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आने वाले दिनों में खाने के तेल की महंगाई से कुछ राहत मिल सकती है. (File)
Soybean Prices Updates: आने वाले दिनों में खाने के तेल की महंगाई से कुछ राहत मिल सकती है. असल में सोयाबीन की कीमतों में गिरावट का रुख देखने को मिल रहा है. सोयाबीन का भाव अभी 4 महीने के लो के आस पास है और इसमें और गिरावट का अनुमान है. एक्सपर्ट का कहना है कि आने वाले दिनों में सोयाबीन 6000 रुपये तक लुढ़क सकता है. जो अभी 6625 रुपये के आस-पास कारोबार कर रहा है. मंगलवार को रिफाइंड सोया तेल का भाव भी ढाई महीने के निचले स्तर पर आ गया था. फिलहाल योयाबीन में इसी तरह गिरावट बनी रही तो आगे खाने के तेल की कीमतों में भी कमजोरी आएगी.
सोयाबीन में गिरावट की प्रमुख वजह
ओरिगो ई-मंडी के असिस्टेंट जनरल मैनेजर (कमोडिटी रिसर्च) तरुण सत्संगी का कहना है कि कीमतों में कमजोरी के पीछे कुछ फैक्टर हैं. सोयाबीन ऑयल और सूरजमुखी ऑयल पर आयात शुल्क को खत्म करने, इंडोनेशिया और मलेशिया से सीपीओ और पामोलीन की ज्यादा सप्लाई की उम्मीद, मिलर्स और स्टॉकिस्ट की ओर से सोयाबीन की कमजोर मांग के अलावा अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में कीमतों में कमजोरी ने भी सोयाबीन के प्राइस सेंटिमेंट को प्रभावित किया है.
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सोयाबीन में गिरावट जारी रहने का अनुमान
तरुण सत्संगी का कहना है कि सोयाबीन में फिलहाल मंदी का रुझान बना रहेगा. इंदौर में सोयाबीन का भाव अभी 6625 रुपये के आस-पास कारोबार कर रहा है. सोयाबीन के भाव में यहां से गिरावट आ सकती है. इसके लिए महत्वपूर्ण सपोर्ट लेवल 6500 रुपये है. अगर यह लेवल ब्रेक होता है तो सोयाबीन 6000 रुपये-6200 रुपये तक कमजोर हो सकता है. सोयाबीन की कीमतों में तेजी का रुझान तभी बनेगा, जब भाव 7310 रुपये प्रति क्विंटल से ऊपर टिकना शुरू हो जाएगा. हालांकि मौजूदा परिस्थितियों में यह कठिन दिख रहा है.
रिफाइंड सोया तेल भी फिसला
इंदौर में रिफाइंड सोया तेल का भाव 1550 रुपये प्रति 10 किलोग्राम के आस-पास है. मंगलवार को रिफाइंड सोया तेल का भाव ढाई महीने के निचले स्तर 1538 रुपये तक लुढ़क गया था. उनका कहना है कि रिफाइंड सोया तेल की कीमतों में सीमित दायरे से लेकर कमजोरी के रुझान के साथ कारोबार की संभावना है. शॉर्ट टर्म में रिफाइंड सोया तेल में 1,538-1500 रुपये का लेवल दिख सकता है. सरसों तेल और सीपीओ की तुलना में सोयाबीन के भाव में असमानता होने से सोयाबीन तेल की डिमांड कमजोर रहेगी.
भारत में अबतक बुआई कमजोर
कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक किसानों ने चालू खरीफ सीजन में गुरुवार तक 21,200 हेक्टेयर में सोयाबीन की बुआई की है, जो कि एक साल पहले के मुकाबले 76 फीसदी कम है. देश के दूसरे सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में सोयाबीन की बुआई पिछले साल की तुलना में 99 फीसदी घटकर 700 हेक्टेयर दर्ज किया गया है, जबकि सबसे बड़े उत्पादक मध्य प्रदेश में अभी बुआई की शुरू होनी है. आंकड़ों के मुताबिक कर्नाटक में रकबा 72 फीसदी की गिरावट के साथ 8,900 हेक्टेयर दर्ज किया गया था, जबकि नागालैंड में यह सालाना आधार पर 59 फीसदी बढ़कर 9,200 हेक्टेयर हो गया है.
बता दें कि सरकार ने सालाना 20-20 लाख टन क्रूड सोयाबीन ऑयल और सूरजमुखी तेल के आयात पर सीमा शुल्क और सेस को मार्च 2024 तक खत्म कर दिया है. इस निर्णय के साथ 5 फीसदी प्रभावी सीमा शुल्क और सेस को शून्य कर दिया जाएगा और वित्त वर्ष 2022-23 और 2023-24 में कुल 80 लाख टन क्रूड सोयाबीन ऑयल और क्रूड सूरजमुखी तेल के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दी जाएगी.
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