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भारत सरकार ने सेना, नौसेना और वायुसेना में सैनिकों की भर्ती के लिए एक नई स्कीम ‘अग्निपथ योजना’ का ऐलान किया है.
Agnipath Scheme: भारत सरकार ने सेना, नौसेना और वायुसेना में सैनिकों की भर्ती के लिए एक नई स्कीम ‘अग्निपथ योजना’ का ऐलान किया है. इस स्कीम के तहत, बढ़ते वेतन और पेंशन खर्च को कम करने के लिए संविदा के आधार पर शॉर्ट टर्म के लिए सैनिकों की भर्ती की जाएगी. केंद्र सरकार ने एलान किया है कि इस स्कीम के तहत 75% जवानों की भर्ती महज 4 साल के लिए की जाएगी. योजना के तहत भर्ती होने वाले सैनिकों को अग्निवीर कहा जाएगा. सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडल समिति (CCS) की बैठक में नई योजना को मंजूरी मिल जाने के थोड़ी देर बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसका ऐलान किया.
इस योजना के तहत, हर साल भर्ती किए जाने वाले 45,000 से 50,000 जवानों में केवल 25 फीसदी को ही अगले 15 वर्षों के लिए दोबारा सेवा में रखा जाएगा. इन 25 फीसदी जवानों को भी रिटायरमेंट बेनिफिट का हिसाब लगाते समय 4 साल के शुरुआती सेवाकाल का लाभ नहीं दिया जाएगा. इस कदम से डिफेंस पेंशन बिल में काफी कमी आएगी, जो कई सालों से सरकारों के लिए बड़ी चिंता की बात रही है.
वेतन और पेंशन खर्च को कम करना है मकसद
ध्यान देने वाली बात यह है कि इस स्कीम के तहत, 17 साल के मुकाबले 4 साल की अवधि के लिए नौकरी देने पर एक सैनिक पर सरकार के 11.5 करोड़ रुपये बचेंगे. इसका मतलब है कि नए स्कीम के तहत सरकार की एक सैनिक के पीछे 11.5 करोड़ रुपये की बचत होगी. नई स्कीम का मकसद वेतन और पेंशन खर्च को कम करना है, जो तेजी से बढ़ा है. वर्ष 2022-23 के लिए 5,25,166 करोड़ रुपये के रक्षा बजट में डिफेंस पेंशन के लिए 1,19,696 करोड़ रुपये शामिल हैं. राजस्व व्यय के लिए 2,33,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था. राजस्व व्यय में वेतन के भुगतान और प्रतिष्ठानों के रख-रखाव पर खर्च शामिल है. सिंह ने कहा, ‘‘अग्निपथ भर्ती योजना एक क्रांतिकारी पहल है जो सशस्त्र बलों को एक युवा ‘प्रोफाइल’ पहचान करेगी.’’ सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने कहा, ‘‘अग्निपथ स्कीम का मकसद सशस्त्र बलों में भर्ती में बड़ा बदलाव लाना है.’’
भर्ती प्रक्रिया में इस बदलाव से सैनिकों की भर्ती शुरू में 4 साल की अवधि के लिए होगी, लेकिन उनमें से कुछ को बरकरार रखा जाएगा. रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘अग्निपथ स्कीम के तहत भारतीय युवाओं को सशस्त्र बलों में ‘अग्निवीर’ के रूप में सेवा देने का अवसर मिलेगा.’’ मंत्री ने आगे कहा कि सरकार के इस कदम से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और चार साल की सर्विस के दौरान प्राप्त स्किल्स और एक्सपीरियंस के चलते ऐसे सैनिकों को विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार मिलेगा.
सरकार का कहना है कि इस फैसले से सेना में युवाओं की तादाद बढ़ेगी और उनमें जोश व जज्बा भी बढ़ेगा. अनुमान है कि इस स्कीम से भारतीय सशस्त्र बलों की औसत आयु लगभग 4-5 वर्ष कम हो जाएगी. ‘अग्निपथ’ स्कीम, जिसे पहले ‘टूर ऑफ ड्यूटी’ नाम दिया गया था, की शुरुआत तीनों सेनाओं के प्रमुखों की उपस्थिति में किया गया. पिछले दो साल में इस पर विचार के बाद नई योजना की घोषणा की गई है. इस स्कीम के तहत भर्ती होने वाले सैनिकों को ‘अग्निवीर’ कहा जाएगा. वर्तमान में सेना 10 साल के शुरुआती कार्यकाल के लिए ‘शॉर्ट सर्विस कमीशन’ के तहत युवाओं की भर्ती करती है, जिसे 14 साल तक बढ़ाया जा सकता है.
ये लोग कर सकेंगे अप्लाई
यह स्कीम केवल अधिकारी रैंक से नीचे के कर्मियों के लिए है (जो कमीशन अधिकारी के रूप में सेना में शामिल नहीं होते हैं). इसमें 17.5 वर्ष से 21 वर्ष की आयु के उम्मीदवार आवेदन करने के लिए पात्र होंगे. भर्ती रैलियों के माध्यम से साल में दो बार की जाएगी. एक बार चुने जाने के बाद, उम्मीदवारों को छह महीने के लिए ट्रेनिंग दिया जाएगा और फिर उन्हें साढ़े तीन साल के लिए तैनात किया जाएगा. इस अवधि के दौरान, उन्हें अतिरिक्त बेनिफिट के साथ 30,000 रुपये का प्रारंभिक वेतन मिलेगा, जो चार साल की सेवा के अंत तक 40,000 रुपये हो जाएगा.
4 साल के लिए रखे जाएंगे 75% जवान
अहम बात यह है कि इस अवधि के दौरान, उनके वेतन का 30 फीसदी हिस्सा एक सेवा निधि प्रोग्राम के तहत अलग रखा जाएगा. सरकार हर महीने एक समान राशि का डालेगी और उस पर ब्याज भी मिलेगा. चार साल की अवधि के अंत में, प्रत्येक सैनिक को एकमुश्त राशि के रूप में 11.71 लाख रुपये मिलेंगे, जो टैक्स फ्री होगा. उन्हें चार साल के लिए 48 लाख रुपये का जीवन बीमा कवर भी मिलेगा. मृत्यु की स्थिति में भुगतान न किए गए कार्यकाल के लिए वेतन सहित 1 करोड़ रुपये से अधिक की राशि मिलेगी. हालांकि, चार साल के बाद बैच के केवल 25 फीसदी लोगों को उनकी संबंधित सेवाओं में 15 साल की अवधि के लिए वापस भर्ती किया जाएगा.
बता दें कि रक्षा मंत्रालय द्वारा 28 मार्च को संसद के साथ साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, सेना में जूनियर कमीशंड अधिकारियों और अन्य रैंकों के लिए एक लाख से अधिक पद खाली हैं. साल 2017, 2018 और 2019 में प्रत्येक वर्ष 90 से अधिक भर्ती रैलियां आयोजित की गईं, वहीं 2020-2021 में केवल 47 भर्ती रैलियां आयोजित की गईं और महामारी के कारण 2021-2022 में केवल चार भर्ती रैलियां की गईं.
(इनपुट- पीटीआई, इंडियन एक्सप्रेस)