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मानसिक दबाव के चलते कर्मचारी ले रहे हैं छुट्टी, कंपनियों पर 1400 करोड़ डॉलर का बढ़ा बोझ

वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेश (WHO) के मुताबिक, दुनियाभर में मानसिक स्वास्थ्य की समस्या के मामलों में भारत की हिस्सेदारी करीब 15 फीसदी है.

वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेश (WHO) के मुताबिक, दुनियाभर में मानसिक स्वास्थ्य की समस्या के मामलों में भारत की हिस्सेदारी करीब 15 फीसदी है.

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FE Hindi Desk
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मानसिक दबाव के चलते कर्मचारी ले रहे हैं छुट्टी, कंपनियों पर 1400 करोड़ डॉलर का बढ़ा बोझ

खराब मानसिक स्थिति के कारण कर्मचारियों द्वारा बार-बार छुट्टी लेने, उनके परफार्मेंस में लगातार हो रही गिरावट और नौकरी छोड़ देने से भारतीय कंपनियों पर सालाना लगभग 14 अरब डॉलर का बोझ बढ़ रहा है. यह जानकारी डेलॉयट (Deloitte) के मेंटल हेल्थ सर्वे (Mental Health Survey) रिपोर्ट से सामने आई है. बीते कुछ सालों में मानसिक स्वास्थ्य की समस्या के मामले दुनियाभर में तेजी से बढ़े हैं. कोरोना महामारी के आने के साथ इसमें और बढ़ोतरी हुई है. वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेश (WHO) के मुताबिक, दुनियाभर में मानसिक स्वास्थ्य की समस्या के मामलों में भारत की हिस्सेदारी करीब 15 फीसदी है. डेलॉयट टच तोहमात्सु इंडिया (Deloitte Touche Tohmatsu India LLP-DTTILLP) ने एक बयान में कहा है कि भारतीय कर्मचारियों के बीच मानसिक स्वास्थ्य की समस्या की मौजूदा स्थिति का पता लगाने को लेकर मेंटल हेल्थ एंड वेल-बीइंग इन द वर्कप्लेस (Mental health and well-being in the workplace) नाम से एक सर्वे कराया गया.

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मानसिक स्वास्थ्य की समस्या के क्या हैं कारण

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एक बयान के मुताबिक इस सर्वे में शामिल लगभग 47 फीसदी प्रोफेशनल्स ने अपनी मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ने के कारण वर्किंग प्लेस पर होने वाले तनाव (Stress) को बताया है साथ ही इसके लिए उन्होंने वित्तीय संकट और कोरोना से जुड़ी चुनौतियों को भी जिम्मेदार ठहराया है. सर्वे के मुताबिक मानसिक तनाव कई तरह से सामने आते हैं और ये हर किसी शख्श के पर्सनल लाइफ व प्रोफेशनल लाइफ दोनों को प्रभावित करते हैं. आमतौर पर इससे सामाजिक और आर्थिक दोनों तरह के पहलु जुड़े होते है. डेलॉयट के मुताबिक कर्मचारियों के खराब मानसिक स्वास्थ्य के कारण रोजाना के तनावों से निपटने पर पड़ने वाले असर और काम के माहौल के हिसाब से खुद को पूरी तरह जोड़ नहीं पाने से ये लागत समय के साथ-साथ बढ़ती जाती है. सर्वे के अनुसार, पिछले एक साल के दौरान 80 फीसदी कर्मचारियों ने मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या होने जानकारी दी है.

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मानसिक समस्या के बारे में बताने से बचते हैं लोग

मानसिक स्वास्थ्य के मामले से जुड़ा आकड़ा बेहद खराब होने बावजूद भी समाज में इस पर खुलकर चर्चाएं नहीं हो रही हैं. खराब मानसिक स्थिति की समस्या से जूझ रहे लोग भय के कारण अपनी समस्या को बताने से बचते हैं. सर्वे के मुताबिक मानसिक समस्या से जूझ रहे लगभग 39 फीसदी लोग उससे छुटकारा पाने के लिए जरूरी कदम नहीं उठाते हैं.

खराब मानसिक स्थिति के बावजूद भी 33 फीसदी कर्मचारी करते हैं काम

इस सर्वे में शामिल 33 फीसदी उत्तरदाता खराब मानसिक स्थिति के बावजूद भी वर्कप्लेस पर लगातार काम करते रहे. जबकि 29 फीसदी कर्मचारियों ने छुट्टियां लीं और 20 फीसदी कर्मचारियों ने काम छोड़ दिया. अध्ययन के बारे में डेलॉयट ग्लोबल के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर पुनीत रंजन ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य हमेशा से एक बड़ा मुद्दा रहा है. पिछले ढाई साल में जो चुनौतियां आई हैं, उससे वर्कप्लेस पर मानसिक स्वास्थ्य की बात चर्चा में आई है. उन्होंने कहा कि स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है कि कंपनियों को अपने कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य और उनके कल्याण को प्राथमिकता देनी चाहिए.

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