बड़ा रखा है. 12000 करोड़ और टैक्स सहित 14800 करोड़ का होगा. यह कंपनी के कैश और इन्वेस्टमेंट के महत्वपूर्ण हिस्से को खत्म कर देगा और FY24/25E से अधिक पेमेंट को बनाए रखने की इसकी क्षमता को प्रभावित कर सकता है.

शेयर में नियर टर्म में आएगी गिरावट

ब्रोकरेज हाउस मोतीलाल ओसवाल ने Wipro में न्‍यूट्रल रेटिंग दी है. शेयर के लिए 360 रुपये का टारगेट दिया है, जबकि करंट प्राइस 374 रुपये है, यानी इसमें 4 फीसदी कमजोरी आ सकती है. ब्रोकरेज हाउस कोटक इंस्‍टीट्यूशनल इक्विटीज ने भी Wipro में “reduce” रेटिंग दी है और 360 रुपये का टारगेट दिया है जो करंट प्राइस से कम है. ब्रोकरेज हाउस निर्मल बंग ने Nirmal Bang Wipro में “sell” रेटिंग दी है और 350 रुपये का टारगेट दिया है. ऐसे में शॉर्ट टर्म के लिए बायबैक का फायदा ले सकते हैं.

क्या होता है शेयर बायबैक

कंपनी जब अपने ही शेयर निवेशकों से खरीदती है तो इसे बायबैक कहते हैं. आप इसे आईपीओ का उलट भी मान सकते हैं. बायबैक की प्रक्रिया पूरी होने के बाद इन शेयरों का वजूद खत्म हो जाता है. बायबैक के लिए मुख्यत: दो तरीकों-टेंडर ऑफर या ओपन मार्केट का इस्तेमाल किया जाता है.

बायबैक का शेयर पर असर

बायबैक का कंपनी और उसके शेयर पर कई तरह से असर पड़ता है. शेयर बाजार में ट्रेडिंग के लिए मौजूद कंपनी के शेयरों की संख्या घट जाती है. इससे प्रति शेयर आय (ईपीएस) बढ़ जाती है. शेयर का पीई भी बढ़ जाता है. इससे कंपनी के कारोबार में कोई बदलाव नहीं आता है.

कंपनियां क्यों करती हैं बायबैक

इसकी सबसे बड़ी वजह कंपनी की बैलेंसशीट में अतिरिक्त नकदी का होना है. कंपनी के पास बहुत ज्यादा नकदी का होना अच्छा नहीं माना जाता है. इससे यह माना जाता है कि कंपनी अपने नकदी का इस्तेमाल नहीं कर पा रही है. शेयर बायबैक के जरिए कंपनी अपने अतिरिक्त नकदी का इस्तेमाल करती है. कई बार कंपनी को यह लगता है कि उसके शेयर की कीमत कम है (अंडरवैल्यूड) तो वह बायबैक के जरिए उसे बढ़ाने की कोशिश करती है.

क्या है प्रक्रिया

सबसे पहले कंपनी का बोर्ड शेयर बायबैक के प्रस्ताव को मंजूरी देता है. इसके बाद कंपनी बायबैक के लिए कार्यक्रम का एलान करती है. इसमें रिकार्ड डेट और बायबैक की अवधि का जिक्र होता है. रिकॉर्ड डेट का मतलब यह है कि उस दिन तक जिन निवेशकों के पास कंपनी के शेयर होंगे, वे बायबैक में हिस्सा ले सकेंगे. बायबैक का कंपनी और उसके शेयर पर कई तरह से असर पड़ता है. शेयर बाजार में ट्रेडिंग के लिए मौजूद कंपनी के शेयरों की संख्या घट जाती है. इससे प्रति शेयर आय (ईपीएस) बढ़ जाती है. शेयर का पीई भी बढ़ जाता है. इससे कंपनी के कारोबार में कोई बदलाव नहीं आता है.

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