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Kharif Crops: इस साल कम मानसूनी बारिश के चलते धान की बुवाई बुरी तरह प्रभावित हुई. (Image- Pixabay)
लगातार छह साल तक नए रिकॉर्ड कायम करने के बाद इस साल 2022 में खरीफ अनाज उत्पादन में गिरावट आ सकती है. धान और दलहनों की बुवाई में गिरावट के चलते इनका उत्पादन घट सकता है. शुक्रवार तक मौजूद आंकड़ों के मुताबिक एक साल पहले के मुकाबले बुवाई 1.5 फीसदी कम हुई है और धान के रकबे में 6 फीसदी की गिरावट आई. देश में धान के सबसे बड़े उत्पादक राज्य पश्चिम बंगाल में धान का रकबा सालाना आधार पर 12.5 फीसदी घट गया है. इस साल कम मानसूनी बारिश के चलते धान की बुवाई बुरी तरह प्रभावित हुई.
ट्रेड एस्टीमेट्स के मुताबिक 2022-23 फसल सत्र (जुलाई-जून) में चावल का उत्पादन पिछले साल के रिकॉर्ड स्तर 12.9 करोड़ टन से 60 लाख-1 करोड़ टन तक घट सकता है. इसके अलावा अगर खरीफ फसलों का उत्पादन गिरता है तो महंगाई बढ़ सकती है क्योंकि देश का 80 फीसदी चावल इस सत्र में पैदा होता है. मंत्रालय के मुताबिक बारिश का खरीफ फसलों पर क्या असर रहा, इसका पता सितंबर के मध्य तक ही पता चल सकता है. कृषि मंत्रालय 2022-23 फसल सत्र (जुलाई-जून) के पहले एडवांस एस्टीमेट अगले महीने जारी करेगी.
अधिकतर राज्यों में घटा धान का रकबा
कृषि मंत्रालय के शुक्रवार तक उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक धान, दलहन, तिलहन, कॉटन और मोटे अनाजों की बुवाई 10.45 करोड़ हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 10.61 करोड़ हेक्टेयर था. मंत्रालय के मुताबिक खरीफ फसलों की बुवाई अब लगभग पूरी हो चुकी है यानी कि रकबे में बढ़ोतरी के आसार नहीं दिख रहे हैं. इस साल धान की बुवाई 3.67 करोड़ हेक्टेयर में हुई है जबकि 2016-17 और 2020-21 के बीच खरीफ धान की बुवाई औसतन 3.97 करोड़ हेक्टेयर में हुई है.
पश्चिम बंगाल में शुक्रवार तक इसका रकबा सालाना आधार पर 12.5 फीसदी की गिरावट के साथ 36 लाख हेक्टेयर रहा. झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार, उत्तर प्रदेश और ओडिशा जैसे अहम धान उत्पादक राज्यों में भी धान का रकबा घटा है. वहीं दूसरी तरफ तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में सालाना आधार पर धान के रकबे में मामूली बढ़ोतरी हुई है.
अन्य खरीफ फसलों के ये हैं हाल
सोयाबीन और मूंगफली जैसे तिलहन की बुवाई 1.86 करोड़ हेक्टेयर में हुई है जोकि पिछले साल के मुकाबले थोड़ा कम है. दलहन के रकबे में 5 फीसदी की गिरावट है. भारत अपनी जरूरत का 56 फीसदी खाद्य तेल और 15 फीसदी दाल आयात करता है. हालांकि कॉटन के रकबे में 6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है और सफेद गन्ने की भी बुवाई बढ़ी है.
(Article: Sandip Das)