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Fitch India Forecast: इस साल 7% रहेगी देश की ग्रोथ रेट, लेकिन अगले दो साल के लिए विकास दर अनुमान में कटौती क्यों?

Fitch Ratings मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की विकास दर 7% रहने के अपने पिछले अनुमान पर कायम है, लेकिन 2023-24 और 2024-25 के लिए इसमें कटौती की गई है.

Fitch Ratings मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की विकास दर 7% रहने के अपने पिछले अनुमान पर कायम है, लेकिन 2023-24 और 2024-25 के लिए इसमें कटौती की गई है.

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Viplav Rahi
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Fitch Ratings December Global Economic Outlook India GDP Growth Forecast

फिच रेटिंग्स के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ने वाले इमर्जिंग मार्केट्स में अपनी जगह बना सकता है. (File Photo)

Fitch Ratings December Global Economic Outlook: भारत की जीडीपी में वित्त वर्ष के दौरान 7 फीसदी की रफ्तार से ग्रोथ होने की उम्मीद है. देश की जीडीपी ग्रोथ रेट के बारे में यह अनुमान अंतराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स (Fitch Ratings) अपने ताजा ग्लोबल इकनॉमिक आउटलुक में जाहिर किए हैं. इससे पहले फिच ने सितंबर में जारी अपने पिछले ग्लोबल इकनॉमिक आउटलुक में भी कहा था कि वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान देश की जीडीपी विकास दर 7 फीसदी रहने की उम्मीद है. यानी एजेंसी ने अपने इस अनुमान में कोई बदलाव नहीं किया है. लेकिन फिच ने उसके बाद दो साल तक देश की विकास दर में गिरावट आने की आशंका भी जाहिर की है.

वित्त वर्ष 2023-24 और 2024-25 में घटेगी ग्रोथ रेट : फिच

भारतीय अर्थव्यवस्था की अगले दो वित्त वर्ष की संभावनाओं के बारे में फिच की राय पहले से खराब हुई है. सितंबर के आउटलुक में फिच ने कहा था कि वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान भारत की जीडीपी विकास दर 6.7 फीसदी रह सकती है. लेकिन ताजा रिपोर्ट में उसने इस अनुमान को घटाकर 6.2 फीसदी कर दिया है. इसी तरह वित्त वर्ष 2024-25 के विकास दर अनुमान को भी फिच ने 7.1 फीसदी से घटाकर अब 6.9 फीसदी कर दिया है.

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सितंबर से दिसंबर के बीच क्या बदल गया?

दिसंबर आउटलुक में जारी फिच के ताजा अनुमानों से जुड़ा अहम सवाल यह है कि आखिर पिछले तीन महीने में ऐसा क्या बदल गया कि एजेंसी को अपने अनुमानों में कटौती करनी पड़ रही है? इस सवाल का जवाब भी फिच की ताजा रिपोर्ट में ही दिया गया है. एजेंसी का कहना है कि मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ने वाले इमर्जिंग मार्केट्स में अपनी जगह बना सकता है.

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फिच की राय में भारतीय अर्थव्यवस्था के बड़े हिस्से का ज्यादा फोकस घरेलू बाजार पर रहता है और जीडीपी का बड़ा हिस्सा घरेलू कंजप्शन और इनवेस्टमेंट से आता है. यही वजह है कि भारत पर अंतरराष्ट्रीय झटकों का कम असर होता है. लेकिन एजेंसी का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय हालात में हो रहे बदलावों का असर भारत पर बिलकुल न पड़े, ऐसा नहीं हो सकता. दुनिया भर में आर्थिक मंदी के कारण डिमांड घटेगी और इसका असर आखिरकार भारतीय एक्सपोर्ट पर भी पड़ेगा. अगले दो वित्त वर्ष के दौरान जीडीपी विकास दर के अनुमानों में कटौती की मुख्य वजह यही है.

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