/financial-express-hindi/media/post_banners/AsgeyXHsPobJ8563wSIt.jpg)
डीजीएफटी के मुताबिक निर्यात नीति या गेहूं का आटा, मैदा, सूजी और साबुत आटा जैसी चीजों पर नियंत्रण नहीं है लेकिन इसके निर्यात को लेकर गठित अंतर मंत्रालय समिति के मंजूरी की जरूरत होगी.
अब गेहूं के आटे, मैदा और सूजी के कारोबारी बिना क्वालिटी सर्टिफिकेट के इसे निर्यात नहीं कर सकेंगे. सरकारी अधिसूचना के मुताबिक गुणवत्ता का यह प्रमाणपत्र कारोबारियों को एक्सपोर्ट इंस्पेक्शन काउंसिल फॉर आउटबाउंड शिपमेंट्स से हासिल करना होगा. पिछले महीने जुलाई 2022 में कॉमर्स मिनिस्ट्री के तहत आने वाले डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (DGFT) ने कहा था कि गेहूं का आटा, मैदा और सूजी निर्यात करने वाले कारोबारियों को इंटर-मिनिस्ट्रियल कमेटी (IMC) के मंजूरी की जरूरत होगी.
HDFC से कर्ज लेना आज से महंगा, SBI के भी एमसीएलआर में इस दिन से बढ़ोतरी
क्वालिटी सर्टिफिकेट के बाद मंत्रियों की समिति देगी मंजूरी
डीजीएफटी ने सोमवार को कहा कि निर्यात नीति या गेहूं का आटा, मैदा, सूजी (रवा या सिरगी) और साबुत आटा जैसी चीजों पर नियंत्रण नहीं है लेकिन इसके निर्यात को लेकर गठित अंतर मंत्रालय समिति (IMC) के मंजूरी की जरूरत होगी. दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता में निर्यात निरीक्षण परिषद (ईआईए) द्वारा गुणवत्ता प्रमाण पत्र जारी करने के बाद आईएमसी से निर्यात की मंजूरी मिल सकेगी.
SBI WhatsApp Banking: वाट्सऐप पर पा सकते हैं एसबीआई की सर्विसेज, इन आसान स्टेप्स को करें फॉलो
14 अगस्त से लागू होगा नियम
डीजीएफटी का कहना है कि इन चीजों की क्वालिटी से जुड़ी जरूरी मॉडलिटीज यानी इससे जुड़े प्रावधान को जल्द ही अधिसूचित किया जाएगा. यह अधिसूचना 14 अगस्त से प्रभावी हो जाएगा. इसके प्रभावी होने से पहले तक यानी 14 अगस्त से पहले तक मैदा और सूजी के उन कंसाइनमेंट को ही निर्यात करने की मंजूरी मिलेगी जिसकी लोडिंग नोटिफिकेशन आने से पहले ही हो चुकी है और इसे कस्टम को हैंड ओवर कर दिया है और यह उनके सिस्टम में रजिस्टर्ड हो चुका है. वर्ष 2021-22 में भारत ने 24.65 करोड़ डॉलर आटा निर्यात किया था. मई में भीषण गर्मी से फसल प्रभावित होने के चलते गेहूं की कीमतें बढ़ने लगी जिसके चलते इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.
(Input: PTI)