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Gold Investment: रेट हाइक और मंदी का है डर, सोने में निवेश की बनाएं सही स्ट्रैटजी, पोर्टफोलियो में कितना रखें हिस्‍सा?

Gold Investment: एक्‍सपर्ट का कहना है कि लंबी अवधि के नजरिए से सोने में और गिरावट आए तो खरीदारी का मौका होगा. शार्ट टर्म में इस पर दबाव रहेगा.

Gold Investment: एक्‍सपर्ट का कहना है कि लंबी अवधि के नजरिए से सोने में और गिरावट आए तो खरीदारी का मौका होगा. शार्ट टर्म में इस पर दबाव रहेगा.

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Sushil Tripathi
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Gold Investment: रेट हाइक और मंदी का है डर, सोने में निवेश की बनाएं सही स्ट्रैटजी, पोर्टफोलियो में कितना रखें हिस्‍सा?

Gold Prices Fall: सोने में इस महीने ऊपरी स्‍तरों से कमजोरी देखने को मिल रही है.

Gold in Portfolio: अक्‍टूबर 2022 स जनवरी 2023 के बीच सोने (Gold) की कीमतों में जोरदार तेजी देखने को मिली. इस दौरान यह करीब 18 फीसदी मजबूत हुआ. हालांकि उसके बाद से कीमतों में करेक्‍शन आया है. इक्विटी मार्केट से के साथ ही सोने की कीमतों में भी गिरावट आई है, जिससे निवेशकों के मन में कनफ्यूजन है. एक ओर ग्‍लोबल शेयर बाजारों में अनिश्चितता है, रेट हाइक जारी है, जियो पॉलिटिकल टेंशन के साथ मंदी का भी ट्रिगर बना हुआ है. रिटेल महंगाई में एक बार फिर उछाल ने निवेशकों को अलर्ट कर दिया है. ऐसे में आखिरकार सोने और चांदी जैसे एसेट क्लास में निवेश की सही स्‍ट्रैटेजी क्‍या होनी चाहिए.

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लंबी अवधि के लिए गिरावट पर करें निवेश

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केडिया एडवाइजरी के डायरेक्‍टर अजय केडिया का कहना है कि सोने में अक्‍टूबर 2022 से जनवरी 2023 के बीच अच्‍छी खासी तेजी आई है. इस दौरान सोना 50 हजार रुपये पति 10 ग्राम के भाव से बढ़कर 59 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के करीब पहुंच गया था. यानी इसमें करीब 18 फीसदी तेजी आई है. जिसके बाद से यह करेक्‍ट होकर 56000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक आया है. इंटरनेशनल मार्केट में भी यह 1620 डॉलर से बढ़कर 1970 डॉलर तक पहुंच गया था. अगर लंबी अवधि के नजरिए से देखें तो ऊपरी स्‍तरों से कुछ और गिरावट आए तो यह खरीदारी का मौका बनेगा. हालांकि शार्ट टर्म में इस पर कुछ दबाव रहेगा.

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शॉर्ट टर्म में रहेगा दबाव, क्‍या हैं वजह

केडिया का कहना है कि मौजूदा सीनैरियो देखें तो शॉर्ट टर्म में सोने में और डाउनफाल दिख सकता है. इसके पीछे वजह यह है कि डॉलर इंडेक्‍स में फिर तेजी आने लगी है. यह 100 के लेवल से करीब 105 के लेवल पर हुंच गया है. डॉलर महंगा होने से सोने की डिमांड में भी कमी आती है. वहीं इंटरनेशनल लेवल पर बढ़ी कीमतों के चलते घरेलू लेवल पर भी इंपोर्ट में कमी आई है. यूएस फेड आगे भी रेट हाइक जारी रहने की बात कह रहा है. दूसरा रूस और यूक्रेन युद्ध को लेकर जिस तरह का जियोपॉलिटिकल टेंशन पिछले साल था, अब वैसा नहीं है. इन वजहों से सोने में अभी कुछ दिन नरमी दिखेगी.

लॉन्‍ग टर्म और शॉर्ट टर्म टारगेट

अजय केडिया ने ईयर एंड तक सोने के लिए 62000 रुपये का टारगेट रखा है. जबकि अगले 3 महीनों में सोना 54500 रुपये प्रति 10 ग्राम से 55000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक कमजोर हो सकता है.

अलोकेशन कितना होना चाहिए

केडिया का कहना है कि अगर आपका लक्ष्‍य लंबी अवधि का है तो मौजूदा दौर में पोर्टफोलियो में सोने का एलोकेशन कम से कम 15 फीसदी रख सकते हैं. यह 15 से 20 फीसदी भी हो सकता है. उनका कहना है कि लंबी अवधि में पॉजिटिव आउटलुक के पीछे वजह यह है कि अभी केंद्रीय बैंकों द्वारा लगातार दरों में बढ़ोतरी के चलते आर्थिक मंदी का जोखिम बढ़ रहा है. वहीं महंगाई का लेवल अभी भी हाई है. जिसके चलते दुनियाभर के इक्विटी बाजारों में अनिश्चितता है. बाजार के जानकार भी इक्विटी में संभलकर कदम रखने की सलाह दे रहे हैं. ऐसे में सुरक्षित निवेश के लिए गोल्ड का आकर्षण बढ़ा है. यह एक बार फिर सेफ हैवन एसेट क्लास साबित हो सकता है.

सोने में निवेश के फायदे

  • सोना न सिर्फ महंगाई के खिलाफ हेजिंग यानी एक बचाव का काम करता है, बल्कि यह शेयर बाजारों में अनिश्चितता के दौर में सुरक्षित विकल्प (Gold a Safe Haven Asset) हो सकता है.
  • सोने में निवेश से आपका पोर्टफोलियो डायवर्सिफाइड हो जाता है.
  • सोना मंदी के दौर में बेहतर प्रदर्शन कर सकता है. ऐतिहासिक रूप से, सोने ने मंदी के दौर में पोर्टफोलियो में रिस्क-एडजस्टेड रिटर्न बढ़ाया है.
  • जब महंगाई बढ़ती है, सोना अपनी परचेजिंग पावर को बरकरार रखता है.
  • आज के दौर में डिजिटल गोल्‍ड भी मजबूत विकल्प बनकर उभरा है, जिसमें शुद्धता को लेकर न तो चिंता है और न ही चोरी होने का डर.
  • गोल्ड की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसका रिटर्न अन्य एसेट क्लास मसलन इक्विटी से लिंक नहीं होता है. इसलिए इसमें निवेश से जुड़े जोखिम भी कम होते हैं.
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