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निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2023 को वित्त मंत्री के तौर पर लगातार पांचवीं बार केंद्रीय बजट पेश करेंगी. (Photo : ANI)
FM Sitharaman on Budget 2023 : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश के अगले बजट में सरकार की संभावित रणनीति के बारे में एक अहम बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि मोदी सरकार के अगले बजट में आर्थिक विकास को रफ्तार देने के लिए सार्वजनिक व्यय यानी सरकारी खर्च में वृद्धि करने पर जोर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस मामले में मोदी सरकार के अगले बजट का मिजाज या रुझान भी वैसा ही रहेगा, जैसा पिछले सालों में रहा है. वित्त मंत्री ने ये बातें दिल्ली में उद्योग संघ फिक्की (FICCI) के एक कार्यक्रम में कहीं.
पिछले बजट में 35% बढ़ा था कैपेक्स
निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2023 को वित्त मंत्री के तौर पर लगातार पांचवीं बार केंद्रीय बजट पेश करेंगी. उन्होंने आने वाले बजट में भी पिछले बजट की स्पिरिट को ही फॉलो करने की जो बात कही है, वो इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि 2022-23 के बजट में उन्होंने पूंजीगत खर्च या कैपेक्स (capital expenditure or Capex) में भारी इजाफा किया था. उस बजट में अर्थव्यवस्था को कोविड-19 महामारी के असर से उबारने और डिमांड बढ़ाने की कोशिश के तहत कैपेक्स को 5.5 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 7.5 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया था. यानी एक साल में ही उन्होंने कैपेक्स में 35.4 फीसदी का इजाफा किया था.
वित्त मंत्री ने कहा, "हम देश का अगला बजट पेश करने की तैयारी कर रहे हैं. यह बजट भी हमारी उसी भावना को आगे बढ़ाएगा जो पिछले बजटों में रही है. हम एक मिसाल पेश करने जा रहे हैं, जिसे हमने पहले भी करके दिखाया है, लेकिन अब उसे और आगे बढ़ाएंगे, जिससे भारत का अगले 25 वर्षों का भविष्य निर्धारित होगा."
Watch: Smt @nsitharaman's full keynote address at the 95th @ficci_india's Annual Convention and AGM in New Delhi. #FICCIAGM#IndiaAt100@FinMinIndia@PIB_Indiahttps://t.co/vPMfA3KxPr
— Nirmala Sitharaman Office (@nsitharamanoffc) December 16, 2022
2024 लोकसभा चुनाव से पहले आखिरी पूर्ण बजट
निर्मला सीतारमण का अगला बजट अप्रैल-मई 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों से पहले मोदी सरकार का आखिरी पूर्ण बजट (last full budget) होगा. जाहिर है, इस बजट में सरकार उन मसलों पर अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ना चाहेगी, जो आर्थिक मोर्चे पर देश के लोगों को प्रभावित कर सकते हैं. इस लिहाज से आगामी बजट में महंगाई पर काबू पाने, डिमांड और रोजगार में इजाफा करने और ग्रोथ रेट बढ़ाने की चुनौती सरकार के सामने रहेगी.
महंगाई, विकास दर में बैलेंस बनाने की चुनौती
सरकार के सामने बड़ी चुनौती यह है कि पिछले कुछ महीनों के दौरान देश की जीडीपी विकास दर कम हुई है. रिजर्व बैंक समेत कई संस्थान मौजूदा वित्त वर्ष के लिए भारत की जीडीपी विकास दर में गिरावट के अनुमान जाहिर कर चुके हैं. आरबीआई (RBI) के मुताबिक 2022-23 के पूरे वित्त वर्ष के दौरान देश की जीडीपी विकास दर 6.8 फीसदी रहेगी. लेकिन तीसरी तिमाही में यह ग्रोथ रेट 4.4 रही, जो चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च 2023) में और घटकर 4.2 फीसदी रह जाने के आसार हैं. ग्रोथ रेट घटने के बावजूद महंगाई पर काबू पाने के लिए रिजर्व बैंक को ब्याज दरों में बढ़ोतरी के रास्ते पर चलना पड़ रहा है. महंगाई घटाने और ग्रोथ रेट बढ़ाने के बीच नाजुक संतुलन बनाना किसी भी सरकार या केंद्रीय बैंक के लिए आसान काम नहीं है.
भारत की स्थिति दुनिया के ज्यादातर बड़े देशों से बेहतर
इन मुश्किलों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति दुनिया के ज्यादातर बड़े देशों के मुकाबले बेहतर है. हालांकि अंतराष्ट्रीय स्तर पर महंगाई पर काबू पाने के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी का सिलसिला जारी रहने और 2023 में आर्थिक माहौल और बिगड़ने की आशंकाएं इस चुनौती को बढ़ा रही हैं. ऐसे में सबकी नजरें इस बात पर रहेंगी कि वित्त मंत्री अपने अगले बजट में इन हालात से निपटने का कौन सा रोडमैप देश के सामने पेश करती हैं.