/financial-express-hindi/media/post_banners/joUo1X1yNI5xq9sLkDSw.webp)
मई में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद अब सरकार ने गेहूं का आटा, मैदा, सूजी और साबुत आटे के एक्सपोर्ट पर भी रोक लगा दी है.
मई में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद अब सरकार ने गेहूं का आटा, मैदा, सूजी और साबुत आटे के एक्सपोर्ट पर भी रोक लगा दी है. यह कदम इनकी कीमतों में काबू पाने के लिए उठाया गया है. हालांकि, केंद्रीय मंत्रिमंडल के इस आदेश को जारी करते हुए डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (DGFT) ने कहा कि कुछ मामलों में भारत सरकार की अनुमति के साथ इन वस्तुओं के निर्यात की अनुमति दी जाएगी. डीजीएफटी के नोटिफिकेशन के अनुसार अब इंटर-मिनिस्ट्रियल कमेटी से आटे के अलावा मैदा, समोलिना (रवा/सिरगी), होलमील आटा और रिजल्टेंट आटा के निर्यात के लिए भी मंजूरी लेने की जरूरत होगी. सूजी में रवा और सिरगी भी शामिल हैं. इसमें कहा गया है कि फॉरेन ट्रेड पॉलिसी 2015-20 के ट्रांजिशनल अरेजमेंट्स संबंधी प्रावधान इस नोटिफिकेशन के तहत लागू नहीं होंगे.
क्यों बढ़ रही है कीमतें
रूस और यूक्रेन गेहूं के प्रमुख निर्यातक हैं, जो वैश्विक स्तर पर गेहूं व्यापार के लगभग एक-चौथाई के लिए जिम्मेदार हैं. दोनों देशों के बीच युद्ध ने वैश्विक गेहूं सप्लाई चेन को प्रभावित किया है, जिसके चलते भारत में भी गेहूं की डिमांड बढ़ गई है. यही वजह है कि घरेलू बाजार में गेहूं की कीमत बढ़ रही है. 25 अगस्त को सरकार ने कमोडिटी की बढ़ती कीमतों को रोकने के लिए गेहूं या मेसलिन के आटे के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया. आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी (CCEA) की बैठक में यह निर्णय लिया गया.
मई में गेहूं के निर्यात पर लगा था प्रतिबंध
देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने मई में गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी. हालांकि, इससे गेहूं के आटे की विदेशी मांग में उछाल आया. भारत से गेहूं के आटे के निर्यात में 2021 की इसी अवधि के मुकाबले अप्रैल-जुलाई 2022 के दौरान 200 फीसदी की वृद्धि हुई है. 2021-22 में, भारत ने 24.6 करोड़ डालर के गेहूं के आटे का निर्यात किया. मौजूदा वित्त वर्ष में अप्रैल-जून के दौरान निर्यात लगभग 12.8 करोड़ अमरीकी डालर रहा. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा के आंकड़ों के अनुसार, गेहूं का ऑल-इंडिया एवरेज रिटेल प्राइस 22 अगस्त को 22 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 31.04 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया, जो एक साल पहले की अवधि में 25.41 रुपये प्रति किलोग्राम था. आंकड़ों से पता चलता है कि गेहूं के आटे (आटा) का औसत खुदरा मूल्य 17 प्रतिशत बढ़कर 35.17 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया है, जो पहले 30.04 रुपये था.