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बीते सप्ताह दिल्ली तेल-तिलहन मार्केट में सरसों, सोयाबीन, मूंगफली तेल-तिलहन, बिनौला, सीपीओ और पामोलीन तेल की कीमतों में इजाफा हुआ. (Photo: Getty/Thinkstock)
विदेशों में खाद्य तेलों की मांग बढ़ने और रूस-यूक्रेन जंग के कारण आपूर्ति प्रभावित होने से बीते सप्ताह दिल्ली तेल-तिलहन मार्केट में सरसों, सोयाबीन, मूंगफली तेल-तिलहन, बिनौला, सीपीओ और पामोलीन तेल की कीमतों में इजाफा हुआ. सर्दी के मौसम की शुरुआत के साथ शादी-विवाह में मांग बढ़ने से भी इसकी कीमतों में वृद्धि देखने को मिली है. कारोबारी सूत्रों ने बताया कि पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष कपास (नरमा) के भाव कम हैं जिसकी वजह से किसान कम भाव पर नरमा बिक्री के लिए कम माल ला रहा है. कम आपूर्ति के बीच बिनौला तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है.
खाने के तेल की कीमतों में इस वजह से आई तेजी
सूत्रों ने बताया कि किसान मंडियों में सरसों काफी कम बेच रहे हैं. ठंडी के साथ-साथ शादी विवाह में मांग बढ़ने के कारण सरसों तेल-तिलहन की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है. जाड़े में हल्के तेलों की मांग बढ़ने और वैश्विक स्तर पर खाद्य तेलों की कम आपूर्ति की वजह से मूंगफली, सोयाबीन तेल तिलहन कीमतों में भी इजाफा हुआ है. सूत्रों के मुताबिक रूस-यूक्रेन युद्ध को देखते हुए खाद्यतेलों की आपूर्ति कम होने से उत्पन्न कमी को कच्चा पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन तेल पूरा कर रहा है. इसी वजह से इन तेलों की वैश्विक मांग बढ़ी है. खाद्यतेलों की आपूर्ति कम होने से सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतों में बढ़त देखी गई.
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98% सूरजमुखी तेल आयात करता है भारत
सूत्रों ने कहा कि सूरजमुखी और सोयाबीन खाद्य तेलों के शुल्क-मुक्त आयात (Duty-Free Import) की छूट का कोटा निर्धारित किए जाने से बाकी आयात लगभग रुक गया क्योंकि बाकी आयात के लिए आयातकों को आयात शुल्क का भुगतान करना होगा. इससे बाजार में कम आपूर्ति की स्थिति बन गई और ये खाद्यतेल सस्ता होने की जगह और महंगे हो गए. पहले देश में सूरजमुखी की अच्छी खासी पैदावार थी लेकिन आज इस तेल की मांग को पूरा करने के लिए देश लगभग 98 फीसदी सूरजमुखी तेल का आयात करता है.
कारोबारी सूत्रों ने कहा कि सरकार को अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करते हुए या तो आयात पूरी तरह खोल देना चाहिए या पहले की तरह कम से कम 5.5 फीसदी का आयात शुल्क लगा देना चाहिए. उन्होंने कहा कि इससे देश को राजस्व की प्राप्ति होगी. सूत्रों ने कहा कि तेल तिलहन कारोबार का परिदृश्य इतना अनिश्चित रहने के बीच इस समस्या का स्थायी और पुख्ता समाधान देश के किसानों को प्रोत्साहन और संरक्षण जारी कर तिलहन उत्पादन बढ़ाना ही हो सकता है.
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सूत्रों के मुताबिक बीते वीकेंड के शुक्रवार के बंद भाव के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का भाव 300 रुपये बढ़कर 7,425-7,475 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ. सरसों दादरी तेल समीक्षाधीन वीकेंड के दौरान (during the weekend under review) 600 रुपये बढ़कर 15,350 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ. वहीं सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी तेल की कीमतें भी क्रमश: 75-75 रुपये बढ़कर क्रमश: 2,330-2,460 रुपये और 2,400-2,515 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ.
सूत्रों ने कहा कि हल्के तेलों की मांग बढ़ने के बीच किसान मंडियों में कम दाम पर बिकवाली से बच रहे हैं. सोयाबीन की आवक घटने के कारण समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज के थोक भाव क्रमश: 265 और 275 रुपये के बढ़त के साथ क्रमश: 5,550-5,600 रुपये और 5,360-5,410 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ. समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन तेल कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई.
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सोयाबीन दिल्ली का थोक भाव 1,000 रुपये बढ़कर 15,200 रुपये पर बंद हुआ. सोयाबीन इंदौर का भाव 900 रुपये बढ़कर 14,850 रुपये और सोयाबीन डीगम का भाव 950 रुपये के लाभ के साथ 13,500 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ. समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहनों कीमतों में भी बढ़ोतरी देखने को मिला. शादी विवाह के मौसम और जाड़े में हल्के खाद्यतेलों की मांग बढ़ने के कारण समीक्षाधीन सप्ताहांत में मूंगफली तिलहन का भाव 75 रुपये बढ़कर 6,900-6,960 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ.
पूर्व सप्ताहांत के बंद भाव के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल गुजरात 250 रुपये बढ़कर 16,000 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ जबकि मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव 45 रुपये के बढ़त के साथ 2,575-2,885 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ. वैश्विक मांग होने के बीच समीक्षाधीन सप्ताह में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव 750 रुपये बढ़कर 9,500 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ. जबकि पामोलीन दिल्ली का भाव 600 रुपये बढ़कर 11,100 रुपये और पामोलीन कांडला का भाव 700 रुपये बढ़कर 10,200 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ. समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल 500 रुपये बढ़कर 13,700 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर बंद हुआ.
(इनपुट : भाषा)