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पिछले 8 साल में देश की रिसाइकलिंग क्षमता 500 फीसदी बढ़ गई. (Image- Reuters)
पिछले साल भारत में 75 टन सोना रिसाइकिल हुआ और इस मामले में यह दुनिया का चौथा सबसे बड़ा देश रहा. हालांकि इसके बावजूद अभी भी यहां सिर्फ 8 फीसदी ही घरेलू सोने की रिसाइकिलिंग होती है. यह खुलासा वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) की एक रिपोर्ट से हुआ है. इस रिपोर्ट 'गोल्ड रिफाइनिंग एंड रिसाइकिलिंग' के मुताबिक पिछले साल सबसे अधिक सोना चीन में रिसाइकिल हुआ. चीन में 168 टन सोना रिसाइकिल हुआ जबकि इसके बाद इटली में 80 टन और अमेरिका में 78 टन सोना रिसाइकिल हुआ.
गोल्ड के भाव में मौजूदा उतार-चढ़ाव, भविष्य में इसकी कीमतों को लेकर अनुमान और आर्थिक स्थिति के चलते रिसाइकिलिंग में तेजी आई. रिसाइकिलिंग में इसलिए भी तेजी आ रही है क्योंकि युवा जल्दी-जल्दी अपने गहनों की डिजाइन बदल रहे हैं जिससे सोने का होल्डिंग पीरियड लगातार कम हो रहा है.
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सरकार की सख्ती से फॉर्मल सेक्टर मजबूत
पिछले दशक में गोल्ड रिफाइनिंग के लैंडस्केप में काफी बदलाव आया है और 2013 में पांच से भी कम फॉर्मल ऑपरेशंस थे जो पिछले साल बढ़कर 33 हो गए. वहीं दूसरी तरफ अनऑर्गेनाइज्ड रिफाइनिंग में गिरावट आई. रिपोर्ट के मुताबिक इंफॉर्मल सेक्टर अतिरिक्त 300-500 टन का होगा. प्रदूषण से जुड़े नियमों को सख्त किए जाने के बाद अनऑर्गेनाइज्ड रिफाइनिंग कमजोर हुआ है. डब्ल्यूजीसी की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2013 में भारत की गोल्ड रिसाइकिल क्षमता 300 टन थी जो वर्ष 2021 में बढ़कर 1500 टन हो गई यानी 8 साल में देश की रिसाइकिलिंग क्षमता 500 फीसदी बढ़ गई.
बेहतर टैक्स ढांचे से मिला सपोर्ट
टैक्स के बेहतर ढांचे ने भी भारतीय गोल्ड रिफाइनिंग इंडस्ट्री को मजबूत किया है. सरकार ने कच्चे सोने पर आयात शुल्क रिफाइंड सोने से अलग बना दिया जिससे देश में ऑर्गेनाइज्ड रिफाइनिंग मजबूत हुआ. इस वजह से कुल इंपोर्ट में कच्चे सोने का आयात वर्ष 2013 में 7 फीसदी से बढ़कर पिछले साल 22 फीसदी पर पहुंच गया.
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इस तरह से और मजबूत हो सकती है रिसाइकलिंग इंडस्ट्री
डब्ल्यूजीसी के क्षेत्रीय सीईओ (इंडिया) सोमसुंदरम पीआर के मुताबिक भारत में अगर बूलियन मार्केट में रिस्पांसिबल सोर्सिंग, बार के एक्सपोर्ट और लगातार कच्चे सोने की आपूर्ति जैसे सुधारों को बढ़ावा मिलता है तो यह रिफाइनिंग हब के रूप में मजबूती से उभर सकता है. सोमसुंदरम के मुताबिक घरेलू रिसाइकलिंग मार्केट कम ऑर्गेनाइज्ड है लेकिन अगर गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम के जरिए सरप्लस गोल्ड को बाजार में लाया जाता है तो इसे सपोर्ट मिल सकता है. इससे बाजार में सोना सस्ता होगा और इसकी मांग बढ़ेगी और रिफाइनिंग क्षमता बढ़ेगी.
(Input: PTI)