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देश भर में इंजीनियरिंग कॉलेजों के बंद होने और क्षमता में कटौती के चलते अब इन कॉलेजों में सीटों की संख्या पिछले दस साल में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई हैं.
Engineering Seats down to lowest in a decade: इंजीनियरिंग के बाद भी रोजगार न मिलने की गारंटी के चलते इसके प्रति स्टूडेंट्स का क्रेज घट रहा है. इसी वजह से इसकी सीटें दशक के सबसे निचले स्तर तक लुढ़क गई हैं. 2015-16 से लगातार इंजीनियरिंग कॉलेज बंद होने के लिए आवेदन कर रहे हैं और इंजीनियरिंग सीटें भी कम हो रही हैं. ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (AICTE) के लेटेस्ट डेटा के मुताबिक अब देश भर में अंडरग्रेजुएट, पोस्टग्रेजुएट और डिप्लोमा लेवल की इंजीनियरिंग सीटें घटकर 23.28 लाख रह गई हैं. इस साल की बात करें तो इंस्टीट्यूट बंद होने और एडमीशन कैपेसिटी में गिरावट के चलते 1.46 लाख सीटें कम हुई हैं.
इस गिरावट के बावजूद अभी भी तकनीकी शिक्षा के मामले में इंजीनियरिंग टॉप पर है और टेक सीट्स में 80 फीसदी सीटें इंजीनियरिंग की हैं. टेक सीट्स में इंजीनियरिंग, ऑर्किटेक्चर, मैनेजमेंट, होटल मैनेजमेंट, और फार्मेसी को भी शामिल किया जाता है. देश भर में टेक सीट्स में 80 फीसदी इंजीनियरिंग की हैं लेकिन कमजोर इंफ्रा, लैब्स व फैकल्टी की कमी के साथ-साथ इंडस्ट्री के साथ कॉलेजों का जुड़ाव न होने और तकनीकी इकोसिस्टम न बन पाने के चलते इंजीनियरिंग स्नातकों को रोजगार में दिक्कतें आ रही हैं. पिछले कुछ वर्षों में आर्थिक वृद्धि की सुस्त रफ्तार के चलते इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स को मौके कम मिल रहे हैं.
2014-15 में 32 लाख सीटें थीं इंजीनियरिंग में
देश भर के एआईसीटीई से स्वीकृत संस्थानों में 2014-15 में करबी 32 लाख इंजीनियरिंग सीटें थीं. इंजीनियरिंग को लेकर घटते क्रेज के चलते करीब सात साल पहले कई इंजीनियरिंग कॉलेजों को बंद करने की नौबत आ पड़ी और तब से अब तक करीब 400 इंजीनियरिंग स्कूल्स बंद हो चुके हैं. पिछले साल को छोड़कर जब कोरोना महामारी के चलते पूरी व्यवस्था गड़बड़ हो गई थी, 2015-16 से लेकर हर साल कम से कम 50 इंजीनियरिंग संस्थान बंद हुए हैं. इस साल भी 63 संस्थानों को बंद करने की एआईसीटीई से मंजूरी मिल गई है.
दिसंबर 2017 में इंडियन एक्सप्रेस ने जानकारी दी थी कि 2016-17 में देश भर के 3291 इंजीनियरिंग कॉलेजों में 15.5 लाख अंडरग्रेजुएट सीट्स में 51 फीसदी खाली रह गई थीं.
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पांच साल के निचले स्तर पर नए कॉलेजों का अप्रूवल
देश भर में नए इंजीनियरिंग कॉलेजों के लिए एआईसीटीई का अप्रूवल भी पांच साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है. एआईसीटीई ने 2019 में 2020-21 में नए संस्थानों के लिए दो साल के मोरेटोरियम का ऐलान किया था जिसका संस्तुति आईआईटी हैदराबाद के चेयरमैन बीवीआर मोहन रेड्डी के नेतृत्व में बनी सरकारी समिति ने दी थी. 2021-22 में एआईसीटीई ने 54 नए इंजीनियरिंग संस्थानों को मंजूरी दी है. एआईसीटीई के चेयरमैन अनिल सहस्रबुद्धे के मुताबिक ये अप्रूवल पिछड़े जिलों के लिए और राज्य सरकार द्वारा नए संस्थान शुरू करने के अनुरोध पर दिए गए हैं. मोरेटोरियम शुरू होने से पहले एआईसीटीई ने 2017-18 में 143, 2018-19 में 158 औऱ 2019-20 में 153 नए संस्थानों को मंजूरी दी थी. दो साल के मोरेटोरियम के ऐलान के कुछ हफ्तों बाद एआईसीटीई ने जिन कोर्सेज में कम प्रवेश हुए, उनकी सीटों की संख्या अकादमिक वर्ष 2018-19 से आधी करने का फैसला किया था.
(सोर्स: इंडियन एक्सप्रेस)