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रुपये में आल टाइम लो से आज यानी 13 मई को रिकवरी देखने को मिल रही है. (File)
Rupee may fall to new record low: रुपये में आल टाइम लो से आज यानी 13 मई को रिकवरी देखने को मिल रही है. आज यानी शुक्रवार को रुपया कंल के बंद भाव से 19 पैसे मजबूत हुआ है और 77.31 प्रति डॉलर पर ट्रेड कर रहा है. रुपया आज 77.35 प्रति डॉलर पर खुला और बाद में कुछ और रिकवरी आई. यूएस डॉलर इंडेक्स में हल्की कमजोरी आने से रुपये को सपोर्ट मिला है. बता दें कि गुरूवार के कारोबार में रुपये में 25 पैसे की गिरावट रही थी और यह 77.50 प्रति डॉलर के रिकॉर्ड लो पर आ गया था. हालांकि एक्सपर्ट अभी इसमें और गिरावट देख रहे हैं. उनका कहना है कि ऐसे ही हालात रहे तो रुपया 78 प्रति डॉलर के नीचे आ जाएगा.
फॉरेक्स ट्रेडर्स का कहना है कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया आज सीमित दायरे में कारोबार कर सकता है. इस बीच 6 प्रमुख करंसी के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति बताने वाला डॉलर इंडेक्स 0.19 फीसदी की गिरावट के साथ 104.65 पर आ गया. डॉलर इंडेक्स में इस कमजोरी का फायदा रुपये को मिला है. ब्रेंट क्रूड फ्यूचर 1.68 फीसदी बढ़कर 109.25 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर है.
रुपये में कमजोरी के पीछे क्या है वजह
एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज की करंसी डेस्क की रिपोर्ट के अनुसार डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट के पीछे बड़ी वजह यह है कि अमेरिकी मुद्रास्फीति के आंकड़ों के बाद ग्रीनबैक 104.43 डॉलर के मल्टी ईयर हाई पर पहुंच गया. हालांकि, पिछले महीने महंगाई ने थोड़ी राहत दी है. अप्रैल में CPI डाटा मार्च में 8.50 फीसदी की तुलना में 8.30 फीसदी रहा है. अप्रैल के लिए कीमतों में 0.30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई जो मार्च में फूड और एनर्जी के बिना कोर इनफ्लेशन 0.60 फीसदी बढ़ा है.
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तेजी से बढ़ सकती हैं ब्याज दरें
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने कहा है कि महंगाई अभी भी हाई लेवल पर है और उन्हें भरोसा है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व महंगाई पर अपना काम करेगा. फेडरल रिजर्व के मेंबर ने महंगाई के आंकड़ों के बाद कहा कि वह ब्याज दरें बढ़ाने का सपोर्ट करेंगे. ऐसे में यूएस फेड आने वाले मॉनेटरी पॉलिसी में फिर 50 प्वॉइंट का इजाफा ब्याज दरों में कर सकता है.
78 प्रति डॉलर पार कर जाएगा रुपया!
एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज के अनुसार ग्लोबल मार्केट सेंटीमेंट चीन में लॉकडाउन से और बिगड़े हैं. इससे आगे ग्रोथ पर असर पड़ेगा. वहीं महंगाई और जियो पॉलिटिकल टेंशन पहले से एक फैक्टर मौजूद है. इस बीच, घरेलू बाजार की बात करें तो आरबीआई अगस्त तक रेपो रेट को बढ़कर 5.15 फीसदी कर सकता है. ऐसे में रुपया अगर 77 प्रति डॉलर के नीचे आता है तभी इसमें कुछ सुधार देखने को मिलेगा. ऐसा न होने पर रुपया 78 से 78.25 प्रति डॉलर के लेवल तक पहुंच सकता है.
रुपये में कमजोरी से क्या होगा असर
IIFL के VP-रिसर्च अनुज गुप्ता का कहना है कि रुपया कमजोर होने का मतलब है कि देश का इंपोर्ट महंगा होगा. वैसे भी भारत कच्चे तेल की जरूरतों का 80 फीसदी इंपोर्ट करता है, जिसके बदले डॉलर में पेमेंट करना होता है. ऐसे में क्रूड का इंपोर्ट महंगा होगा, जिससे सरकार की बैलेंसशीट पर असर होगा. क्रूड महंगा होने से पेट्रोल और डीजल में भी बढ़ोतरी हो सकती है, जिससे ट्रांसपोर्टेशन की कीमत ज्यादा होगी. इंपोर्ट होने वाली कमोडिटी की कीमतें भी बढ़ेंगी. प्रोडक्शन के लिए जरूरी रॉ मटेरियल महंगे होंगे, जिससे प्रोडक्शन कास्ट बढ़ जाएगी. यानी देश में महंगाई का लेवल और बढ़ेगा. सीधे सीधे कह सकते हैं कि आम आदमी के लिए दाल रोटी महंगी होने लगेगी.