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इमोशनल होकर फैसला लेते समय उसके फाइनेशियल पक्ष को जरूर ध्यान में रखें
Investment Strategy: हम अपनी रोजमर्रा की लाइफ में कई बार ऐसे हालातों में फंस जाते हैं, जहां हमें इमोशनल या फाइनेंशियल तौर पर फैसले लेने पड़ते हैं. ऐसे में आम तौर पर लोग भावनाओं के आधार पर ही फैसला लेते हैं. ऐसा करने से न सिर्फ उनकी जेब पर बुरा असर पड़ता है, बल्कि इसका उनके फ्यूचर पर बहुत ही नेगेटिव असर पड़ता है. क्योंकि भावना के आधार पर फैसले लेते हुए अकसर लोग पैसों को तवज्जो नहीं देते हैं. जबकि ऐसे में हालातों को इमोशनल होकर देखने के बजाय हमेशा प्रेक्टिकल होकर देखना चाहिए. ताकि आप एक बैलेंस मेंटेन करते हुए अपने आप को नुकासन से बचा सकते हैं.
सेल्फ इंडिपेंडेंट होना जरूरी
आज के दौर में हर कोई अपनी पसंद से जिंदगी जीना चाहता है. वो नहीं चाहता कि उसकी लाइफ में किसी और का दखल हो या कोई भी दूसरा व्यक्ति उसकी जिंदगी को कंट्रोल करे. जो सही भी है. सभी को अपनी मर्जी से जिंदगी जीने का अधिकार भी है. लेकिन क्या सिर्फ अधिकार के दम पर आप अपनी पसंद की जिंदगी जी सकते हैं ? नही. अपनी पसंद की जिंदगी जीने के लिए आप का सेल्फ इंडिपेंडेंट होना बहुत जरूरी है.
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स्पष्ट करें अपने लाइफ के गोल्स
ऐसा नहीं हो सकता कि आप दूसरों पर डिपेंडेंट होकर अपनी पसंद से जिंदगी जी सकते हैं. इसलिए आप को अपनी पसंद की लाइफ स्टाइल के लिए खुद के खर्चे खुद ही उठाने चाहिए. आम तौर पर दो तरह से लोग होते हैं, एक तो वो जिन्हें अपनी लाइफ के गोल के बारे में पता ही नहीं होता और दूसरे वे लोग जिनका अपनी लाइफ के गोल को लेकर बहुत की स्पष्ट होते हैं. दोनों में सिर्फ एक ही बेसिक अंतर होता है. गोल की जानकारी का. जिन लोगों को उनकी जिंदगी की लाइफ को लेकर गोल साफ नहीं हैं वो अंधेरे में भटकते रहते हैं. उन्हें नहीं पता कि उन्हें किस दिशा में कित तरह से कोशिश व मेहनत करनी है, जबकि दूसरी ओर वो लोग हैं जिनके गोल बहुत साफ होते हैं.
ऐसे लोगों का पूरा फोकस अपने गोल को हासिल करने में रहता है. वो कभी भी इमोशनल होकर फैसला नहीं लेते हैं और वो लगातार अपने फाइनेंशियल बैकग्राउंड को मजबूत करने की कोशिश करते हैं. ताकि उनको और उनके परिवार को अपनी लाइफ स्टाइल में किसी मजबूरी की वजह से समझौता करना पड़े.
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आम तौर पर लाइफ में दो तरह के गोल्स होते हैं,
पहला शॉर्ट टर्म और दूसरा लॉन्ग टर्म
शॉर्ट टर्म गोल में लोगों की वो इच्छाएं होती हैं, जिन्हें वो मौजूदा समय में पूरा करना चाहते हैं. जैसे अपना और अपने परिवार का खर्चा चलाने, बच्चों की स्कूल फीस देना और एक बेहतर लाइफ स्टाइल हासिल करना. लॉन्ग टर्म गोल में वो इच्छाएं या चाहते हैं, जिन्हें लोग भविष्य में पूरा करना चाहते हैं, जैसे बच्चों की डेस्टिनेशन वेडिंग करना, अपने पोते-पोती के साथ डिज्नी लैंड घूमना, दुनिया की सैर करना आदि.
इसलिए हमेशा शॉर्ट टर्म व लॉन्ग टर्म गोल के लिए एक बैलेंस प्लानिंग की जरूरत होती है, ताकि आप अपने दोनों गोल को आसानी से हासिल कर सकें. इसके लिए आप को अपनी इनकम या आमदनी में रोजमर्रा की जरूरतों का साथ ही निवेश को शामिल करना होगा ताकि आप को भविष्य में पैसों की जरूरत होने पर किसी और का मुंह ने देखना पड़े.
(Article by Bhuvanaa Shreeram,Co-Founder & Head of Financial Planning, House of Alpha)