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The NSO estimates that for the full year, it could be as good as 28.3%.
रेटिंग एजेंसी इक्रा (ICRA) के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही अप्रैल-जून 2022 में भारतीय इकॉनमी 12-13 फीसदी की दर से बढ़ सकती है. इक्रा के मुताबिक अप्रैल में बिजनेस एक्टिविटी इंडेक्स रीडिंग 13 महीने में दूसरा सबसे अधिक था जिसके चलते जून 2022 तिमाही में इकॉनमी ग्रोथ 12-13 फीसदी रहने का अनुमान है. हालांकि केंद्रीय बैंक आरबीआई की सख्त मौद्रिक नीतियों और महंगाई के चलते पूरे वित्त वर्ष 2022-23 में जीडीपी ग्रोथ 7.2 फीसदी रह सकती है.
बिजनेस एक्टिविटी मॉनीटर में ये इंडीकेटर्स शामिल
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से बातचीत में कहा कि रेटिंग एजेंसी का बिजनेस एक्टिविटी मॉनीटर अप्रैल में में 115.7 पर था जिससे वैश्विक स्तर पर कठिन चुनौतियों के बावजूद बिजनेस एक्टिविटी सालाना आधार पर 16 फीसदी अधिक होने का संकेत मिलता है. नायर के मुताबिक इस महीने मई में भी कारोबारी तेजी कायम रह सकती है जिसके चलते पहली तिमाही में जीडीपी 12-13 फीसदी बढ़ सकती है.
इस मॉनीटर में 14 इंडस्ट्रियल और सर्विस सेक्टर्स से जुड़े हाई फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर्स शामिल हैं. इसे ऑटो प्रोडक्शन, कोल इंडिया के आउटपुट, बिजली उत्पादन, गैर-तेल मर्चेंटाइज एक्सपोर्ट्स, रेल फ्रेट ट्रैफिक, पोर्ट्स कार्गो ट्रैफिक और व्हीकल रजिस्ट्रेशंस समेत 14 मंथली हाई फ्रीक्वेंसी इंडीकेटर्स से तैयार किया जाता है.
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अधिक लागत के चलते जीवीए में गिरावट के आसार
नायर के मुताबिक अधिक लागत के चलते जीवीए (ग्रॉस वैल्यू एडेड) ग्रोथ 10 फीसदी से नीचे रह सकती है. इस वजह से वित्त वर्ष के लिए रेटिंग एजेंसी ने जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को 7.2 फीसदी पर स्थिर बनाए रखा है. वहीं महंगाई के चलते कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स के चालू वित्त वर्ष में औसतन 6.3-6.5 फीसदी पर रहने का अनुमान है. महंगाई और ग्रोथ को लेकर सबसे अधिक रिस्क तेल की बढ़ती कीमतें और रूस व यूक्रेन के बीच चल रही जंग है. अगर रूस और यूक्रेन के बीच जंग अगर जारी रहता है तो इसका असर अनुमान से भी अधिक दिख सकता है. जीडीपी ग्रोथ के 7.2 फीसदी पर बनाए रखने के अनुमान की एक वजह रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग भी है तो दूसरी तरफ इसे लो बेस इफेक्ट के चलते अधिक रखा गया है.
(Input: PTI)