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सरकार का राजकोषीय घाटा पूरे साल के लक्ष्य के करीब 12.5 फीसदी पर पहुंच चुका है.
Fiscal Deficit: राजकोषीय घाटे को कम करने की सरकार की कोशिशें सफल नहीं दिख रही है. सरकार पिछले साल का ही लेवल मेंटेन करने की कोशिश कर रही है लेकिन आज जारी आंकड़ों के मुताबिक वह इसमें सफल नहीं दिख रही है. सरकार का राजकोषीय घाटा पूरे साल के लक्ष्य के करीब 12.5 फीसदी पर पहुंच चुका है. अधिक खर्च के चलते राजकोषीय पिछले महीने मई के आखिरी में वित्त वर्ष 2022-23 के सालाना बजट लक्ष्य 12.3 फीसदी पर पहुंच गया. यह आंकड़ा आज गुरुवार (30 जून) जारी हुआ है.
राजकोषीय घाटा सरकार के खर्च और रेवेन्यू के बीच का अंतर है. इससे सरकार को कितने कर्ज की जरूरत है, इसका संकेत मिलता है. पिछले वित्त वर्ष 2021-21 में राजकोषीय घाटा समान अवधि में संशोधित बजट एस्टीमेट के 8.2 फीसदी पर रहा. बता दें कि कुछ दिनों पहले रॉयटर्स ने सरकारी सूत्रों के हवाले से जानकारी दी थी कि बढ़ती महंगाई की वजह से सरकार के लिए राजकोषीय घाटे को कम करना मुश्किल होता जा रहा है तो उसकी कोशिश है कि यह कम से कम पिछले साल के स्तर पर तो बना रहे.
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ये रहे प्रमुख आंकड़े
- कंट्रोलर जनरल ऑफ अकाउंट्स (CGA) द्वारा जारी आंकड़ो के मुताबिक मई के आखिरी तक 2,03,921 करोड़ रुपये का राजकोषीय घाटा हुआ.
- वित्त वर्ष 2020-23 के लिए राजकोषीय घाटा जीडीपी के 6.4 फीसदी पर फिक्स किया गया है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में इसे 6.71 फीसदी पर फिक्स किया गया था.
- सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मई के आखिरी में सरकारी की कुल प्राप्तियां 3.81 लाख करोड़ रुपये रही जो 2022-23 के बजट एस्टीमेट से करीब 16.7 फीसदी पर है. वित्त वर्ष 2021-22 की बात करें तो उस वित्त वर्ष के बजट एस्टीमेट से सरकार को समान अवधि में करीब 18 फीसदी प्राप्तियां हासिल हुईं.
- मई में सरकार को बजट एस्टीमेट का 15.9 फीसदी टैक्स रेवेन्यू हासिल हुआ. एक साल पहले यह 15.1 फीसदी पर था. एक्चुअल टर्म में बात करें तो अप्रैल-मई 2022 में सरकार को 3,07,589 करोड़ रुपये का नेट टैक्स रेवेन्यू हासिल हुआ.
- जारी आंकड़ों के मुताबिक मई तक सरकार ने 5.85 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जो बजट एस्टीमेट का करीब 14.8 फीसदी है. पिछले साल की समान अवधि में यह 13.7 फीसदी पर था.
- चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिए सरकार ने 16,61,196 करोड़ रुपये के राजकोषीय घाटे का अनुमान लगाया है.