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Finance Ministry Report: वित्त मंत्रालय ने जुलाई 2023 की मंथली रिपोर्ट में देश के एक्सपोर्ट, इंपोर्ट से लेकर विदेशी निवेश और विदेशी मुद्रा भंडार समेत तमाम महत्वपूर्ण आंकड़े जारी किए हैं. (Photo : PTI)
Finance Ministry Monthly Economic Report July 2023: मौजूदा वित्त वर्ष के पहले चार महीनों के दौरान एक्सपोर्ट के मोर्चे पर देश की अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन चिंता बढ़ाने वाला रहा है. वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल से जुलाई 2023 के दौरान देश के मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट में 14.5 फीसदी की बड़ी गिरावट देखने को मिली है. हालांकि राहत की बात ये है कि इसी दौरान देश के मर्चेंडाइज इंपोर्ट में भी 13.8 फीसदी की कमी आई है, जिसने देश के व्यापार संतुलन को संभालने का काम किया है. इसी रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान देश के नेट प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में भी भारी गिरावट देखने को मिली है. रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल-जून 2023 के तीन महीनों के दौरान देश का नेट एफडीआई (Net FDI) पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 62.7 फीसदी कम हुआ है.
एक्सपोर्ट पर ग्लोबल इकॉनमी का असर
वित्त मंत्रालय की जुलाई महीने की मंथली रिपोर्ट में बताया गया है कि अप्रैल-जुलाई 2023 के दौरान देश का मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट 136.3 अरब अमेरिकी डॉलर के बराबर रहा. जबकि अप्रैल-जुलाई 2023 के दौरान यह 159.3 अरब अमेरिकी डॉलर था. ये आंकड़े बताते हैं कि मौजूदा वित्त वर्ष के पहले चार महीनों के दौरान देश का कुल मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 14.5 फीसदी कम रहा है. इस गिरावट को ग्लोबल इकॉनमी के हालात और अंतरराष्ट्रीय ट्रेड में देखी जा रही सुस्ती का नतीजा माना जा रहा है. एक्सपोर्ट के साथ ही साथ भारत के इंपोर्ट में भी लगभग उसी अनुपात में आई कमी देश के लिए राहत की बात है. अप्रैल-जुलाई 2023 के दौरान देश का मर्चेंडाइज इंपोर्ट 213.2 अरब अमेरिकी डॉलर रहा, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 247.3 अरब डॉलर था. यानी मौजूदा वित्त वर्ष के पहले चार महीनों के दौरान इसमें 13.8 फीसदी की कमी आई है.
62.7 फीसदी घटा Net FDI
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के मामले में भी मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही के आंकड़े चिंता उत्साहजनक नहीं हैं. वित्त मंत्रालय की इसी रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल-जून 2022 में देश में आने वाला नेट एफडीआई (Net FDI) 13.4 अरब डॉलर था, जो अप्रैल-जून 2023 के दौरान 62.7 फीसदी गिरकर महज 5 अरब डॉलर रह गया. दो साल पहले यानी अप्रैल-जून 2021 में भी यह आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा, 11.6 अरब अमेरिकी डॉलर था. मौजूदा वित्त वर्ष की जून तिमाही में नेट एफडीआई में आई यह गिरावट क्या 2024 के आम चुनाव से पहले विदेशी निवेशकों के सावधानी बरतने से जुड़ी है? इस सवाल का जवाब आने वाले कुछ महीनों के आंकड़े दे सकते हैं.
Net FPI में आया सुधार
राहत की बात यह है कि देश में नेट फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टमेंट (Net FPI) की स्थिति पिछले साल के मुकाबले काफी बेहतर हुई है. अप्रैल-जुलाई 2022 के दौरान फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर देश से 14 अरब डॉलर बाहर ले गए थे, यानी नेट एफपीआई (-)14 अरब डॉलर था. लेकिन अप्रैल-जुलाई 2023 के दौरान देश में 20.2 अरब डॉलर का नेट एफपीआई इनफ्लो आया है. जिससे विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूती मिली है.
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पहले से बेहतर हुआ फॉरेक्स रिजर्व
नेट फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टमेंट में उछाल और इंपोर्ट में गिरावट की बदौलत हमारा फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व (Forex Reserve) पहले से सुधरा है. 4 अगस्त 2021 को भारत का फॉरेक्स रिजर्व 621.5 अरब डॉलर था, जो देश के 15 महीने के इंपोर्ट के लिए काफी था. लेकिन अगले साल इसमें गिरावट आई और 4 अगस्त 2022 को हमारा फॉरेक्स रिजर्व घटकर 573 अरब डॉलर रह गया. अच्छी बात यह है कि ताजा आंकड़ों के मुताबिक इसमें सुधार आया है. 4 अगस्त 2022 को देश का फॉरेक्स रिजर्व 601.5 अरब डॉलर हो गया है, जो हमारे 10 महीने के इंपोर्ट को कवर करने के लिए काफी है.