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कॉमेक्स गोल्ड दो साल के निचले स्तर के करीब 1,670 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रहा है.
कॉमेक्स गोल्ड दो साल के निचले स्तर के करीब 1,670 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रहा है. यह मजबूत डॉलर और बढ़ते ट्रेजरी यील्ड के चलते दबाव में है. अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने इस सप्ताह लगातार तीसरी बार ब्याज दरों में इजाफा किया है. बढ़ती महंगाई पर लगाम लगाने के लिए ब्याज दरों में 75 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की गई है. यूरोपीय सेंट्रल बैंक भी दरों में और बढ़ोतरी कर सकता है. ECB बोर्ड मेंबर Isabel Schnabel ने कहा कि यूरोपीय देशों में महंगाई का दबाव अनुमान से अधिक बने रहने की संभावना है. आर्थिक अनिश्चितताओं के समय में सोने ने भी अपनी चमक खो दी है क्योंकि अमेरिका की रिलेटिव इकोनॉमिक स्ट्रेंथ और इन्फ्लेशन के खिलाफ फेड के आक्रामक रुख ने डॉलर की वैल्यू को बढ़ा दिया है. इस बीच एक्सपर्ट का कहना है कि फेस्टिव सीजन के दौरान इंडियन रिटेल डिमांड की वापसी से निकट अवधि में सोने का भाव बढ़ने के आसार हैं. MCX में अक्टूबर फ्यूचर्स का रेट 51,300 तक जा सकता है.
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20 साल के उच्च स्तर के करीब पहुंचा डॉलर
डॉलर इंडेक्स 111 से ऊपर रहा, जो गुरुवार को 20 साल के उच्च स्तर 111.81 के करीब था. फेड ने बुधवार को लगातार तीसरी बार ब्याज दरों में 75 बेसिस प्वाइंट्स की वृद्धि की और 2024 तक बिना किसी कटौती के अगले साल 4.6% की दरों का अनुमान लगाया. बाजार की अटकलों को धता बताते हुए कि केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने के लिए 2023 में पॉलिसी को आसान बना सकता है.
फेस्टिव सीजन में बढ़ सकते हैं सोने के भाव
भारत में अक्टूबर में दशहरा, दिवाली और धनतेरस जैसे त्योहार हैं. इस दौरान सोना खरीदना शुभ माना जाता है. मार्च 2022 में, एमसीएक्स गोल्ड 55,450 रुपये प्रति 10 ग्राम के उच्च स्तर पर पहुंच गया और वहां से यह लगभग 50,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के वर्तमान लेवल पर आ गया. हालांकि दुनिया भर के केंद्रीय बैंक इन्फ्लेशन को रोकने की कोशिश में हैं. डॉलर ऊपर है और सेफ हैवन डिमांड की मांग कम हो गई है. इंडियन रिटेल डिमांड की वापसी निकट अवधि में सोने के भाव को बढ़ा सकती है. MCX में अक्टूबर फ्यूचर्स का रेट 51,300 तक जा सकता है.
डॉलर के मजबूत होने की क्या है वजह
यूक्रेन के आसपास बढ़ते जियो-पॉलिटिकल टेंशन और ग्लोबल इकोनॉमिक स्लोडाउन की बढ़ती आशंकाओं के चलते भी फायदा हुआ है. ग्रीनबैक यूरो और स्टर्लिंग के मुकाबले कई दशक के उच्च स्तर पर पहुंच गया, जबकि ऑस्ट्रेलियाई और न्यूजीलैंड डॉलर के मुकाबले दो साल के उच्च स्तर के आसपास है. इस बीच, 1998 के बाद पहली बार जापानी अधिकारियों द्वारा करेंसी मार्केट में हस्तक्षेप करने के बाद डॉलर येन के मुकाबले कमजोर हुआ. भारतीय रुपया शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पहली बार 81 के लेवल से भी नीचे चला गया. रुपया 81.13 प्रति डॉलर के भाव पर पहुंच गया. यह घरेलू करंसी के लिए अबतक का सबसे कमजोर स्तर है. जबकि अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड में उछाल के कारण 10 साल का बॉन्ड यील्ड 6 बेसिस प्वॉइंट उछलकर 2 महीने के उच्च स्तर 3.719 फीसदी पर पहुंच गया है. यूएस फेड ने सिंतबर महीने की पॉलिसी में ब्याज दरों में 75 बेसिस प्वॉइंट का इजाफा किया और आगे भी सख्ती के संदेश दिए हैं. इससे डॉलर को सपोर्ट मिलेगा.
(By Jigar Trivedi)