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भारतीय इक्विटी बाजारों से Foreign Portfolio Investors (FPI) द्वारा इस साल में अब तक कुल 1.68 लाख करोड़ रुपये की निकासी की जा चुकी है.
FPIs turn net sellers again; दो महीनों के बाद सितंबर में Foreign Portfolio Investors (FPI) ने भारतीय शेयर बाजारों से करीब में 7,600 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की है. इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह US Fed के कड़े रुख और डॉलर के मुकाबले में रुपये में आई तेज गिरावट को माना जा रहा है. भारतीय इक्विटी बाजारों से Foreign Portfolio Investors (FPI) द्वारा इस साल में अब तक कुल 1.68 लाख करोड़ रुपये की निकासी की जा चुकी है. एक्सपर्ट्स की माने तो आने वाले महीनों में वैश्विक और घरेलू कारणों से FPI flows के अस्थिर रहने की उम्मीद है.
Kotak Securities के इक्विटी रिसर्च (रिटेल) के अध्यक्ष श्रीकांत चौहान ने कहा, "ब्रिटेन सरकार की मौजूदा वित्त वर्ष के लिए विस्तारवादी नीति के चलते ग्लोबल लेवल पर वैश्विक मुद्रा बाजारों को प्रभावित किया और इसके परिणामस्वरूप इक्विटी में जोखिम-रहित भावना पैदा हुई." उन्होंने कहा कि घरेलू मोर्चे पर ईंधन संबंधी परेशानियों के साथ ही जीडीपी के अनुमान में मामूली गिरावट देखी गई है.
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आंकड़ों के मुताबिक, Foreign Portfolio Investors ने सितंबर में कुल 7,624 करोड़ रुपये की इक्विटी बेची है, जबकि अगस्त में 51,200 करोड़ रुपये और जुलाई में लगभग 5,000 करोड़ रुपये के विशुद्ध निवेश देखने को मिला था. इससे पहले FPIs अक्टूबर 2021 से लगातार नौ महीने तक भारतीय इक्विटी बाजारों में शुद्ध विक्रेता की भूमिका में रहे थे. सिंतबर के महीने की शुरुआत में FPIs ने पॉजिटिव रिस्पॉन्स के साथ निवेश किया, लेकिन वैश्विक अनिश्चितता के कारण यह पॉजिटिव रिस्पॉन्स नेगेटिव रिस्पॉन्स में बदल गया है. सितंबर के दौरान विदेशी निवेशकों ने debt market में 4,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है.
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हाल ही में यूएस फेड द्वारा तेजी से बढ़ती इन्फ्लेशन को काबू में करने के लगातार रेपो रेट में इजाफा किया गया, जिसकी वजह से इंटरनेशनल मार्केट में मंदी की आशंका तेज हो गई. इसी आशंका के चलते FPI ने अपने निवेश को वापस लेना शुरु कर दिया है. Morningstar India के एसोसिएट डायरेक्टर एंड मैनेजर रिसर्च हिमांशु श्रीवास्तव ने इसके पीछे रूस-यूक्रेन वॉर की वजह से बने माहौल को काफी हद तक जिम्मेदार ठहराया है. हालांकि एक्सपर्ट्स का मानना है कि हाई इन्फ्लेशन के बाद आने वाले कुछ महीनों में अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा अपनी दरों में इजाफे को कम किया जा सकता है.
भारत के साथ ही FPI flows फिलीपींस, दक्षिण कोरिया, ताइवान और थाईलैंड के लिए नकारात्मक था, जबकि इस दौरान इंडोनेशिया के लिए FPI flows पॉजिटिव रहा है.