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रसोई में सभी प्रकार के कीटाणु यानी जर्म और बैक्टीरिया हो सकते हैं. (Photo/unsplash.com/)
Dirty Tea Towels Are Breeding Grounds for Harmful Bacteria: रसोई में सभी प्रकार के कीटाणु यानी जर्म और बैक्टीरिया हो सकते हैं. ये इंसानों, पालतू जानवरों, कच्चे फूड मैटेरियल या यहां तक कि पौधों के माध्यम से भी फैल सकते हैं. मतलब ये कि कंटामिनेटेड फूड, पेय पदार्थ या पानी से लोगों को चपेट में लेने वाले तमाम फैक्टर घर के भीतर ही मौजूद होते हैं. अधिकतर रसोई यानी किचेन में सफाई का एक अहम साधन ‘टी टॉवल’ (कपड़े का तौलिया) है, जिसे बर्तन साफ करने के कपड़े के रूप में भी जाना जाता है.
आमतौर पर कॉटन या लिनेन से बने इस कपड़े का इस्तेमाल गीले हाथों को पोछने और रसोई के बर्तनों को सुखाने के साथ-साथ सतहों को पोंछने के लिए किया जाता है, इसलिए ये रसोई की स्वच्छता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. हालांकि, हाथ और कच्ची सब्जियां और खाद्य पदार्थ अक्सर विभिन्न प्रकार के जर्म्स से भरपूर होते हैं, ऐसे में रसोई के तौलिये के संपर्क में आने से उनमें इसके पनपने का खतरा रहता है. रसोई के उन तौलिया पर एक अध्ययन किया गया, जिनका इस्तेमाल ऐसे बोर्ड को साफ करने के लिए किया गया था, जिन पर एक खास तरह के बैक्टीरिया (सलमोनेला) से ग्रसित मुर्गे को काटा गया था.
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गंदी तौलियों के इस्तेमाल से हो सकता भारी नुकसान
स्टडी में पाया गया कि ऐसे बोर्ड को साफ करने के लिए इस्तेमाल किए गए 90 फीसदी तौलिया सलमोनेला बैक्टीरिया से संक्रमित पाए गए. सलमोनेला के संक्रमण के कारण डायरिया यानी अतिसार, बुखार और पेट में दर्द समेत अन्य दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. कई अध्ययनों में देखा गया है कि रसोई में सफाई के लिए उपयोग होने वाले तौलिये आमतौर पर रसोई में मौजूद जर्म्स के प्रसार का कारण बनते हैं. एक अध्ययन में इस्तेमाल किए गए 100 रसोई तौलियों का नमूना लिया गया और उनमें ‘स्टैफिलोकोकस ऑरियस’ बैक्टीरिया की उल्लेखनीय उपस्थिति पाई गई, जो अक्सर स्किन पर पाया जाता है लेकिन यह एक बीमारियों के लिए जिम्मेदार भी हैं जो फोड़े-फुंसी, जोड़ों में संक्रमण और यहां तक कि निमोनिया जैसी समस्याओं का कारण बन सकते हैं.
रसोई के तौलिये में जर्म्स और बैक्टीरिया आसानी से चिपक जाते हैं. 46 रसोई घरों पर किए गए एक अन्य अध्ययन में रसोई की सतहों पर रहने वाले हानिकारक बैक्टीरिया की प्रजातियों की एक विस्तृत श्रृंखला पाई गई, जिन्हें अक्सर तौलिये से साफ किया जाता है. कई रसोई की सतहों पर ‘एंटरोबैक्टर’ (जो श्वसन तंत्र में संक्रमण, त्वचा में संक्रमण, मूत्र संक्रमण और हड्डी और आंखों में संक्रमण का कारण बन सकता है), ‘क्लेबसिएला’ (जो फेफड़ों, मूत्राशय, मस्तिष्क और रक्त के गंभीर संक्रमण से जुड़ा हुआ है) और ‘ई. कोलाई’ (जो पेट में दर्द और मूत्र संक्रमण का कारण बन सकता है) पाया गया.
कई रसोइयों में ‘स्यूडोमोनास एरुगिनोसा’ की मौजूदगी भी थी, जो फेफड़ों में संक्रमण का कारण बन सकता है. इसके अलावा कई अन्य तरह के बैक्टीरिया भी रसोई के तौलिये के सपंर्क में आते हैं, जिसका इस्तेमाल करने से कई अन्य तरह के संक्रमण का खतरा बना रहता है.
अपनाएं ये उपाय मिलेगी राहत
किचन में इस्तेमाल की जाने वाली तौलियों पर पाए जाने वाले कीटाणुओं के स्तर और प्रकार, इस बात से प्रभावित होते हैं कि उनका इस्तेमाल कैसे किया जाता है, उन्हें कितनी बार धोया जाता है और उन्हें कितने समय तक सुखाया जाता है. वहीं, 60° डिग्री सेल्सियस गर्म पानी में रसोई के तौलिये को धोने से जर्म्स की संख्या में कमी आती है. ऐसा इसलिए क्योंकि पारा बढ़ने पर कई बैक्टीरिया असहज होने लगते हैं और उनकी मौत हो जाती है.