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रुपये में आज डॉलर के मुकाबले गिरावट देखने को मिल रही है. (File)
Rupee vs Dollar: रुपये में आज डॉलर के मुकाबले गिरावट देखने को मिल रही है. रुपया आज के कारोबार में 30 पैसे टूटकर 78.65 प्रति डॉलर के भाव पर आ गया. यह रुपये के लिए अबतक का सबसे निचला स्तर है. घरेलू शेयर बाजार में कमजोरी और अमेरिकी डॉलर की मजबूती के चलते रुपया बुधवार को कमजोर हुआ है. रुपया सोमवार को 78.34 प्रति डॉलर पर पर बंद हुआ था. वहीं आज शुरूआती कारोबार में 18 पैसे गिरकर 78.52 प्रति डॉलर पर खुला. इंट्राडे में गिरावट बढ़ गई और यह 78.60 के लेवल को भी पार कर गया. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में फिर तेजी भी रुपये में गिरावट की वजह बनी.
अब 78.80 प्रति डॉलर का लेवल अहम
IIFL, VP-रिसर्च, अनुज गुप्ता का कहना है कि आज के कारोबार में रुपया अपने सबसे निचले स्तरों पर पहुंच गया है. रुपये के लिए अब अगला रेजिस्टेंस लेवल 78.80 प्रति डॉलर का है. अगर रुपया यह लेवल ब्रेक करता है तो उसमें पहले 79 प्रति डॉलर और फिर 80 प्रति डॉलर तक गिरावट आ सकती है. रुपये के लिए 78.20/78.00 के लेवल पर सपोर्ट लेवल है.
मेहता इक्विटीज के VP, कमोडिटीज, राहुल कलांत्री का कहना है कि घरेलू बाजारों में FIIs की लगातार बिकवाली से रुपये पर दबाव पड़ रहा है. रूस पर और आर्थिक प्रतिबंध ग्लोबल एनर्जी प्राइसेस को बढ़ा सकते हैं, वहीं इमर्जिंग मार्केट की करंसी पर दबाव डाल सकते हैं. उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि इस हफ्ते रुपये में उतार-चढ़ाव बना रहेगा.
रुपये पर क्यों बढ़ रहा है दबाव
केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया का कहना है कि फेडरल रिजर्व बैंक ने यह संकेत दिया है कि आगे भी ब्याज दरों में एग्रेसिवली बढ़ोतरी जारी रहेगी. इससे डॉलर इंडेक्स को सपोर्ट मिल रहा है. वहीं ग्लोबल इकोनॉमी में स्लोडाउन की आशंका के चलते भी डॉलर में सेफ हैवन के रूप में फ्लो जारी है. इसकी वजह से रुपये में कमजोरी आई है. यूनियन बजट की बात करें तो क्रूड का आउटलुक 70 से 75 डॉलर प्रति बैरल का रखा गया था, लेकिन यह अनुमान से बहुत ज्यादा 110 डॉलर के पार है. इससे भी रुपये पर दबाव बढ़ा है.
भारत का ट्रेड डेफिसिट 2022 के मई में रिकॉर्ड हाई 24.29 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया. कमोडिटी की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण पेट्रोलियम, कच्चे तेल और अन्य उत्पादों के बढ़ते खरीद मूल्यों के बीच इंपोर्ट सालाना आधार पर 62.8 फीसदी बढ़कर 63.22 अरब डॉलर हो गया. रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते जियो पॉलिटिकल टेंशन ने शिपमेंट को नुकसान पहुंचाया है.