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सोने की सालाना मांग में आई तेजी का स्तर कोविड से पहले के स्तर पर पहुंच गया है.
Gold Demand : वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की नई गोल्ड डिमांड ट्रेंड्स रिपोर्ट से पता चला है कि सोने की मांग (ओटीसी को छोड़कर) तीसरी तिमाही में 1,181 टन के स्तर पर पहुंच गई है और इस तरह सोने की मांग में सालाना आधार पर 28 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गई. मांग में आई तेज़ी से सोने की सालाना मांग का स्तर कोविड से पहले के स्तर पर पहुंच गया है. सोने की मांग में यह तेज़ी उपभोक्ताओं और केंद्रीय बैंकों की वजह से आई, हालांकि निवेश मांग में गिरावट दर्ज की गई.
निवेश में 47 फीसदी दर्ज की गई गिरावट
सालाना आधार पर निवेश में 47 फीसदी गिरावट दर्ज की गई क्योंकि ईटीएफ निवेशकों ने उच्च ब्याज दरों और मज़बूत अमेरिकी डॉलर की चुनौती को देखते हुए कारोबार किया जिसकी वजह से 227 टन की निकासी दर्ज की गई. इन गतिविधियों के साथ-साथ ओटीसी मांग में कमज़ोरी और फ्यूचर बाज़ारों में नकारात्मक भावनाओं की वजह से सोने की कीमतों पर बुरा असर पड़ा. 2022 की तीसरी तिमाही के दौरान तिमाही आधार पर सोने की कीमतों में 8 फीसदी की गिरावट देखने को मिली. इन मुश्किलों के बावजूद सोना खुदरा निवेशकों के बीच लोकप्रिय बना रहा जिन्होंने बाज़ार की अलग-अलग परिस्थितियों के हिसाब से प्रतिक्रिया दी और बढ़ती महंगाई व भूराजनीतिक अनिश्चितता के बीच मूल्यवान होने की वजह से सोने का रुख किया. निवेशकों ने सोने के बार और सिक्कों से महंगाई का मुकाबला किया जिससे कुल खुदरा मांग सालाना आधार पर 36 फीसदी बढ़ गई. तुर्की (सालाना आधार पर पांच गुना से ज़्यादा) और जर्मनी (सालाना आधार पर 25 फीसदी बढ़कर 42 टन) में हुई जबरदस्त खरीदारी से इस रुझान को बल मिला, लेकिन सभी प्रमुख बाज़ारों ने इसमें महत्वपूर्ण योगदान दिया.
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भारत में इन उपभोक्ताओं की वजह से सोने की बढ़ी मांग
आभूषण की खपत में बढ़ोतरी का रुझान जारी रहा और अब यह महामारी से पहले के स्तर पर पहुंच गया और 523 टन रहा जो 2021 की तीसरी तिमाही के मुकाबले 10 फीसदी ज़्यादा रहा. इस वृद्धि में भारत के शहरी उपभोक्ताओं ने महत्वपूर्ण योगदान दिया जिससे मांग सालाना आधार पर 17 फीसदी बढ़कर 146 टन के स्तर पर रही. इसके साथ ही सऊदी अरब में आभूषणों की खपत में 2021 की तीसरी तिमाही में 20 फीसदी वृद्धि देखने को मिली, वहीं संयुक्त अरब अमीरात में भी इस दौरान 30 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई और इस तरह लगभग पूरे मध्य पूर्व में जबरदस्त वृद्धि देखने को मिली. चीन में भी उपभोक्ताओं के बढ़े हुए आत्मविश्वास और सोने की स्थानीय कीमतों में गिरावट की वजह से आभूषणों की मांग में सालाना आधार पर 5 फीसदी की वृद्धि देखने को मिली जिससे मांग में बढ़ोतरी हुई. ग्राहकों के बीच सोने की मांग में मज़बूती आने के साथ केंद्रीय बैंकों की सोने की खरीदारी में भी तेज़ी देखने को मिली. इस दौरान तीसरी तिमाही के दौरान केंद्रीय बैंकों ने करीब 400 टन की रिकॉर्ड खरीदारी की. यह पैटर्न, केंद्रीय बैंकों के बीच किए गए सर्वे से मिली जानकारी को दर्शाता है जिसमें 25 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि वे अगले 12 महीनों के दौरान अपने गोल्ड रिज़र्व को बढ़ाना चाहते हैं.
अगर आपूर्ति की बात करें, तो 2021 की तीसरी तिमाही के मुकाबले खदानों से होने वाला उत्पादन (हेजिंग के लिए शुद्ध मात्रा) 2 फीसदी बढ़ा है. सोने की खुदाई में लगातार छठी तिमाही के दौरान वृद्धि दर्ज की गई है. इसके उलट रिसाइकलिंग तीसरी तिमाही में सालाना आधार पर 6 फीसदी कम रही क्योंकि बढ़ती महंगाई दर और अनिश्चित आर्थिक परिदृश्य को देखते हुए उपभोक्ता अपना सोना अपने पास बनाए रखना चाहते हैं.
सुरक्षित निवेश का जरिया है सोना
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के सीनियर मार्केट्स एनालिस्ट ने लुई स्ट्रीट कहा कि वृहद आर्थिक परिदृश्य में अनिश्चितताओं के बीच इस साल की मांग से ये साफ हो गया है कि सोने को अब भी सुरक्षित निवेश माध्यम का दर्जा हासिल है. एक तथ्य यह भी है कि 2022 में सोने का प्रदर्शन निवेश के अन्य माध्यमों के मुकाबले बेहतर रहा. आने वाले समय में हमारा अनुमान है कि केंद्रीय बैंकों की खरीदारी और खुदरा निवेश मज़बूत बना रहेगा और इससे ओटीसी व ईटीएफ निवेश में आने वाली कमी की भरपाई करने में मदद मिलेगी. डॉलर के मज़बूत बने रहने पर ओटीसी और ईटीएफ निवेश में कमी बनी रहेगी. हमें यह भी उम्मीद है कि आभूषणों की मांग भारत और दक्षिणपूर्व एशिया जैसे कुछ क्षेत्रों में मज़बूत बनी रहेगी. इसके साथ ही टेक्नोलॉजी सेक्टर में वैश्विक अर्थव्यवस्था के असर की वजह से गिरावट बनी रहने की आशंका है.
(गोल्ड डिमांड ट्रेंड्स Q3, 2022 रिपोर्ट, जिसमें मेटल्स फोकस की ओर से उपलब्ध कराया गया संपूर्ण डेटा शामिल है, यहां देखी जा सकती है)