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The total cotton production in the last season is estimated at 307.05 lakh bales, the CAI said in a statement.
नवंबर महीने में कॉटन की आवक करीब 30 फीसदी घटी है. इस महीने को कॉटन की आवक के लिए अहम माना जाता है, लेकिन इस साल नवंबर में अभी तक कपास की कुल आवक 1,68,763 टन दर्ज की गई है, जो कि पिछले साल की समान अवधि के 2,39,285 टन की आवक से 29.5 फीसदी कम है. इससे निकट भविष्य में कॉटन के भाव में मजबूती के रुझान के साथ 34,000 रुपये-35,000 रुपये प्रति गांठ तक कारोबार होने की उम्मीद है. ओरिगो कमोडिटीज के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट राजीव यादव के मुताबिक पिछले साल की तुलना में आवक कमज़ोर रहने की वजह से घरेलू हाजिर बाजार में कॉटन की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है.
आने वाले समय में कपास की आवक बढ़ने की संभावना
राजीव यादव ने शॉर्ट टर्म में कॉटन में 34,000 रुपये-35,000 रुपये प्रति गांठ तक कारोबार की संभावना जताई है. उनका कहना है कि किसान अपने स्टॉक को होल्ड करने के साथ ही मौजूदा भाव पर अपनी फसल को मंडियों में नहीं ला रहे हैं और यही वजह है कि कीमतों को सपोर्ट मिल रहा है. साथ ही आईसीई कॉटन में आई मजबूती से भी घरेलू बाज़ार में कीमतों को सपोर्ट मिल रहा है. हालांकि राजीव कहते हैं कि देशभर की प्रमुख मंडियों में कपास की दैनिक आवक बढ़कर 1,04,000 गांठ (1 गांठ = 170 किलोग्राम) तक हो गई है, जबकि पिछले हफ्ते 85,000-95,000 गांठ आवक हुई थी. उनका कहना है कि आने वाले दिनों में कपास की आवक में बढ़ोतरी की संभावना है.
राजीव यादव कहते हैं कि नवंबर के दौरान भारी आवक के बावजूद भाव का ऊपरी लेवल पर रहना टेक्सटाइल इंडस्ट्री के लिए चिंताजनक स्थिति है. टेक्सटाइल इंडस्ट्री अभी अपनी मौजूदा क्षमता का सिर्फ 30-35 फीसदी ही परिचालन कर पा रही है. हालांकि इस साल परिदृश्य अलग है क्योंकि कपास की आवक में तेजी आना अभी बाकी है. कारोबारी और स्पिनिंग मिलें अभी बाज़ार की दिशा को लेकर भ्रमित हैं, जबकि गुजरात में किसान फसल को होल्ड कर रहे हैं और गुजरात चुनाव के बाद (1-5 दिसंबर 2022) फसल को बाज़ार में निकाल सकते हैं. कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के द्वारा कॉटन की कीमतों में स्थिरता के लिए खुले बाजार से जिनिंग की हुई कॉटन की खरीदारी की जा सकती है.