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The applications for the fourth cohort were received from June 15 to August 1, 2022.
CAD widens to 4.4% of GDP in Q2FY23: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के ताजा आंकड़ों के मुताबिक सितंबर तिमाही के दौरान देश के करेंट एकाउंट डेफिसिट (CAD) यानी चालू खाते के घाटे में भारी इजाफा हुआ है. जुलाई से सितंबर 2022 के दौरान CAD बढ़कर GDP के 4.4 फीसदी के बराबर हो गया, जबकि अप्रैल-जून 2022 के दौरान यह 2.2 फीसदी था. पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही के मुकाबले तो इसमें और भी ज्यादा बढ़ोतरी हुई है. गुरुवार को जारी इन आंकड़ों के मुताबिक चालू खाते के घाटे में आए इस उछाल के लिए मुख्यतौर पर देश के व्यापार घाटे में हुई बढ़ोतरी जिम्मेदार है.
पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के मुकाबले 4 गुना हुआ CAD
रिजर्व बैंक की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक जुलाई से सितंबर 2022 (Q2:2022-23) के दौरान भारत के करेंट एकाउंट बैलेंस में 36.4 अरब डॉलर का घाटा दर्ज किया गया, जो देश की जीडीपी के 4.4 फीसदी के बराबर है. इसकी तुलना में अप्रैल से जून 2022 (Q1:2022-23) के दौरान देश का CAD महज 18.2 अरब डॉलर रहा था, जो जीडीपी के 2.2 फीसदी के बराबर है. सितंबर 2022 में खत्म तिमाही के CAD की तुलना अगर पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि से करें तो और भी चिंताजनक तस्वीर सामने आती है. जुलाई से सितंबर 2021 (Q2:2021-2) के दौरान देश का करेंट एकाउंट डेफिसिट महज 9.7 अरब डॉलर रहा था, जो जीडीपी के 1.3 फीसदी के बराबर है. वित्त वर्ष 2021-22 की दूसरी तिमाही से लेकर वित्त वर्ष 2022-22 की दूसरी तिमाही के बीच देश का CAD बढ़कर करीब चार गुना हो चुका है. छमाही आंकड़ों को देखें तो मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही यानी अप्रैल-सितंबर 2022 (H1:2022-23) के दौरान देश का करेंस एकाउंट डेफिसिट जीडीपी के 3.3 फीसदी के बराबर था, जबकि अप्रैल-सितंबर 2021 (H1:2021-22) में यह जीडीपी के महज 0.2 फीसदी के बराबर ही था.
मर्चेंडाइज व्यापार घाटे में भारी इजाफा
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक करेंट एकाउंट डेफिसिट में यह उछाल देश के मर्चेंडाइज़ ट्रेड डेफिसिट यानी व्यापार घाटे में बढ़ोतरी होने की वजह से आया है. 2022-23 की पहली तिमाही के दौरान मर्चेंडाइज़ ट्रेड डेफिसिट 63 अरब डॉलर था, जो जुलाई-सितंबर 2022 तक बढ़कर 83.5 अरब डॉलर हो गया. इसके अलावा नेट इनवेस्टमेंट इनकम का निगेटिव होना भी CAD के बढ़ने की एक वजह है.
सर्विस सेक्टर एक्सपोर्ट ने संभाली हालत
गनीमत ये है कि इस दौरान देश के सर्विस सेक्टर्स के एक्सपोर्ट में सालाना आधार पर 30.2 फीसदी का इजाफा हुआ, वरना हालात और भी खराब हो सकते थे. रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक सर्विसेज के एक्सपोर्ट में बढ़ोतरी में सबसे ज्यादा योगदान सॉफ्टवेयर, बिजनेस और ट्रैवल सर्विसेज के क्षेत्र की बेहतर ग्रोथ का रहा है, जिसमें सीक्वेंशियल और सालाना - दोनों ही आधारों पर आमदनी बढ़ी है.