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कोरोना महामारी के चलते रोजगार पर नकारात्मक असर पड़ा था लेकिन अब इकॉनमी धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही हैं. इसके बावजूद यह आशंका बनी हुई है कि अगर कोरोना का कोई नया वैरिएंट आता है तो फिर से झटके लग सकते हैं. (Image- Pixabay)
कोरोना महामारी के चलते रोजगार पर नकारात्मक असर पड़ा था लेकिन अब इकॉनमी धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही हैं. इसके बावजूद यह आशंका बनी हुई है कि अगर कोरोना का कोई नया वैरिएंट आता है तो फिर से झटके लग सकते हैं. हालांकि एक सर्वे के मुताबिक कई सेक्टरों के 73 फीसदी एग्जेक्यूटिव लेवल मैनेजर्स और एंप्लाई मानते हैं कि कोरोना के नए वैरिएंट का हायरिंग पर असर नहीं पड़ेगा. देश भर में कोरोना के केसेज कम हो रहे हैं तो ऐसे में सर्वे में शामिल 73 फीसदी लोगों का मानना है कि कोरोना की नई लहर का हायरिंग पर असर नहीं होगा लेकिन जीनियस कंसल्टेंट्स के सर्वे में 27 फीसदी लोग भविष्य को लेकर अभी भी अनिश्चित हैं.
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कई सेक्टर्स में ऑनलाइन हुआ था सर्वे
जीनियस कंसल्टेंट्स के इस सर्वे में कई सेक्टर्स के 1768 सी-सुइट एग्जेक्यूटिव्स और एंप्लाइज शामिल हुए थे. सर्वे में शामिल लोग बैंकिंग एंड फाइनेंस, एचआर सॉल्यूशंस, इंजीनियरिंग, एजुकेशन, एफएमसीजी, हॉस्पिटैलिटी, एचआर सॉल्यूशंस, आईटी, आईटीईएस व बीपीओ, लॉजिस्टिक्स, मैन्यूफैक्चिरिंग, मीडिया, तेल व गैस और फार्मा से रहे. सी-सुइट एग्जेक्यूटिव्स का मतलब किसी कंपनी के एग्जेक्यूटिव लेवल मैनेजर्स से है जैसे कि चीफ एग्जेक्यूटिव ऑफिसर (सीईओ), चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (सीएफओ), चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (सीओओ) और चीफ इंफॉर्मेशन ऑफिसर (सीआईओ).
केसेज बढ़ने पर हाइब्रिड वर्क मॉडल अपना सकती हैं कंपनियां
सर्वे में शामिल 69 फीसदी लोगों के मुताबिक नए वैरिएंट के चलते जॉब इउनसिक्योरिटी में बढ़ोतरी के आसार नहीं हैं. हालांकि उनकी मानना है कि राज्य अगर रिस्ट्रिक्शंस व लॉकडाउन लगाते हैं तो कारोबार प्रभावित होगा और इसके चलते सैलरी में कटौरी और छंटनी हो सकती है. सर्वे में जब यह पूछा गया कि अगर नया वैरिएंट खतरनाक निकला तो 71 फीसदी से अधिक लोगों ने उम्मीद जताई कि यह अधिक गंभीर नहीं होगा क्योंकि ओमिक्रॉन वैरिएंट के दौरान हॉस्पिटलाइजेशन कम रहा और रिकवरी रेट भी अधिक रही जो उत्साहजनक रहा. 64 फीसदी लोगों का मानना है कि अधिकतर कंपनियां कोरोना केसेज बढ़ने की स्थिति में हाइब्रिड वर्क मॉडल्स को प्रोत्साहित कर सकती हैं.
(Input: PTI)