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अमेरिका में 2 साल में पहली बार बिजनेस एक्टिविटी में गिरावट, जुलाई के PMI डेटा में मंदी के डरावने संकेत

दुनिया पर मंडराते आर्थिक संकट को बढ़ाने में यूक्रेन पर रूसी हमले के अलावा चीन की विकास दर में गिरावट, महंगाई और ऊंची ब्याज दरों का भी बड़ा हाथ है.

दुनिया पर मंडराते आर्थिक संकट को बढ़ाने में यूक्रेन पर रूसी हमले के अलावा चीन की विकास दर में गिरावट, महंगाई और ऊंची ब्याज दरों का भी बड़ा हाथ है.

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Viplav Rahi
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Global slowdown fears darken

PMI के जुलाई 2022 के शुरुआती आंकड़े दुनिया में आर्थिक मंदी की आशंका को बढ़ाने वाले हैं.

Global slowdown fears darken : जुलाई के शुरुआती PMI डेटा ने अमेरिका से लेकर यूरो जोन और जापान तक में खतरे की घंटी बजा दी है. शुक्रवार 22 जुलाई को जारी इन आंकड़ों से न सिर्फ इन तमाम इलाकों में बिजनेस एक्टिविटी में भारी गिरावट के संकेत मिल रहे हैं, बल्कि इसने सारी दुनिया के आर्थिक मंदी में घिरने की आशंका को भी और गहरा कर दिया है. इन आंकड़ों के मुताबिक दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी अमेरिका में दो साल में पहली बार आर्थिक गतिविधियों में गिरावट आई है. यूरो जोन में भी करीब एक साल में पहली बार ऐसा ही हुआ है. ब्रिटेन में भी ग्रोथ रेट 17 महीनों के सबसे निचले पायदान पर चली गई है. पश्चिम के देशों का ये हाल है तो सुदूर पूरब के जापान में भी विकास दर के अनुमानों में कटौती के संकेत मिल रहे हैं.

यूएस कंपोजिट PMI में भारी गिरावट

दरअसल एस एंड पी ग्लोबल (S&P Global) ने शुक्रवार को यूएस कंपोजिट पीएमआई आउटपुट इंडेक्स (U.S. Composite PMI Output Index) के शुरुआती आंकड़े जारी किए हैं. इनमें यह इंडेक्स गिरकर 47.5 पर आ गया है. जबकि जून के महीने में यह 52.3 पर था. इस महत्वपूर्ण इंडेक्स में लगातार चौथे महीने गिरावट दर्ज की गई है. PMI इंडेक्स के 50 से कम होने का मतलब होता है कि आर्थिक गतिविधियों में गिरावट आ रही है. सर्विस सेक्टर की हालत बताने वाला S&P Global Services PMI भी जून के 52.7 से गिरकर जुलाई में 47 पर आ गया है. जबकि बाजार में इसके 52.6 के आसपास रहने की उम्मीद की जा रही थी.

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इन आंकड़ों ने अमेरिका में एक बार फिर से मंदी जैसे हालात पैदा होने की चिंता बढ़ा दी है. S&P के ग्लोबल चीफ बिजनेस इकॉनमिस्ट क्रिस विलियम्सन ने (Chris Williamson) इन आंकड़ों के साथ जारी एक बयान में माना है कि जुलाई के शुरुआती आंकड़े इकॉनमी में चिंताजनक गिरावट आने का इशारा कर रहे हैं. उनका मानना है कि कोरोना महामारी के कारण लागू किए गए लॉकडाउन के महीनों को हटा दें तो उत्पादन में ऐसी गिरावट 2009 के अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संकट के बाद से अब तक कभी देखी नहीं गई थी.

यूरो ज़ोन का कंपोजिट PMI भी जुलाई में 50 से नीचे

कुछ ऐसा ही हाल यूरो ज़ोन के देशों का भी है. इस इलाके का कंपोजिट PMI भी जुलाई के दौरान गिरकर 49.4 पर आ गया है, जो फरवरी 2021 के बाद अब तक का सबसे निचला स्तर है. जून 2022 में यह इंडेक्स 52 पर था. जानकारों का मानना था कि जुलाई में यह इंडेक्स मामूली रूप से गिरकर 51 तक आ सकता है, लेकिन इसके 50 से नीचे चले जाने की आशंका किसी को नहीं थी. यूरोपीयन सेंट्रल बैंक (ECB) ने भी शुक्रवार को आर्थिक हालात पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि कुल मिलाकर ग्रोथ का आउटलुक काफी मुश्किल नजर आ रहा है. इसके बावजूद महंगाई और वेतन में बढ़ोतरी का दबाव पूरे यूरो जोन के बिजनेस के लिए खतरा बने हुए हैं. ECB ने यह बात यूरो ज़ोन की 71 कंपनियों के सर्वे से मिली जानकारी के आधार पर कही है.

आर्थिक सुस्ती के बीच ऊंची ब्याज दरें बड़ी चुनौती

यूरो जोन में पिछले महीने महंगाई दर 8.6% के ऊंचे स्तर पर बनी रही, जिसके चलते ECB ने गुरुवार को ब्याज दरों में 50 बेसिस प्वाइंट यानी 0.50 फीसदी का इजाफा कर दिया, जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी. अमेरिका का फेडरल रिजर्व भी 40 साल की सबसे ऊंची महंगाई दर से जूझ रहा है. ऐसा अनुमान है कि वह भी अगले हफ्ते होने वाली अपनी बैठक में ब्याज दरों में 75 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी का एलान कर सकता है. आर्थिक सुस्ती के माहौल में ब्याज दरों का बढ़ना हालात को और मुश्किल बनाने वाली बात है. जापान के PMI इंडेक्स से भी यही पता चलता है कि वहां जुलाई के महीने में उत्पादन की रफ्तार पिछले 10 महीनों के सबसे निचले स्तर पर रही है. जाहिर है कि जुलाई के PMI के ये आंकड़े मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की डिमांड में गिरावट के साथ ही साथ सर्विस सेक्टर में भी कमजोरी बढ़ने का संकेत दे रहे हैं.

PMI यानी पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स क्या है?

PMI यानी पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स के आंकड़े दुनिया के 40 से ज्यादा देशों के लिए जुटाए जाते हैं. इन आंकड़ों से यह पता चलता है कि तमाम कंपनियों के पर्चेजिंग मैनेजर्स की राय में बाजार के हालात कैसे हैं? बिजनेस से जुड़ी गतिविधियां बढ़ रही हैं, उनमें स्थिरता है या फिर गिरावट आ रही है. इन आंकड़ों को दुनिया भर में आर्थिक हालात का प्रभावशाली और काफी हद तक सटीक संकेत माना जाता है. शुक्रवार को दुनिया के कई देशों के लिए PMI के जुलाई 2022 के जो शुरुआती आंकड़े सामने आए हैं, वे चिंता बढ़ाने वाले हैं.

इस बीच, दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकॉनमी चीन में भी कोविड के कारण नए सिरे से लागू किए गए लॉकडाउन ने हालात को बिगाड़ने का काम किया है. दूसरी तिमाही के दौरान चीन की आर्थिक विकास दर में दर्ज की गई तेज गिरावट इसी का नतीजा है. रूस और यूक्रेन की जंग और पश्चिमी देशों में गिरती डिमांड ने भारतीय अर्थव्यवस्था में आ रही रिकवरी के लिए भी चुनौतियां बढ़ा दी हैं. ऐसे में आने वाले कुछ महीनों के दौरान सारी दुनिया के सामने आर्थिक मंदी का खतरा और गंभीर होने से इनकार नहीं किया जा सकता.