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Sugar Export Ban: गन्ना उत्पादन में गिरावट की संभावना के चलते अगले सीजन में देश से चीनी के एक्सपोर्ट पर रोक लगाई जा सकती है. (File Photo : Reuters)
India set to ban sugar exports for first time in 7 years says govt sources : भारत से चीनी के निर्यात (Export) पर सरकार रोक लगा सकती है. सरकारी सूत्रों के हवाले से आई खबर के मुताबिक यह रोक अक्टूबर में शुरू हो रहे अगले सीजन के दौरान लगाए जाने के आसार हैं. दरअसल, देश के प्रमुख गन्ना उत्पादक इलाकों में सामान्य से कम बारिश के चलते उपज में भारी कमी आने की आशंका है. सूत्रों के मुताबिक इसी बात को ध्यान में रखते हुए सरकार चीनी के निर्यात पर पाबंदी लगा सकती है. अगर ऐसा हुआ, तो सात साल में पहली बार भारत से चीनी के एक्सपोर्ट पर रोक लगेगी.
कम बारिश के कारण गन्ना उत्पादन घटने का डर
समाचार एजेंसी रॉयटर्स का दावा है कि उसे यह खबर एक नहीं बल्कि तीन-तीन सरकारी सूत्रों से मिली है. दरअसल भारत में बड़े पैमाने पर गन्ना उत्पादन करने वाले कई इलाकों में इस साल मानसून के दौरान कम बारिश हुई, जिसके चलते चीनी उत्पादन में गिरावट आने की आशंका है. इसी को ध्यान में रखते हुए चीनी के एक्सपोर्ट पर रोक लगाए जाने की संभावना जाहिर की जा रही है. मौसम विभाग के अनुसार महाराष्ट्र और कर्नाटक के शीर्ष गन्ना उत्पादक जिलों में मानसून की बारिश अब तक औसत से 50% कम रही है. ये वो इलाके हैं, जो भारत के कुल चीनी उत्पादन में आधे से ज्यादा योगदान करते हैं. जाहिर है कि इन इलाकों में खराब मानसून का असर गन्ने के उत्पादन पर पड़ेगा.
घरेलू बाजार की जरूरतें पूरी करने पर रहेगा जोर
एक सरकारी सूत्र ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि फिलहाल हमारा मकसद ये है कि भारतीय बाजार में चीनी की जरूरतें पूरी की जाएं और बचे हुए गन्ने का इस्तेमाल एथनॉल के उत्पादन के लिए किया जाए. ऐसे में आने वाले सीज़न के दौरान हमारे पास एक्सपोर्ट कोटे में एलोकेशन के लिए पर्याप्त चीनी नहीं होगी. 2023/24 के सीज़न के दौरान भारत का चीनी उत्पादन 3.3 फीसदी गिरकर 31.7 मिलियन टन रह जाने की आशंका है. एक सरकारी अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि कम बारिश की वजह से 2023/24 के सीज़न में चीनी उत्पादन में कटौती होगी. यहां तक कि 2024/25 सीज़न के लिए गन्ने की बुवाई भी कम हो जाएगी. भारत ने मिलों को मौजूदा सीजन के दौरान 30 सितंबर तक केवल 6.1 मिलियन टन चीनी निर्यात करने की अनुमति दी है, जबकि पिछले सीजन में उन्हें रिकॉर्ड 11.1 मिलियन टन चीनी एक्सपोर्ट करने की छूट दी गई थी. इससे पहले 2016 में, भारत ने चीनी के एक्सपोर्ट पर अंकुश लगाने के लिए 20% टैक्स लगा दिया था.
महंगाई भी रोकेगी एक्सपोर्ट का रास्ता
भारतीय बाजार में चीनी की कीमतें इस सप्ताह लगभग दो साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं, जिससे सरकार को मिलों को अगस्त में 2 लाख टन अतिरिक्त चीनी बेचने की इजाजत देनी पड़ी. एक अन्य सरकारी सूत्र ने कहा, "फूड इंफ्लेशन सरकार के लिए चिंता की वजह बना हुआ है. चीनी की कीमतों में हाल में हुई बढ़ोतरी की वजह से एक्सपोर्ट की संभावना कम हुई है." जुलाई के महीने में देश की खुदरा महंगाई दर (Retail Inflation) 7.44 फीसदी पर पहुंच गई, जो 15 महीने का सबसे ऊंचा स्तर है. इसी दौरान देश में फूड इंफ्लेशन यानी खाने-पीने की चीजों की महंगाई दर तो और भी ऊपर, 11.5 फीसदी पर पहुंच गई, जो तीन साल में सबसे अधिक है. चुनावी साल में सरकार किसी भी हाल में महंगाई को काबू में रखने की पूरी कोशिश करेगी. इसी कोशिश के तहत सरकार ने पिछले महीने गैर-बासमती सफेद चावल के एक्सपोर्ट पर पाबंदी लगाई थी. इसके अलावा पिछले हफ्ते प्याज के एक्सपोर्ट पर भी 40 फीसदी ड्यूटी लगाई गई ताकि कीमतों को काबू में रखा जा सके. हालांकि कीमतों को काबू में रखने की इन कोशिशों का किसान संगठनों की तरफ से काफी विरोध किया जा रहा है.
अंतरराष्ट्रीय बाजार पर भी होगा असर
जानकारों का कहना है कि अगर भारत से चीनी का एक्सपोर्ट बंद हुआ तो इसे न्यूयॉर्क और लंदन समेत दुनिया के तमाम बाजारों में कीमतें और बढ़ जाएंगी. अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमतें वैसे भी कई साल के ऊंचे स्तर पर चल रही हैं. इनमें और बढ़ोतरी हुई तो ग्लोबल फूड मार्केट में इंफ्लेशन और बेकाबू होने की आशंका बनी रहेगी. जानकारों का कहना है कि इस साल थाईलैंड में भी चीनी का उत्पादन कम होने की वजह अंतरराष्ट्रीय बाजार में आवक घटने के आसार हैं. ऐसे में चीनी का प्रमुख उत्पादक ब्राजील अकेले इस कमी की भरपाई नहीं कर पाएगा.