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Fiscal Deficit: राजकोषीय घाटा बजट अनुमान के 45.6 प्रतिशत पर, अप्रैल-अक्टूबर में बढ़कर 7.58 लाख करोड़ तक पहुंचा

Fiscal Deficit: आंकड़ों के मुताबिक राजकोषीय घाटा मौजूदा वित्त वर्ष के पहले सात माह अप्रैल-अक्टूबर के दौरान 7,58,137 करोड़ रुपये रहा. जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह 2021-22 के बजट अनुमान के 36.3 प्रतिशत पर रहा था.

Fiscal Deficit: आंकड़ों के मुताबिक राजकोषीय घाटा मौजूदा वित्त वर्ष के पहले सात माह अप्रैल-अक्टूबर के दौरान 7,58,137 करोड़ रुपये रहा. जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह 2021-22 के बजट अनुमान के 36.3 प्रतिशत पर रहा था.

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FE Hindi Desk
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Fiscal Deficit

अक्टूबर के अंत में सरकार का राजकोषीय घाटा पूरे साल के बजट अनुमान के 45.6 फीसदी पर तक पहुंच गया है.

Fiscal Deficit: अक्टूबर के अंत में सरकार का राजकोषीय घाटा पूरे साल के बजट अनुमान के 45.6 फीसदी पर तक पहुंच गया है. कंट्रोलर जनरल ऑफ अकाउंट्स (CGA) ने आज बुधवार को यह आंकड़े जारी किए हैं. राजकोषीय घाटा सरकार के कुल खर्च और उधारी को छोड़ कुल कमाई के बीच का अंतर होता है. आंकड़ों के मुताबिक राजकोषीय घाटा मौजूदा वित्त वर्ष के पहले सात माह अप्रैल-अक्टूबर के दौरान 7,58,137 करोड़ रुपये रहा.

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पूरे वित्त वर्ष में 6.4 प्रतिशत रहने का है अनुमान

राजकोषीय घाटा मौजूदा वित्त वर्ष के पहले सात माह अप्रैल-अक्टूबर के दौरान 7,58,137 करोड़ रुपये रहा. बता दें कि इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में राजकोषीय घाटा 2021-22 के बजट अनुमान के 36.3 प्रतिशत पर रहा था. पूरे वित्त वर्ष 2022-23 में सरकार ने राजकोषीय घाटा 16.61 लाख करोड़ रुपये या सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 6.4 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया है.

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राजकोषीय घाटा क्या है?

यह सरकार के कुल खर्च और उधारी को छोड़ कुल कमाई के बीच का अंतर होता है. दूसरे शब्‍दों में कहें तो राजकोषीय घाटा बताता है कि सरकार को अपने खर्चों को पूरा करने के लिए कितने पैसों की जरूरत है. ज्‍यादा राजकोषीय घाटे का मतलब यह होता है कि सरकार को ज्‍यादा उधारी की जरूरत पड़ेगी. राजकोषीय घाटे का आसान शब्‍दों में मतलब यह है कि सरकार को अपने खर्चों को पूरा करने के लिए कितना उधार लेने की जरूरत पड़ेगी. राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए तमाम उपाय किए जा सकते हैं. सब्सिडी के रूप में सार्वजनिक खर्च को घटाना, बोनस, एलटीसी, लीव एनकैशमेंट को घटाना शामिल हैं.

(इनपुट-पीटीआई)

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