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Rupee Vs Dollar in October: अक्टूबर में 1.8% लुढ़का रुपया, 1985 के बाद किसी भी एक महीने की सबसे बड़ी गिरावट, 10 प्वाइंट में समझें पूरा मसला

मौजूदा वित्त वर्ष के सभी 10 महीनों में डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर ही हुआ है, अक्टूबर में तो इसमें इतनी गिरावट आई, जितनी 1985 के बाद किसी भी एक महीने में नहीं आई थी.

मौजूदा वित्त वर्ष के सभी 10 महीनों में डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर ही हुआ है, अक्टूबर में तो इसमें इतनी गिरावट आई, जितनी 1985 के बाद किसी भी एक महीने में नहीं आई थी.

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Viplav Rahi
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Indian Rupee Vs Dollar in October 2022

मौजूदा वित्त वर्ष के सभी 10 महीनों के दौरान भारतीय करेंसी लगातार कमजोर हुई है. (Representational Image/Indian Express)

Indian Rupee Vs Dollar in October 2022: मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान भारतीय करेंसी लगातार कमजोर हुई है. डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट का यह सिलसिला अक्टूबर के महीने में और तेज हुआ है. इस महीने के दौरान हमने रुपये को गिरकर 83.29 का न्यूनतम स्तर छूते भी देखा है. चिंता की बात ये है कि ज्यादातर एक्सपर्ट आने वाले दिनों में भी हालात में खास सुधार की उम्मीद नहीं कर रहे हैं. रुपये में गिरावट के पूरे मसले को समझने के लिए जानते हैं इससे जुड़ी 10 बड़ी बातें :

रुपये में गिरावट से जुड़ी 10 बड़ी बातें

  1. मौजूदा वित्त वर्ष (2022-23) के सभी 10 महीनों के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट देखने को मिली है.
  2. अक्टूबर 2022 में रुपया डॉलर के मुकाबले 1.8% गिरा, जो 1985 के बाद अब तक किसी भी एक महीने के दौरान दर्ज की गई सबसे बड़ी गिरावट है.
  3. पूरे मौजूदा साल की बात करें तो डॉलर के मुकाबले रुपया अब तक करीब 11% कमजोर हुआ है.
  4. डॉलर इंडेक्स इस साल 16% बढ़ा है. पिछले महीने इसने 114.8 का आंकड़ा भी छू लिया था, जो इसके 2002 के सबसे ऊंचे स्तर के करीब है.
  5. डॉलर की इस तेजी के लिए काफी हद तक अमेरिकी फेडरल रिजर्व की आक्रामक मॉनेटरी पॉलिसी जिम्मेदार है.
  6. डॉलर में तेजी का दूसरे देशों, खास तौर पर एशिया के इमर्जिंग मार्केट्स की मुद्राओं पर बुरा असर पड़ रहा है.
  7. रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने का भारतीय करेंसी पर बुरा असर पड़ा है.
  8. पिछले दो महीनों के दौरान रुपये में गिरावट और तेज हुई है. कई जानकार इसके लिए रिजर्व बैंक के रुख में बदलाव को जिम्मेदार मानते हैं. उनका मानना है कि रिजर्व बैंक ने काफी दिनों तक रुपये को 79-80 के स्तर पर बनाए रखने की कोशिश की, लेकिन उसके बाद उसे गिरने दिया.
  9. ज्यादातर ट्रेडर और अर्थशास्त्री इस साल के बाकी बचे महीनों के दौरान रुपये की स्थिति में खास सुधार आने की उम्मीद नहीं कर रहे हैं, क्योंकि यूएस फेड महंगाई पर काबू पाने के लिए ब्याज दरों को ऊंचे स्तर पर बनाए रखने के हक में माना जा रहा है.
  10. अमेरिकी फेडरल रिजर्व की 1 और 2 नवंबर को होने वाली मीटिंग में अगर एक बार फिर से ब्याज दरें बढ़ाने का फैसला हुआ तो रुपये पर दबाव और बढ़ सकता है.
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अगले कुछ दिनों में क्या होगा?

यूएस फेडरल रिजर्व की बैठक के अगले ही दिन यानी 3 नवंबर को रिजर्व बैंक ने भी मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक बुलाई है. लेकिन उसे सिर्फ महंगाई के मुद्दे पर सरकार की दी जाने वाली सफाई से जोड़कर देखा जा रहा है. फिर भी रिजर्व बैंक अगर यूएस फेड के किसी कदम को बैलेंस करने और रुपये को संभालने के लिए कोई एलान कर दे, तो हैरानी नहीं होनी चाहिए.

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