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Soybean Price: खाने का तेल होगा सस्ता! मांग घटने से सोयाबीन की कीमतों में 12% आ सकती है गिरावट

कमोडिटी एक्सपर्ट का कहना है कि सोयाबीन अपनी मौजूदा कीमतों से 12 फीसदी टूटकर 5500 रुपये प्रति क्विंटल पर आ सकता है.

कमोडिटी एक्सपर्ट का कहना है कि सोयाबीन अपनी मौजूदा कीमतों से 12 फीसदी टूटकर 5500 रुपये प्रति क्विंटल पर आ सकता है.

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Sushil Tripathi
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Soybean Price: खाने का तेल होगा सस्ता! मांग घटने से सोयाबीन की कीमतों में 12% आ सकती है गिरावट

बढ़ रही सप्लाई के बीच मांग घटने से सोयाबीन की कीमतों में गिरावट बढ़ने का अनुमान है. (File)

Soybean Price Outlook: आने वाले दिनों में खाने का तेल सस्ता हो सकता है. आल में बढ़ रही सप्लाई के बीच मांग घटने से सोयाबीन की कीमतों में गिरावट बढ़ने का अनुमान है. कमोडिटी एक्सपर्ट का कहना है कि सोयाबीन अपनी मौजूदा कीमतों से 12 फीसदी टूटकर 5500 रुपये प्रति क्विंटल पर आ सकता है. मौजूदा खरीफ सीजन में बुआई बढ़ने की वजह से भी आने वाले दिनों में सोयाबीन की कीमतों पर दबाव बढ़ेगा. अभी सोयाबीन 6,250 रुपये पर ट्रेड कर रहा है. यानी इसमें मौजूदा भाव से 750 रुपये की गिरावट आ सकती है.

5500 रुपये पर आ सकता है भाव

ओरिगो ई-मंडी के असिस्टेंट जनरल मैनेजर (कमोडिटी रिसर्च) तरुण तत्संगी के मुताबिक आगामी हफ्तों में देश की सोयाबीन की प्रमुख मंडी इंदौर में सोयाबीन का भाव 6,000 रुपये से 6,583 रुपये के दायरे में कारोबार करता दिख सकता है. उनका कहना है कि मौजूदा स्तर से सोयाबीन का भाव 6,000 रुपये तक लुढ़कने के बाद 5500 रुपये के निचले स्तर को भी छू सकता है. हालांकि उनका मानना है कि सोयाबीन की कीमतों में पॉजिटिव मोमेंअम तभी आएगा जब भाव ट्रेंड रिवर्सल प्वॉइंट यानी टीआरपी 6,583 रुपये के ऊपर पहुंच जाए. अगर सोयाबीन की आगामी नई फसल के दाम की बात करें तो भाव 5,000 रुपये प्रति क्विंटल पर खुल सकता है.

तेजी के आसार बहुत कम

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अमेरिकी फेडरल रिजर्व के द्वारा मौद्रिक नीति में नरम रुख अपनाने और अमेरिका में सोयाबीन उत्पादक राज्यों में सामान्य के मुकाबले ज्यादा गर्म तापमान की वजह से सकारात्मक रुझान बनने से बीते 7 दिन में वैश्विक मार्केट में रिलीफ रैली देखने को मिली है. हालांकि तरुण का मानना है कि सोयाबीन की पर्याप्त सप्लाई और सीपीओ की कीमतों में कमजोरी को देखते हुए वैश्विक बाजार में सोयाबीन की कीमतों में ज्यादा तेजी के आसार कम हैं. फसल खराब होने की खबरों से घरेलू बाजार में सोयाबीन को कुछ सपोर्ट मिला है लेकिन फसल को कितना नुकसान हुआ है अभी यह कहना जल्दबाजी होगी. वहीं सरकार के ताजा बुआई के आंकड़ों के मुताबिक सोयाबीन की फसल की प्रगति अच्छी है.

कमजोर मांग से भी कीमतों पर दबाव

क्रूड सोयाबीन ऑयल और सूरजमुखी ऑयल पर आयात शुल्क को खत्म करने, इंडोनेशिया और मलेशिया से सीपीओ और पामोलीन की ज्यादा सप्लाई की उम्मीद, मिलर्स और स्टॉकिस्ट की ओर से सोयाबीन और सरसों की कमजोर मांग और सूरजमुखी ऑयल के आयात में बढ़ोतरी अभी भी सोयाबीन की कीमतों में गिरावट के लिए फैक्टर हैं. 31 जुलाई 2022 तक देशभर में सोयाबीन की बुआई 114.70 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जो कि पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 2.5 फीसदी और पिछले 5 साल की समान अवधि की सामान्य क्षेत्रफल के औसत से 13.7 फीसदी ज्यादा है.

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