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YES बैंक के ग्राहक नेट बैंकिंग के जरिए न तो ट्रांजैक्शन कर पा रहे हैं, न हीं बैंक के ATM से ही पैसे निकल रहे हैं. (Reuters)
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संकटग्रस्त यस बैंक (Yes Bank) पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की पाबंदी के बाद बैंक के ग्राहकों में खलबली मच गई है. यस बैंक के ग्राहक नेट बैंकिंग के जरिए न तो ट्रांजैक्शन कर पा रहे हैं नहीं बैंक के एटीएम से ही पैसे निकल रहे हैं. सबसे ज्यादा सैलरी अकाउंट वाले ग्राहकों को हो रही है. उधर, ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म JP Morgan और Macquarie ने Yes bank के शेयर का लक्ष्य घटकर 1 रुपये कर दिया है. दरअसल, गुरुवार को आरबीआई ने यस बैंक पर उसके निदेशक मंडल को भंग कर दिया और मैनेजमेंट को टेकओवर भी कर लिया. इसके लिए SBI के पूर्व CFO प्रशांत कुमार एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त किया है. साथ ही यस बैंक पर 3 अप्रैल तक 50 हजार रुपये तक की विद्ड्रॉअल लिमिट लगा दी गई है. यानी, इस अवधि में बैंक के ग्राहक 50,000 रुपये ज्यादा नहीं निकाल पाएंगे. यस बैंक पर रोक की खबर मिलते ही उसके एटीएम पर ग्राहकों की भीड़ जुटी है. बैंक की नेट बैंकिंग और ATM सेवा भी बंद कर दी गई है.
जानकारी के अनुसार, यस बैंक संकट पर वित्त मंत्रालय की नजर बनी हुई है. इस मामले की प्रधानमंत्री कार्यालय को भी लगातार जानकारी दी जा रही है. यस बैंक से विद्ड्रॉअल पर रोक के असर को कम करने के प्रयास किये जा रहे हैं. इसके लिए रिजर्व बैंक से वित्त मंत्रालय लगातार संपर्क में है.
बहुत तेजी से कर लिया जाएगा समाधान: RBI गवर्नर
यस बैंक पर मौजूदा समय में रोक लगाने के निर्णय का बचाव करते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि बैंक से जुड़े मुद्दों का समाधान बहुत जल्दी कर लिया जाएगा. हमने इस पर रोक के लिए 30 दिन की समय सीमा तय की है. रिजर्व बैंक की ओर से इस दिशा में आप बहुत जल्द कार्रवाई होते देखेंगे. दास ने कहा कि बैंक के प्रबंधन को एक विश्वसनीय पुनरोद्धार योजना तैयार करने के लिए पूरा अवसर दिया गया. बैंक ने प्रयास भी किए, लेकिन जब हमें लगा कि हम और इंतजार नहीं कर सकते और हमें और इंतजार नहीं करना चाहिए तो हमने हस्तक्षेप का निर्णय किया.
उन्होंने कहा कि यस बैंक पर रोक लगाने का निर्णय किसी एक इकाई को ध्यान में रखकर नहीं किया गया. बल्कि यह निर्णय देश के बैंकिंग क्षेत्र और वित्तीय प्रणाली की सुरक्षा और स्थिरता को बनाए रखने के व्यापक संदर्भ को लक्ष्य करके किया गया है. उन्होंने विश्वास दिलाया कि बैंकिंग क्षेत्र पूरी तरह से सुचारू और सुरक्षित बना रहेगा.
YES बैंक शेयर पर 1 रुपये का लक्ष्य
यस बैंक के शेयरों पर ब्रोकरेज हाउसेस की रेटिंग और टारगेट दोनों ही बदल गए हैं. ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म JP Morgan ने यस बैंक पर अंडरवेट रेटिंग दी और शेयर का टारगेट 55 रुपये से घटाकर 1 रुपये कर दिया है. ब्रोकरेज फर्म का कहना है कि बैंक की नेटवर्थ बिगड़ी है जिसकी वजह से नई कैपिटल कम भाव पर आएगी.
वहीं, Macquarie ने यस बैंक पर कहा है कि इसकी नेटवर्थ खत्म हो गई है और SBI समेत दूसरे बैंक को 1 रुपये में इसका अधिग्रहण करना चाहिए. UBS ने यस बैंक पर बिकवाली की सलाह दी है और लक्ष्य को 20 रुपये तय किया है.
ग्राहकों को घबराने की जरूरत नहीं: RBI
रिजर्व बैंक ने गुरुवार देर शाम जारी बयान में कहा, ‘‘केंद्रीय बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि विश्वसनीय पुनरोद्धार योजना के अभाव, सार्वजनिक हित और बैंक के जमाकर्ताओं के हित में उसके सामने बैंकिंग नियमन कानून, 1949 की धारा 45 के तहत रोक लगाने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं है. इसने साथ में यस बैंक के जमाकर्ताओं को यह आश्वासन भी दिया कि उनके हितों की पूरी तरह रक्षा की जाएगी और उन्हें घबराने की कोई जरूरत नहीं है.''
SBI, LIC बचा लेंगे यस बैंक!
सरकार ने एसबीआई और एलआईसी समेत अन्य वित्तीय संस्थानों को येस बैंक को उबारने की अनुमति दी थी. यदि इस योजना का क्रियान्वयन होता है तो कई वर्षों में यह पहला मौका होगा जबकि निजी क्षेत्र के किसी बैंक को जनता के धन के जरिये संकट से उबारा गया. इससे पहले 2004 में ग्लोबल ट्रस्ट बैंक का ओरियंटल बैंक आफ कॉमर्स में विलय किया गया था.
2006 में आईडीबीआई बैंक ने यूनाइटेड वेस्टर्न बैंक का अधिग्रहण किया था. इससे करीब छह माह पहले रिजर्व बैंक ने बड़ा घोटाला सामने आने के बाद शहर के सहकारी बैंक पीएमसी बैंक के मामले में भी इसी तरह का कदम उठाया गया था. गुरुवार देर रात SBI बोर्ड ने यस बैंक में हिस्सा लेने को मंजूरी दी है. बोर्ड ने बैंक को निवेश के मौके तलाशने को मंजूरी दी है.
यस बैंक कैसे डूबा?
यस बैंक को 2018 में आरबीआई ने डूबत खाता यानी NPA और बैलेंसशीट में अनियमितता पर चेताया था. केंद्रीय बैंक ने यस बैंक चेयरमैन राणा कपूर को पद से जबरन हटाया था. 2019 में Moodys ने YES BANK पर रेटिंग डाउनग्रेड करके 'जंक' कर दी थी. वहीं 2019 में मैनेजमेंट में बदलाव से भी हालात बिगड़े थे.
इसके अलावा निवेशक लाने की कोशिशें भी लगातार फेल होती गई. फंड की किल्लत से जूझ रहे यस बैंक के भविष्य पर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं. इस संकट के चलते प्राइवेट बैंक ने अपने दिसंबर 2019 के तिमाही नतीजों को भी टाल दिया है.