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6K seats vacant, exam body slashes NEET-PG cut-off by 15 percentile
NEET-PG 2021: नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन (NBE) ने NEET-PG कट-ऑफ को 15 प्रतिशत तक कम कर दिया है. ऐसा मेडिकल में पोस्टग्रेजुएट कोर्स के लिए 6,000 से अधिक सीटों को भरने के लिए किया गया है. इस कदम का मकसद सीटों की बर्बादी को रोकना है. NBE के अनुसार, NEET-PG कट-ऑफ को जनरल कैटेगरी के छात्रों के लिए 35 पर्सेंटाइल, दिव्यांग व्यक्तियों के लिए 30 पर्सेंटाइल और एससी, एसटी या ओबीसी उम्मीदवारों के लिए 25 पर्सेंटाइल तक कम किया गया है. NBE देश में इन पीजी कोर्सेज के लिए क्वालिफिकेशन टेस्ट NEET-PG आयोजित करता है.
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साल 2021 में 6,266 सीटें रह गईं थीं खाली
देश भर में सिर्फ 42,000 पीजी सीटों के लिए, लगभग 1.5 लाख डॉक्टर MBBS डिग्री और एक साल की अनिवार्य इंटर्नशिप पूरी करने के बाद NEET-PG के लिए आवेदन करते हैं. हालांकि, NBE के अनुसार पीजी कोर्सेज के लिए आवेदन करने वाले डॉक्टरों की संख्या भले ही सीटों की संख्या से तीन गुना ज्यादा है, लेकिन इसके बावजूद साल 2021 में अंतिम NEET-PG मॉप-अप राउंड में 6,266 सीटें खाली रह गई हैं. लोकसभा में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, 2020 में कुल मिलाकर 1,425 पीजी सीटें काउंसलिंग के मॉप-अप राउंड के बाद भी खाली रही गई थीं.
शनिवार को जारी स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देशों के बाद टेस्टिंग अथॉरिटी ने कट-ऑफ में बदलाव है. मेडिकल काउंसलिंग कमेटी के मेंबर सेक्रेटरी डॉ बी श्रीनिवास ने NBE के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर डॉ मीनू बाजपेयी को लिखे एक पत्र में कहा, “उचित चर्चा और विचार-विमर्श के बाद, MoHFW द्वारा NMC के परामर्श से कट-ऑफ को कम करने का निर्णय लिया गया है. इसे ध्यान में रखते हुए आपसे अनुरोध है कि कृपया संशोधित नतीजे घोषित करें और नए योग्य उम्मीदवारों के रिवाइज्ड रिजल्ट डेटा भेजें.
डॉक्टरों ने इस कदम का किया स्वागत
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इस कदम का डॉक्टरों के संघों ने स्वागत किया है, उन्होंने पहले भी इसी तरह की मांग की थी. फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (FAIMA) के अध्यक्ष डॉ रोहन कृष्णन ने कहा, “यह सरकार का एक अच्छा और जरूरी कदम है. इस साल, कोविड -19 के कारण परीक्षा में दो बार देरी हुई और इस बीच कई (डॉक्टरों) ने कोविड वार्डों में काम किया. वे भी इससे संक्रमित हुए और कुछ ने तो अपने परिवार के सदस्यों को भी खो दिया.” उन्होंने आगे कहा, "हमें अभी और डॉक्टरों की जरूरत है, 6,000 से ज्यादा सीटें खाली नहीं छोड़ी जा सकतीं." पीजी छात्र संबंधित अस्पतालों में जूनियर रेजिडेंट के रूप में भी काम करते हैं.