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चावल के ग्लोबल ट्रेडिंग में भारत की हिस्सेदारी 40 फीसदी है.
India’s Rice exports: निर्यातकों यानी एक्सपोर्टर्स ने टूटे चावल के निर्यात पर पाबंदी (ban) और गैर-बासमती चावल के निर्यात (Export) पर शुल्क लगाए जाने से भारत का चावल निर्यात चालू वित्त वर्ष में करीब 40-50 लाख टन तक गिर जाने की आशंका जताई है. चावल के ग्लोबल ट्रेडिंग में भारत की हिस्सेदारी 40 फीसदी है. वित्त वर्ष 2021-22 में भारत ने 2.123 करोड़ टन चावल का एक्सपोर्ट किया था जो इसके पहले 1.778 करोड़ टन था. कोविड से पहले तक 2019-20 में एक्सपोर्ट 95.1 लाख टन था.
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चावल निर्यात में गिरावट की ये है वजह
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-अगस्त अवधि के दौरान देश ने 93.5 लाख टन का निर्यात किया है जो एक साल पहले की समान अवधि में 83.6 लाख टन था. आल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (AIREA) के पूर्व चेयरमैन विजय सेतिया ने बताया कि चालू वित्त वर्ष में निर्यात 1.6 करोड़ टन से 1.7 करोड़ टन ही रह सकता है. टूटे चावल के एक्सपोर्ट पर बैन लगना और गैर-बासमती चावल पर 20 फीसदी निर्यात शुल्क लगना इसकी वजह है. उन्होंने कहा कि देश से गैर-बासमती चावल का निर्यात 38-40 करोड़ डॉलर प्रति टन के भाव पर हो रहा था जो अन्य देशों से होने वाले निर्यात की दर से कम है.
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चावल के उत्पादन में भी गिरावट
AIREA के पूर्व चेयरमैन सेतिया ने कहा कि सरकार के इन फैसलो के बाद से दाम बढ़कर अपने प्रतिस्पर्धियों (competitors) के बराबर हो सकते हैं. केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने शुक्रवार को टूटे चावल के एक्सपोर्ट पर बैन लगाए जाने की वजह बताते हुए कहा था कि बहुत बड़े पैमाने पर टूटे चावल की खेप बाहर भेजी जा रही है. इसके अलावा पशु चारे के लिए भी समुचित मात्रा में टूटा चावल उपलब्ध नहीं है. इसका इस्तेमाल एथनॉल में मिलाने के लिए भी किया जाता है. खाद्य सचिव ने कहा था कि वित्त वर्ष 2021-22 में भारत ने 38.9 लाख टन टूटे चावल का एक्सपोर्ट किया था जो वित्त वर्ष 2018-19 के 12.2 लाख टन की तुलना में बहुत अधिक है. इसके साथ ही खरीफ के मौजूदा उपज सत्र में चावल का उत्पादन कम होने की भी आशंका है. धान की बुवाई का रकबा नौ सितंबर तक 4.95 फीसदी गिरकर 393.79 लाख टन ही रहा है. इससे इस सत्र में चावल के उत्पादन में 60-70 लाख टन की गिरावट आने का अंदेशा खाद्य मंत्रालय ने जताया है.
(इनपुट: भाषा)