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Gold Bond: सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम में मैच्योरिटी 8 साल की होती है.
Sovereign Gold Bond 2022-23 Series IV : सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड यानी एसजीबी स्कीम (SGB) 2022-23 की चौथी सीरीज के लिए प्रति ग्राम सोने की इश्यू प्राइस 5,611 रुपये तय की गई है. गोल्ड बॉन्ड के जरिए सोने में निवेश करने के कई फायदे हैं. Millwood Kane International के फाउंडर एंड सीईओ निश भट्ट (Nish Bhatt) बताते हैं कि डोमेस्टिक मांग को पूरा करने के लिए सोने का आयात (इंपोर्ट) करने से करेंसी पर दबाव पड़ता है. पेपर गोल्ड होने के नाते SGB फिजिकल गोल्ड का एक प्रभावी विकल्प साबित हुआ है. निवेशक बिना किसी रखरखाव लागत और परेशानी के सोने में निवेश कर सकते हैं. फिजिकल गोल्ड की तुलना में इसमें लिक्विडिट अधिक आसान है ऐसा इसलिए क्योंकि इसके लिए प्रक्रिया ऑनलाइन है. गोल्ड बॉन्ड खरीद के लिए 6 मार्च 2023 यानी आज से 10 मार्च 2023 तक उपलब्ध होगी.
गोल्ड बॉन्ड के ये हैं फायदे
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को नवंबर 2015 में लॉन्च किया गया, इसका मुख्य मकसद सोने में निवेश के लिए एक विकल्प बनना रहा. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम में मैच्योरिटी 8 साल की होती है.
- इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इस पर सोने में आने वाली तेजी के अलावा निवेशकों को हर साल 2.5 फीसदी का अतिरिक्त ब्याज मिलता है. यह सोने में उतार चढ़ाव के दौरान निवेशकों को सुरक्षा देता है. जबकि फिजिकल गोल्ड के मामले में ऐसी सुविधा उपलब्ध नहीं है.
- मैच्योरिटी पर इसे रिडीम करने पर उस समय 999 प्योरिटी वाले गोल्ड की कीमत की दर से रिटर्न मिलता है. मैच्योरिटी पूरा होने पर मिलने वाला रिटर्न टैक्स फ्री होता है.
- गोल्ड बॉन्ड के लिए टेन्योर 8 साल होता है. लेकिन 5 साल तक होल्ड करने के बाद इससे बाहर निकल सकते हैं.
- इस बॉन्ड का इस्तेमाल लोन लेने के लिए कोलैट्रल के तौर पर भी किया जा सकता है.
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SGB लॉन्च से अब तक दोगुना हुआ निवेश
SGB में निवेश सीधे सोने की कीमतों से जुड़ा हुआ है, सोने की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी के चलते इसके निवेश में इस साल लगभग 2 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई, पिछले साल 6.6 फीसदी की वृद्धि हुई थी. साल 2015 में गोल्ड बॉन्ड लॉन्च हुआ था उसके बाद से इसमें निवेश दोगुना से अधिक हो चुका है. सीईओ निश भट्ट का कहना है कि सोने की कीमतों पर कुछ महंगाई का असर पड़ने की आशंका है क्योंकि सेंट्रल बैंक ने 2023 की शेष अवधि में दरों में और वृद्धि का संकेत दिया है. हालांकि, जिओपॉलिटिकल टेंशन में बढ़ोतरी और ग्लोबल इकोनॉमी में मंदी से सोने की कीमतों में तेजी को सपोर्ट मिलेगा.