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केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट के सुझाव पर सरकार से विचार विमर्श के लिए वक्त मांगा है.
रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से भारत लौटे मेडिकल स्टूडेंट्स को लेकर दायर याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने केन्द्र को यूक्रेन से आये मेडिकल स्टूडेंट्स की मदद के लिए एक ऐसा वेब पोर्टल शुरू करने को कहा है, जिसमें विदेशों की अलग-अलग यूनिवर्सिटीज में उपलब्ध मेडिकल कोर्स की सीटों से जुड़ी सभी जानकारी मौजूद हो. ताकि ये स्टूडेंट्स वहां जाकर अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें. जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने कहा कि सरकार को एक ऐसे ट्रांसपेरेंट वेब पोर्टल की शुरूआत करनी चाहिए, जिसपर मेडिकल स्टूडेंट्स को उन विदेशी यूनिवर्सिटीज के बारे में सभी जानकारी मिल सके, जहां वो अपने मेडिकल की पढ़ाई पूरी कर सकते हैं. इस पोर्टल पर यूनिवर्सिटीज की फीस, अवेलेबल सीट्स समेत सभी छोटी-बड़ी जानकारी उपलब्ध कराई जानी चाहिए.
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23 सितंबर को होगी अगली सुनवाई
केंद्र की ओर से कोर्ट में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने वेब पोर्टल के सुझाव पर केन्द्र सरकार से विचार विमर्श के लिए वक्त मांगा है. मामले की अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी. यूक्रेन से आये मेडिकल स्टूडेंट्स ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अपने मेडिकल कोर्स को पूरा करने के लिए भारतीय मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन दिये जाने की मांग की थी. इन स्टूडेंट्स में फस्ट सेमेस्टर से लेकर फॉर्थ सेमेस्टर के स्टूडेंट्स शामिल हैं.
इससे पहले गुरुवार को केन्द्र सरकार ने कोर्ट में हलफनामा दायर कर इन मेडिकल स्टूडेंट्स को भारतीय कॉलेजों में एडमिशन नहीं दिये के पीछे कानूनी मजबूरी बताई थी. सरकार ने बताया कि "इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट 1956 और नेशनल मेडिकल कमीशन एक्ट में कोई भी ऐसा नियम या रूल नहीं है, जिसके तहत किसी विदेशी यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स को भारतीय मेडिकल कॉलेजों में ट्रांसफर किया जा सके.”
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एकेडमिक मोबिलिटी प्रोग्राम के तहत पब्लिक नोटिस जारी किया जा चुका है
हालांकि, इन स्टूडेंट्स की मदद के लिए नेशनल मेडिकल कमीशन ने विदेश मंत्रालय से बातचीत के बाद 6 सितंबर, 2022 को एकेडमिक मोबिलिटी प्रोग्राम के तहत पब्लिक नोटिस जारी किया है. इसके तहत एनएमसी द्वारा इन स्टूडेंट्स को यूक्रेन की उनकी मेडिकल कॉलेजों के अप्रूवल या सुझाव पर उन विदेशी कॉलेजों व यूनिवर्सिटीज में एडमिशन की परमिशन दी जाएगी, जहां ये अपपनी पढ़ाई पूरी कर सकते हैं. साथ ही केन्द्र सरकार ने उम्मीद जताई है कि इन स्टूडेंट्स की पढ़ाई पूरी होने के बाद यूक्रेन के इनके कॉलेजों द्वारा इन्हें मेडिकल की डिग्री जाएगी. 6 सितंबर के पब्लिक नोटिस में "ग्लोबल मोबिलिटी" को लेकर साफ कहा गया है कि भारत के मौजूदा नियम के मुताबिक विदेशी यूनिवर्सिटीज से भारतीय मेडिकल कॉलेज में ट्रांसफर किये जाने की परमिशन नहीं है.