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(Image: nationalskillsnetwork/NVS, Altered by FE)
जवाहर नवोदय विद्यालय के बच्चे पढ़ाई के साथ अब अपने स्कूल में ऑटोमोटिव स्किल की ट्रेनिंग भी ले सकेंगे. इसके लिए टाटा मोटर्स ने स्कूलों में अपने लैब तैयार कर रही है. कंपनी ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड सहित कई राज्यों के चुनिंदा विद्यालयों में अबतक 25 लैब बना चुकी है. नवोदय विद्यालय से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद इन बच्चों को मैन्युफैक्टरिंग टेक्नोलॉजी में डिप्लोमा और बीटेक करने कौ मौका मिलेगा. बदले में उन्हें फुल स्टाइमेंड यानी वजीफा भी मिलेगा. टाटा मोटर्स के हवाले समाचार एजेंसी पीटीआई भाषा ने जानकारी दी है कि कंपनी के साथ बने रहने वाले बच्चों के पास नौकरी के साथ बीटेक करने का (BTech) मौका होगा.
टाटा मोटर्स और नवोदय विद्यालय समिति के आपसी सहयोग से नवोदय विद्यालय के बच्चों को ऑटोमोटिव स्किल देने की तैयारी चल रही है. पीटीआई भाषा से सोमवार को टाटा मोटर्स ने बताया कि कंपनी ने नवोदय विद्यालय समिति के सहयोग से जवाहर नवोदय विद्यालयों में बच्चों को ऑटोमोटिव स्किल देने के लिए लैब बनाए हैं.
यूपी, उत्तराखंड सहित इन राज्यों में टाटा मोटर्स के बने हैं लैब
अब तक टाटा मोटर्स ने देशभर के चुनिंदा जवाहर नवोदय विद्यालयों में 25 लैब तैयार किए हैं. जिन राज्यों में ये लैब बनाए गए उनमें महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के चुनिंदा नवोदय विद्यालय शामिल हैं.
हर साल 4000 बच्चे सीखेंगे ऑटोमोटिव स्किल
वाहन बनाने वाली कंपनी ने कहा कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 में वोकेशनल प्रोग्राम के तहत बच्चों को इन लैब में ऑटोमोटिव स्किल दिए जाएंगे. नवोदय विद्यालय में बने टाटा मोटर्स के लैब में हर साल 4000 बच्चे हुनर सीखेंगे. कंपनी की ओर से बताया गया कि 4000 बच्चों में 30 फीसदी बच्चियां होंगी.
ट्रेनिंग के बाद बच्चों को मिलेगा सर्टिफिकेट
टाटा मोटर्स के सीएसआर हेड विनोद कुलकर्णी (Vinod Kulkarni, CSR Head, Tata Motors) ने बताया कि हमारी ऑटोमोटिव स्किल लैब वंचित समुदायों (underserved communities) के युवाओं को रोजगार योग्य हुनर देती हैं, जो भारत में विकसित हो रहे ऑटोमोटिव सेक्टर के लिए प्रासंगिक है. इन लैब में सेकेंडरी और सीनियर सेकेंडरी के बच्चों को जरूरी सब्जेक्ट ज्ञान, प्रैक्टिकल स्किल दिए जाएंगे. बच्चों के लिए स्कूल में बनाए गए इस लैब फेसिलिटीज सेंटर में और स्कूल के बाद कंपनी के प्लांट में उन्हें ऑटोमोटिव सेक्टर से जुड़ी ट्रेनिंग दी जाएगी. कार्यक्रम के पूरा होने पर बच्चों को टाटा मोटर्स और नवोदय विद्यालय समिति (एनवीएस) संयुक्त रूप से सर्टिफिकेट मिलेंगे.
5 साल बाद हो सकती है नौकरी पक्की
नवोदय विद्यालय के बाद बच्चे मैन्युफैक्टरिंग टेक्नोलॉजी में डिप्लोमा का विकल्प चुन सकते हैं जिसमें फुल स्टाइपेंड यानी वजीफा और कंपनी के प्लांट में नौकरी शामिल है. इसके अलावा, टाटा मोटर्स के साथ बने रहने वाले लोग इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री हासिल कर सकते हैं. विनोद कुलकर्णी ने बताया कि चुनिंदा इंजीनियरिंग कालेजो के सहयोग से एग्जीक्यूटिव एजुकेशन प्रोग्राम के तहत बीटेक की पढ़ाई 3.5 साल में पूरी की जा सकेगी. कंपनी के साथ बने रहने वाले बच्चों को 5 साल बाद परमानेंट नौकरी भी मिलने की संभवना होगी.