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Fitch Ratings ने दो साल बाद मजबूत किया भारत का आउटलुक, लेकिन ग्रोथ अनुमान में की कटौती

वैश्विक रेटिंग एजेंसी ने दो साल बाद भारत की सोवरेन रेटिंग आउटलुक को बढ़ाया है. हालांकि चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि के अनुमान में कटौती की है.

वैश्विक रेटिंग एजेंसी ने दो साल बाद भारत की सोवरेन रेटिंग आउटलुक को बढ़ाया है. हालांकि चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि के अनुमान में कटौती की है.

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FE Hindi Desk
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Fitch betters India rating outlook to stable on solid medium-term growth prospects

फिच रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि के अनुमान को घटाकर 7.8 फीसदी कर दिया है.

वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स (Fitch Ratings) ने दो साल बाद भारत की सोवरेन रेटिंग आउटलुक को बढ़ाया है और इसे निगेटिव से स्टेबल किया है. हालांकि चालू वित्त वर्ष 2022-23 में आर्थिक वृद्धि के अनुमान में कटौती किया है. फिच रेटिंग्स के मुताबिक तेज इकनॉमिक रिकवरी के चलते मीडियम टर्म में की ग्रोथ में गिरावट का जोखिम कम हो गया है. हालांकि रेटिंग एजेंसी ने रेटिंग को बीबीबी- पर स्थिर बनाए रखा है. फिच रेटिंग्स ने कहा कि वैश्विक स्तर पर कमोडिटी के भाव में तेजी के बावजूद भारत में आर्थिक सुधार और वित्तीय सेक्टर की कमजोरी में कमी के कारण मीडियम टर्म की ग्रोथ में गिरावट का जोखिम कम हो गया है.

रेटिंग एजेंसी ने कोरोना महामारी के चलते जून 2020 में भारत के आउटलुक को ‘स्थिर’ से ‘नकारात्मक’ कर दिया था और अब दो साल बाद यह निगेटिव से स्टेबल हुआ है. भारत की रेटिंग अगस्त 2006 के बाद से लगातार 'बीबीबी-' है, लेकिन आउटलुक स्थिर से नकारात्मक के बीच बदलता रहा है.

आर्थिक वृद्धि के अनुमान में कटौती

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फिच रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि के अनुमान को घटाकर 7.8 फीसदी कर दिया है. इससे पहले यह अनुमान 8.5 फीसदी का था. रेटिंग एजेंसी के मुताबिक वैश्विक स्तर पर कमोडिटी की कीमतों में तेजी के कारण महंगाई बढ़ने के चलते यह कटौती की गई है. पिछले वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था 8.7 फीसदी की दर से बढ़ी और केंद्रीय बैंक आरबीआई को चालू वित्त वर्ष में 7.2 फीसदी वृद्धि की उम्मीद है.

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इकनॉमिक ग्रोथ के लिए ये हैं चुनौतियां

फिच के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2022-23 में भारतीय इकॉनमी 7.8 फीसदी की दर से बढ़ सकती है. उसके बाद वित्त वर्ष 2024 से वित्त वर्ष 2027 तक यह करीब 7 फीसदी की दर से बढ़ सकती है. फिच के मुताबिक सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर पर जोर दे रही है, रिफॉर्म पर फोकस कर रही है और वित्तीय सेक्टर पर दबाव कम कर रही है. इन सबके चलते वित्त वर्ष 2024-2027 तक इकॉनमी 7 फीसदी की दर से बढ़ सकती है. हालांकि इकनॉमिक रिकवरी की असमान प्रकृति और इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च और रिफॉर्म के इंप्लीमेंटेशन से जुड़े रिस्क जैसी अहम चुनौतियां भी हैं जिसके चलते इकनॉमिक ग्रोथ अनुमान प्रभावित हो सकता है.

(Input: PTI)

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